केट का रोमांच सबके सिर चढ़कर बोल रहा है। भारत गुरुवार को सिडनी में विश्व कप के दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से भिड़ेगा तो भारतीय क्रिकेट दीवानों की निगाहें अपने नायकों के प्रदर्शन पर रहेंगी। अटकलें लग रहीं हैं। मन्नतें मांगी जा रही हैं। दुआओं के लिए हाथ उठे हैं। कहीं हवन हो रहे हैं तो कहीं अपने खिलाड़ियों की जन्मपत्री बांची जा रही है। भविष्यवाणियों के बीच खिलाड़ियों की किस्मत को पढ़ने की कोशिश हो रही है, तो ग्रह-नक्षत्र को ध्यान में रख कर टोटके भी हो रहे हैं और नजरें भी उतारी जा रही हैं।

हालांकि हम सब जानते हैं कि क्रिकेट में अटकलें धरी की धरी रह जाती हैं और भविष्यवाणियां गलत साबित होती हैं और कई बार मैदान वह मारता है जो उस खास दिन अपने खेल को ऊंचाई देता है और आॅस्ट्रेलिया में ऐसा करने का माद्दा है। इस जुनून और दीवानगी के बीच हर कोई चाहता है कि भारत आॅस्ट्रेलिया को फतह कर फाइनल खेले। लोग जानते हैं कि यह आसान नहीं होगा। आॅस्ट्रेलिया न तो पाकिस्तान है और न ही बांग्लादेश। फिर मुकाबला सिडनी में होना है। घर में हर टीम शेर होती है, भारतीय धुरंधर भी इसे जानते हैं। लेकिन इस विश्व कप में भारतीय टीम ने जिस तरह का प्रदर्शन किया है, उससे खिलाड़ियों के हौसले भी बढ़े हैं और प्रशंसकों का कलेजा भी चौड़ा हुआ है।

अब बारी भारत की है फाइनल में जगह बनाने की। गुरुवार को दूसरे सेमीफाइनल में उसके सामने आॅस्ट्रेलिया होगा तो हालात महेंद्र सिंह धोनी की टीम के लिए आसान नहीं होंगे। उन पर अब दबाव ज्यादा होगा। खिताब बचाने का और आॅस्ट्रेलिया को उसके घर में फतह करने का। दबाव तो आॅस्ट्रेलिया पर भी होगा, अपने घर में फाइनल में पहुंचने का। इस दबाव को जो भी टीम अपनी ताकत बनाकर मैदान पर उतरेगी, फाइनल में उसकी ही जगह पक्की होगी।


घरेलू मैदान और हालात की वजह से आॅस्ट्रेलिया का पलड़ा थोड़ा भारी दिखता है। उनकी बल्लेबाजी में गहराई है और गेंदबाजी में किसी भी टीम की बल्लेबाजी को ध्वस्त करने की क्षमता है। उनके ओपनर बड़े स्ट्रोक लगाने में उस्ताद हैं तो गेंदबाज डेथ ओवरों में यार्कर डालने में महारत रखते हैं। डेविड वार्नर ओर फिंच की सलामी जोड़ी ने हल्ला बोला तो भारतीय गेंदबाजों के लिए परेशानी हो सकती है। उनके पास स्टीव स्मिथ, माइकल क्लार्क, शेन वाटसन, मैक्सवेल और फाकनर सरीखे बल्लेबाज चल गए तो गेंदबाजों की परेशानी बढ़ सकती है।

इसलिए हल्ला वे बोलें, इससे पहले भारत को आक्रमण कर उन्हें विचलित करना होगा। हमारे गेंदबाजों में वह क्षमता है, विश्व कप में उन्होंने यह करके दिखाया है। अब तक खेले गए सात मैचों में सभी सत्तर खिलाड़ियों को भारतीय गेंदबाजों ने ही आउट किया है। किसी दूसरी टीम ने अब तक तो ऐसा नहीं किया है। मोहम्मद शमी, उमेश यादव व मोहित शर्मा जिस अंदाज से गेंदबाजी कर रहे हैं, वह आॅस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को परेशानी में डाल सकता है।

