आत्माराम भाटी

साल 2022 के अंतिम माह में ओलंपिक के बाद दूसरी बड़ी खेल प्रतियोगिता विश्व कप फुटबाल के 64 मैचों का आधी रात तक भरपूर आनंद लेने के बाद खेल प्रेमियों को नए साल की शुरुआत में ही एक बार फिर से अपनी हाथों की कलाई की जादूगरी से विरोधी टीम के गोल पोस्ट में हाकी स्टिक से गेंद को पहुंचाने वाले दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ियों का जलवा भारत की मेजबानी हो रहे विश्व कप हाकी में देखने को मिलने वाला है।

जी हां, विश्व कप हाकी का पंद्रहवां संस्करण 13 जनवरी से 29 जनवरी, 2022 तक ओड़ीशा में गत विश्व कप 2018 के बाद लगातार दूसरी बार तथा 2010 में दिल्ली में हुए पहले विश्व कप सहित कुल तीसरी बार भारत की मेजबानी में हो रहा है। दुनिया की 16 श्रेष्ठ टीमें इस प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं। इन्हें चार-चार टीमों के चार समूहों में बांटा गया है।

प्रतियोगिता में जो 44 मैच खेले जाएंगे, उनमें लीग, क्रास ओवर, क्वार्टर फाइनल, सेमी फाइनल व फाइनल सहित 24 मैच 2010 में बने भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम व 20 लीग मैच राउरकेला के नवनिर्मित बिरसा मुंडा स्टेडियम में खेले जाएंगे।विश्व कप हाकी में दुनिया की जो 16 टीमें योग्यता प्राप्त करने में कामयाब रहीं, उनमें समूह ए में आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, फ्रांस व दक्षिण अफ्रीका को रखा गया है। समूह बी में बेल्ज्यिम, जर्मनी, जापान व दक्षिण कोरिया हैं। समूह सी में नीदरलैंड, मलेशिया, न्यूजीलैंड व चिली की टीम है। समूह डी में मेजबान भारत के साथ स्पेन, इंग्लैंड और वेल्स की टीमें हैं।

विश्व कप हाकी के पंद्रहवें संस्करण के खिताब की दावेदार टीमों की बात करें तो समूह ए से आस्ट्रेलिया व अर्जेंटीना को नाकआउट में आने में परेशानी नहीं होगी। समूह बी सबसे कठिन है, इसमें बेल्जियम व जर्मनी के आगे बढ़ने की पूरी संभावना है, लेकिन इन्हें जापान व कोरिया के खिलाफ सावधानी रखनी होगी। समूह सी सबसे आसान है, जिसमें नीदरलैंड व मलेशिया का आगे बढ़ना पक्का है। वहीं समूह डी में भी नाकआउट में पहुंचने के लिए तगड़ी मारामारी स्पेन, इंग्लैंड व भारत के बीच होगी।

फिर भी इस प्रतियोगिता में तीन बार की विजेता व दो बार की उपविजेता तथा तोक्यो ओलिंपिक की उपविजेता आस्ट्रेलिया, तीन बार की ही विजेता व चार बार की उपविजेता नीदरलैंड, दो बार विजेता व उपविजेता का कीर्तिमान रखने वाली जर्मनी का दावा सबसे ज्यादा मजबूत माना जा सकता है। इनके साथ ही गत विजेता व तोक्यो ओलिंपिक विजेता बेल्जियम को किसी भी स्तर पर कम नहीं आंक सकते। दो बार की उपविजेता स्पेन के साथ मलेशिया, एक बार की उपविजेता इग्लैंड व एक बार कांस्य पदक अपनी झोली में डाल चुकी अर्जेंटीना भी उलटफेर कर चैंकाने में कोई कमी नहीं रखेगी।

जहां तक मेजबान भारत की जीत की संभावना की बात करें तो अपनी मेजबानी में घरेलू दर्शकों के समर्थन के साथ भारतीय टीम अपना सफर पहले ही दिन 13 जनवरी को स्पेन के साथ मैच खेलकर करेगी। वहीं दूसरा मैच 15 जनवरी को इंग्लैंड के साथ होगा। यह दो मैच भारत के लिए अहम होंगे। इन दोनों मैच में जीत के बाद 19 जनवरी को वेल्स को हराने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

