दक्षिण अफ्रीका में हुए टी20 विश्व कप से जो तस्वीर सामने आई, उससे कहा जा सकता है कि आने वाले समय में महिला क्रिकेट ज्यादा कांटेदार और दिलचस्प होगी। इस विश्व कप में नजदीकी मुकाबले देखने को मिले, जुझारुपन, चौके-छक्कों को दम, बल्लेबाजी कौशल, गेंदबाजी विविधता और शानदार फील्डिंग ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध किए रखा।
मेजबान दक्षिण अफ्रीका का पहला फाइनल खेलना, उनकी अनुभवी तेज गेंदबाज शबनिम इस्माइल को सबसे तेज गेंद फेंकने का श्रेय तो मिला ही साथ ही टी20 विश्व कप में सर्वाधिक विकेट (43) लेकर वे सबसे सफल गेंदबाज बन गईं।सुपर चैंपियन आस्ट्रेलिया ने अपनी बादशाहत का डंका डबल खिताबी हैट्रिक के साथ बजाया। आस्ट्रेलिया ने पहले 2010, 2012 और 2014 में और फिर 2018, 2020 और 2023 में खिताबी हैट्रिक जमाई। उनकी कप्तान मेग लैनिंग के नाम भी खास उपलब्धि जुड़ गईं।
वे सबसे ज्यादा आइसीसी ट्राफियां जीतने वाली कप्तान बन गईं। उनके नेतृत्व में आस्ट्रेलिया ने चार टी20 और एक विश्व कप खिताब जीता है। लैनिंग की विशेषता यह है कि वे प्रतिकूल परिस्थितियों में शांत रहती हैं, साहसिक और सटीक फैसले लेती हैं। बल्लेबाजी हो या गेंदबाजी, जरूरत के समय कोई न कोई टीम के लिए संकटमोचक बनकर खड़ा हो जाता है।
आस्टेलिया कभी हार न मानने वाली टीम है। इसी टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में भारत बेहतर स्थिति में था पर आस्ट्रेलियाई टीम ने जुझारुपन दिखाकर बाजी पलट दी। फाइनल में भी जब दक्षिण अफ्रीका दबदबा बनाने की कोशिश में थी तो आस्ट्रेलिया ने वापसी कर उसके बढ़ाव को रोक दिया। बेथ मूनी, हीली, गार्डनर जैसी खिलाड़ी टीम की धुरी हैं। पारी की शुरुआत हो या अंत गार्डनर अपनी किफायती स्पिन गेंदबाजी से रन रोकने के साथ-साथ बल्ले से भी जौहर दिखाने में सक्षम हैं।
भारत के खिलाफ सेमी फाइनल में उन्होंने स्मृति मंधाना का कीमती विकेट लेकर या सुनिश्चित कर दिया कि भारत लक्ष्य से पीछे रह जाए। गार्डनर ने फाइनल में भी बढ़िया गेंदबाजी के साथ बल्ले से भी शानदार प्रदर्शन किया। वह प्लेयर आफ द टूर्नामेंट बनीं। उन्होंने अपने प्रदर्शन से यह भी साबित किया कि क्यों वे पहली महिला इंडियन प्रीमियर लीग में सबसे ज्यादा कीमत (तीन करोड़ 20 लाख) पर बिकने वाली विदेशी खिलाड़ी रहीं।
भारतीय महिला क्रिकेट टीम को सेमी फाइनल में आस्ट्रेलिया से मिली हार सालती रहेगी। मौका बड़ा हो और सामने जब आस्ट्रेलियाई जैसी धाकड़ टीम हो तो जीत का मौका बनाना बड़ी चुनौती बन जाता है। मौका भुनाने में जरा ढिलाई दिखाई तो पतन निश्चित है। यही भारतीय टीम के साथ हुआ। जेमिमा राड्रिग्स और हरमनप्रीत ने शानदार साझेदारी से मैच बना दिया था।