पाकिस्तान के गेंदबाज वहाब रियाज ने अपनी गेंदबाजी से भारतीय गेंदबाजों को प्रेरित किया होगा। क्वार्टर फाइनल में आॅस्ट्रेलियाई बल्लेबाज शाट गेंदों पर असहज दिखाई दिए। शमी इसका फायदा उठा सकते हैं। उन्होंने अपनी शाट गेंदों से न सिर्फ कई बल्लेबाजों को परेशानी में डाला, बल्कि विकेट भी झटके हैं। यानी शमी, उमेश और मोहित ने शुरुआती ओवरों में अच्छी गेंदबाजी कर हल्ला बोला तो फिर भारतीय टीम मैच पर अपना दबदबा बना सकती है। इस मैच में आॅफ स्पिनर आर अश्विन की भूमिका अहम हो सकती है।



यह सही है कि मिशल जानसन, मिशल स्टार्क और हेजलवुड के गेंदों में तेजी भी होती है और उछाल भी। वे अपनी तेजी से भारतीय बल्लेबाजों की कड़ी परीक्षा लेंगे, लेकिन धैर्य के साथ विकेट पर खड़े रहे तो बहुत ज्यादा परेशानी नहीं होने वाली। भारतीय टीम आर्डर में से कम से चार बल्लेबाजों को विकेट पर खड़ा होना होगा और दो को चालीस ओवर तक खेलना होगा। साथ ही उनके गेंदबाजों पर काउंटर अटैक भी करना होगा। हमारे किसी एक बल्लेबाज को, उनके किसी एक गेंदबाज को चुनकर मारना होगा। इससे आॅस्ट्रेलियाई हमलों की धार भी कुंद होगी और उनके हौसले भी पस्त होंगे। आॅस्ट्रेलियाई टीम एक मामले में हम से बीस है। उनके पास कई आलराउंडर हैं।

शेन वाटसन, फाकनर, मैक्सवेल और जानसन। इस मामले में हम उन्नीस हैं। ले-देकर सिर्फ रवींद्र जडेजा हैं, जिनका प्रदर्शन इस विश्व कप में बहुत अच्छा नहीं रहा है। पर भारतीय टीम को जिस एक बात से ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, वह है छींटाकशी। आॅस्ट्रेलियाई खिलाड़ी धोनी और उनके साथियों को उकसाएंगे। इसके लिए तैयार रहने की जरूरत है। पर इसके साथ ही ध्यान रखना होगा कि संयम नहीं खोएं। आपा खोने का मतलब होगा, मैच गंवाना।

आक्रमण जरूर करें, लेकिन जबानी नहीं खेल से। मैदान पर बल्ला बोला और गेंदें घूमीं तो फिर न तो जानसन कुछ कर पाएंगे और न ही वार्नर। गेंदबाजी और बल्लेबाजी के साथ-साथ इस मैच में फील्ंिडग भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। एक कैच टपका या एक रनआउट का मौका गंवाया तो फिर सफर खत्म। दक्षिण अफ्रीका की मिसाल हमारे सामने है। वैसे इस क्षेत्र में दोनों ही टीमें बराबर की हैं। वैसे यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होगा कि टास कौन जीतता है। मैच का नतीजा इस पर भी निभर्र करेगा।

यों तो लगता नहीं है कि भारतीय टीम में किसी तरह का फेरबदल हो। लेकिन धोनी कब क्या कर जाएं, कहा नहीं जा सकता। वे तीन स्पिनरों के साथ मैदान पर उतरें तो कोई हैरत नहीं। लेकिन आराम किसे देंगे, कहना अभी मुश्किल है। फिलहाल तो इतना ही कहा जा सकता है कि भारतीय टीम जीत के रथ पर सवार है, अपनी उसी टीम के साथ जीत का सफर धोनी गुरुवार को भी जारी रखना चाहेंगे।

न्यूजीलैंड फाइनल में पहुंच चुका है। रविवार को दूसरी टीम कौन होगी, थोड़ा इंतजार और करें। अच्छा हो कि ग्रुप में शीर्ष पर रही दो टीमें फाइनल खेलें। भारत ऐसा कर पाता है तो सिडनी पर नई इबारत भी लिखी जाएगी और भारत हार के अपने रेकार्ड को भी सुधारेगा।

 

फ़ज़ल इमाम मल्लिक