जेमिमा रोड्रिग्स की जिंदगी की सबसे यादगार पारी के दम पर भारत ने ऑस्ट्रेलिया को हराकर गुरुवार (30 अक्टूबर) को नवी मुंबई में महिला वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में ऐतिहासिक जीत हासिल की। रोड्रिग्स ने 134 गेंदों पर नाबाद 127 रन बनाए और भारत ने 48.3 ओवर में 5 विकेट रहते 339 रन का लक्ष्य हासिल कर लिया। अब रविवार (2 नवंबर) को फाइन में उसका सामना साउथ अफ्रीका से होगा। भारत को महिला क्रिकेट में 52 साल का इंतजार खत्म करने की दहलीज पर खड़ा करने वालीं जेमिमा रोड्रिग्स का सफर आसान नहीं रहा है।
भारत के लिए 18 साल की उम्र में डेब्यू करने वाली जेमिमा के लिए करियर की शुरुआत में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जब उन्हें 2022 वर्ल्ड कप टीम से ड्रॉप कर दिया गया तो वह अपनी जिंदगी की सबसे मुश्किल दौरे से गुजरीं। वह ड्रॉप होने से टूट गई थीं। हर रात को रोती थीं, लेकिन दोस्तों और परिवार के सामने इसे जाहिर नहीं करती थीं। थोड़ा मेंटल ब्रेक लेने के बाद जेमिमा ने अपना फोकस वापस क्रिकेट पर किया।
मुंबई के मैदानों का रुख किया
जेमिमा ने अपने लोकल कोच के साथ काम किया, मुंबई के मैदानों का रुख किया। मुश्किल पिचों पर लोकल सर्किट में मौजूद मुश्किल बॉलर्स (पुरुष और महिला) का सामना करने की जिद्द पकड़ी। इससे जेमिमा की भारतीय टीम में वापसी हुई। महिला वर्ल्ड कप 2025 से पहले जेमिमा ने खुद बताया था कि 2022 वर्ल्ड कप टीम से ड्रॉप होने के बाद उन पर क्या गुजरी थी।
2022 वर्ल्ड कप से ड्रॉप होने मिला फायदा
स्पोर्टस्टार से जेमिमा ने 2022 वर्ल्ड कप से ड्रॉप होने पर बताया था, “कोई भी झटका (setback) आपको बेहतर वापसी के लिए तैयार करता है। उस समय, वर्ल्ड कप से पहले बाहर होना सबसे बुरी चीज लग रही थी। लेकिन पीछे मुड़कर देखती हूं, तो यह सबसे अच्छी चीजों में से एक है। इसने मुझे अपना खेल बदलने, अपनी पर्सनैलिटी पर काम करने, खुद को बेहतर समझने और अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलने के लिए मजबूर किया। उसने मुझे आज एक बेहतर खिलाड़ी बना दिया है।”
हर रात रोती थीं जेमिमा
जेमिमा ने उस मुश्किल वक्त को याद करते बताया, “यह बहुत मुश्किल समय था। मैं लगभग हर रात रोती थी और मानसिक तौर पर परेशान थी। मैंने एक छोटा ब्रेक भी लिया क्योंकि मैं टीम से बाहर होने और अपनी पसंदीदा टीम के लिए खेलने से चूकने को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। कुछ समय बाद मैं अपने कोच, प्रशांत (शेट्टी) सर और अपने पापा के साथ बैठी, जो मुझे कोचिंग भी देते हैं। हमने एक प्लान बनाया- मैं दो मैच खेलूंगी, लेकिन मुश्किल पिचों पर।
कंफर्ट जोन से बाहर निकलीं
जेमिमा ने बताया, “मैंने मुंबई के अच्छे लड़कों के खिलाफ खेला। कभी अंडर-12, कभी अंडर-19, कभी उससे बड़े। अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर उन हालात में ट्रेनिंग करने से मुझे अपने खेल को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिली। इसलिए जब मैं इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस आई, जहां आमतौर पर अच्छी बैटिंग पिचें मिलती हैं तो यह बहुत आसान लगा।”