जेमिमा के आउट होने के बाद भी एक समय 30 गेंदों पर 39 रन चाहिए थे। लेकिन दूसरा रन लेते समय कप्तान हरमनप्रीत ने सुस्ती दिखाई, बैट क्रीज से पहले अटक गया और रन आउट होने से सारे समीकरण बदल गए। जब सामने जीत दिखाई दे रही हो तो अतिरिक्त ऊर्जा दिखनी चाहिए थी।
यह तो स्वीकारना ही पड़ेगा कि भारतीय टीम इस टी20 विश्व कप में अपनी साख के अनुरूप खेल नहीं दिखा पाई। आप हर बार ओपनर स्मृति मंधाना पर ही निर्भर नहीं रह सकते। उनकी साथी ओपनर शेफाली वर्मा का ताबड़तोड़ अंदाज देखने को नहीं मिला। कोई मैच जिताऊ पारी देखने को नहीं मिली। खास तौर से बड़ी टीमों के खिलाफ। जेमिमा और ऋचा घोष के प्रयासों से भारत ने पाक के खिलाफ मुश्किल लक्ष्य का सफलतापूर्वक पीछा किया। आयरलैंड के खिलाफ भी टीम इंडिया बच गई क्योंकि बारिश की वजह से गेम रुकने पर वह डकवर्थ लुइस प्रणाली के आधार पर पांच रन आगे थी।
गेंदबाजी भारत की कमजोरी रही। दीप्ति शर्मा एक शानदार हरफनफौला खिलाड़ी हैं। लेकिन गेंद और बल्ले दोनोें से उनका कमाल देखने को नहीं मिला। राजेश्वरी गायकवाड़ और राधा यादव की स्पिन में भी धार नहीं दिखी। रेणुका ठाकुर ने कई मौकों पर अच्छी गेंदबाजी की। खासतौर पर पाकिस्तान के खिलाफ उन्होंने पांच विकेट झटके। लेकिन अहम सेमी फाइनल मुकाबले में उन्हें आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने धुन दिया।
ऋचा घोष को भी परिपक्वता दिखानी होगी और स्थिति के मुताबिक बल्लेबाजी करनी होगी। यह जरूरी नहीं कि हर बार हवा में स्ट्रोक खेलकर ही रन बटोरे जाएं। फिर जब टीम को जिताने का दायित्व उनके कंधों पर आ गया था तो सूझबूझ दिखाना समय की मांग थी। यों ऋचा के प्रदर्शन पर टीम को गर्व हो सकता है। उन्होंने तीन शानदार उपयोगी पारियां खेलीं।
इस प्रदर्शन की बदौलत वह आइसीसी की वैल्यूएबल टीम में जगह पाने में सफल रहीं। स्रेह राणा को एक मैच ही खेलने को मिला। सीधे सेमीफाइनल में खेली। उनका बल्ले चल नहीं पाया। फिर अंतिम पूर्व जानसन का ओवर भी भारत को चुभ गया। रन बने नहीं और राणा का विकेट भी चला गया। शिखा पांडेय ने अपनी वापसी को सार्थक किया और अच्छी गेंदबाजी की।
भारत का खिताबी सपना टूटा जरूर पर इससे सबक भी मिले। कुछ सकारात्मक भी रहा तो कमजोरियां भी उजागर हुर्इं। गेंदबाजी दमदार नहीं रही। क्षेत्ररक्षण कमजोर रहा। सेमी फाइनल में मूनी और लैनिंग के कैच टपकाए नहीं गए होते तो खेल का नतीजा कुछ और होता। दावेदार टीम इंग्लैंड भी थी पर सेमी फाइनल में वह दक्षिण अफ्रीका से उलटफेर का शिकार हो गई। पहले टी20 विश्व कप में खिताब के बाद उन्हें दूसरी सफलता का इंतजार है।
इस साल भारत में महिला इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हो रही है। इसमें भी खेल परवान चढ़ेगा। विश्व की टाप खिलाड़ियों के साथ खेलने से उनकी कमियां और ताकत को भांपने का अवसर मिलेगा। टीम इंडिया के लिए मनोचिकित्सक की जरूरत है जो अहम मुकाबलों में उनकी सोच और एप्रोच को मजबूती दे सके।