वेंकट कृष्णा बी। वनडे वर्ल्ड कप 2023 की मेजबान टीम इंडिया सबसे ज्यादा 9 वेन्यू पर मैच खेलेगी। इसका मतलब है कि रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम पूरे टूर्नामेंट में लगभग 10 हजार किलोमीटर का सफर करेगी। टीम इंडिया अपने अभियान की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 8 अक्टूबर को चेन्नई में करेगी। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ हाई वोल्टेज मुकाबला 15 अक्टूबर को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खेलेगी। न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम धर्मशाला और इंग्लैंड के खिलाफ लखनऊ में खेलेगी। आइए जानते हैं इन जगहों की पिच और कंडीशंस कैसी होंगी।

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया, 8 अक्टूबर, चेन्नई

एमए चिदंबरम स्टेडियम को वर्ल्ड कप के लिए फिनिशिंग टच दिया जा रहा है। लाइट टावर्स में नई एलईडी लाइट्स लगाई जा रही हैं। टीएनसीए ने दोनों तरफ दो लाल मिट्टी की पिचें डालने की तैयारी में है। चेपक भारत का दूसरा सबसे पुराना स्टेडियम है। मेजबान टीम ने यहां 1987 के बाद से 14 मैच खेले हैं और उनमें से आधे जीते हैं, जिनमें से चार पिछले दशक में आए हैं। भारत अबतक इस ग्राउंड पर 300 का स्कोर नहीं बना सका है। इससे पता चलता है कि यहां किस तरह की पिच की उम्मीद की जा सकती है। भारत इस साल की शुरुआत में यहां खेला था और ऑस्ट्रेलिया से हारा था। अक्टूबर की शुरुआत में मैच होना है इसलिए ओस का खेल पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। टीमें आमतौर पर यहां पहले बल्लेबाजी करना पसंद करती हैं, क्योंकि पिच धीमी होती चली जाती है।

भारत बनाम पाकिस्तान, 15 अक्टूबर, अहमदाबाद

अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम के स्टैंड्स की क्षमता एक लाख 30 हजार की है। भारत-पाकिस्तान मैच के लिए इससे बेहतर स्टेडियम कोई नहीं हो सकता। 2021 में इस स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया गया। यह 1984 से वनडे मैचों की मेजबानी कर रहा है। मेजबान टीम ने यहां 18 मैचों में से 10 में जीत हासिल की है। बड़े आउटफील्ड का मतलब है कि स्पिनर्स को यहां गेंदबाजी करने में मजा आएगा। भारत घर में काली मिट्टी की पिचों पर खेलना पसंद करता है, जिनमें कम उछाल और धीमापन होता है। भारत के अधिकांश पुराने मैदानों की तरह अहमदाबाद में कुछ मौकों को छोड़कर बहुत बड़े स्कोर बनते नहीं देखा गया है। स्टेडियम को पुनर्निर्माण के बाद खोला गया था। मेजबान टीम ने यहां सभी प्रारूपों में मैच खेले हैं, ऐसे में उन्हें परिस्थितियों का अंदाजा बेहतर होगा। पाकिस्तान की गेंदबाजी मजबूत है। ऐसे में यहां फ्लैट यानी पाटा विकेट मिल सकता है।

भारत बनाम न्यूजीलैंड, धर्मशाला, 22 अक्टूबर

धर्मशाला में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत के लिए परिस्थितियां मुश्किल हो सकती हैं। दुनिया का सबसे खूबसूरत स्टेडियम समुद्र तल से 1317 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भारत में सबसे उछालभरी और तेज पिचों में से एक है। इसलिए घातक तेज गेंदबाजी आक्रमण वाली कीवी टीम के साथ खेलना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। स्टेडियम ने अब तक केवल चार एकदिवसीय मैचों की मेजबानी की है। मेजबान टीम ने उनमें से दो जीते हैं। दोपहर मे मैच शुरू होना है। यह बल्लेबाजों के लिए राहत की बात है, लेकिन ओवरकास्ट कंडीशन पर भी ध्यान देना होगा। धूप खिलने पर बल्लेबाजी अच्छी होगी। लाइट्स में ठंड मौसम में ओस के कारण दूसरी गेंदबाजी करने वाली टीम के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियां हो सकती हैं। यहां की आउटफील्ड को हाल ही में फिर से तैयार किया गया है। भारत ने 2017 के बाद से यहां एकदिवसीय मैच नहीं खेला है। भारतीय टीम उम्मीद कर रही होगी कि वर्ल्ड कप से पहले उन्हें यहां एक मैच मिले।

भारत बनाम इंग्लैंड, लखनऊ, 29 अक्टूबर

आईपीएल के दौरान धीमी पिचें प्रदान करने के बाद, यूपीसीए ने इकाना स्टेडियम में नई पिच डाली है। यह काफी नया स्टेडियम है और इसे मेजबान और गत चैंपियन टीम के बीच बड़ा मुकाबला मिला है। मेजबान टीम को यहां 50 ओवर का मैच खेलना बाकी है। टीम एक बार दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ एकदिवसीय मैच खेली है। बारिश के कारण 40 ओवर का मैच हो गया, जिसमें टीम हार गई। ऐसे में परिस्थितियों का अंदाजा भारत को भी नहीं होगा। विश्व कप के इतने करीब पिच बदलना बड़ा जोखिम है, लेकिन इसे जरूरी समझा गया है। अफगानिस्तान को यहां खेलने का अनुभव है। वह यहां वेस्टइंडीज के खिलाफ तीन एकदिवसीय मैच खेला है। ये मैच लो स्कोरिंग रहे हैं। सिर्फ एक बार 250 के आसपास का स्कोर बना है। काली मिट्टी की पिच का मतलब है कि स्पिनर्स का रोल काफी महत्वपूर्ण होगा। सर्दियों की शुरुआती में मैच होगा ऐसे में ओस की भूमिका अहम हो सकती है। इंग्लैंड के खिलाफ भारत का पलड़ा भारी होगा, क्योंकि अंग्रेजों को स्पिन खेलने में परेशानी होती है।

भारत बनाम साउथ अफ्रीका, कोलकाता, नवंबर 5

ईडन गार्डन में 2011 विश्व कप के दौरान भारत एक भी मैच नहीं खेला था। 1991 में इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी के बाद दक्षिण अफ्रीका इसी ग्राउंड पर अपना पहला मैच खेला था। पहले स्पिनर्स को इस पिच से काफी मदद मिलती थी। अब तेज गेंदबाजों को काफी मदद मिलती है। इसलिए दक्षिण अफ्रीका यहां मेजबानों से खेलने को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं होगी। भारत का यह आखिरी लीग मैच होगा। ओस की भूमिका काफी अहम होगी।