देखना है कि भारत में होने वाले इस विश्व कप में कप्तान हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व में मनदीप सिंह, ललित कुमार, अभिषेक व सुखजीत सिंह की अग्रिम पंक्ति अपने दबदबे से मध्यम पंक्ति के खिलाड़ी मनप्रीत सिंह, नीलकांत, हार्दिका सिंह, शमशेर व आकाशदीप से मिले पास को गोल में कितना बदल पाते हैं।

वहीं विपक्षी टीम के आक्रमण को नेस्तनाबूद करने की जिम्मेदारी रक्षापंक्ति के उपकप्तान अमित रोहिदास, सुरेंद्र कुूमार, वरुण कुमार व जरमनप्रीत सिंह पर रहेगी। वहीं कई साल से भारतीय गोल की दीवार बने गोलकीपर पीआर श्रीजेश पर सबकी निगाहें रहेंगीं। जिस तरह का प्रदर्शन कर भारत को ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने में श्रीजेश ने अहम भूमिका निभाई, वे खिताबी मुकाबले तक पहुंच कर 48 साल से खिताब का जो सपना अधूरा है, उसे पूरा करें।

विश्व कप के पटल पर अभी तक भारत केवल एक बार ही 1975 में कप्तान अजितपाल सिंह के नेतृत्व में पाकिस्तान को 2-1 से हराकर इस खिताब को अपने नाम कर पाया है। इसके अलावा भारत के अच्छे प्रदर्शन की बात करें तो पहले विश्व कप 1971 में केन्या को 2-1 से हराकर तीसरा व दूसरे विश्व कप 1973 में नीदरलैंड से फाइनल में 2-2 की बराबरी के बाद पेनल्टी स्ट्रोक में 4-2 से हारकर दूसरा स्थान प्राप्त करने में कामयाब रहा। इसके बाद भारत कभी सेमी फाइनल तक भी नहीं पहुंचा। पिछले विश्व कप 2018 में छठे नंबर पर रहा।

फिर भी हाकी प्रेमी इस बार भारत की दावेदारी को कुछ हद तक इसलिए मजबूत मान रहे हैं, क्योंकि कुछ साल में भारतीय टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दमखम दिखाकर सबको चौंकाया है। भारत ने तोक्यो ओलिंपिक में 1980 के बाद पहली बार न केवल सेमी फाइनल में प्रवेश किया, बल्कि जर्मनी को हराकर कांस्य पदक भी जीता।

भारत राष्ट्रमंडल खेल 2022 के फाइनल में कदम रखने में कामयाब रहा भले ही वह आस्ट्रेलिया से हारकर रजत पदक ही जीत पाया। इसके अलावा उसने एशिया कप हाकी 2022, एशियाई चैंपियंस ट्राफी 2021 व हाकी प्रो लीग 2021-22 में कांस्य पदक जीतकर अपनी विरोधी टीमों को चेताया है कि इस बार विश्व कप में उसे हल्के में लेने की भूल न करे।अब देखना है कि इस विश्व कप में भी भारतीय टीम के बांकुरे कोई पदक दिलवा कर हाकी प्रेमियों को खुशी दे पाते हैं या नहीं ?

दिलीप का विश्वास

1925 में गठित भारतीय हाकी महासंघ के 98 साल के सफर में पहले खिलाड़ी अध्यक्ष दिलीप टिर्की को भी पूरा विश्वास है कि इस विश्व कप में भारत जरूर विजेता बनने का अपना सपना पूरा करने में कोच ग्राहम रीड के मार्गदर्शन में कोई कमी नहीं रखेगा। लेकिन कुछ खिलाड़ियों व पूर्व कप्तान जफर इकबाल का मानना है कि आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, जर्मनी व बेल्जियम के रहते भारत के लिए 48 साल बाद खिताब जीतने के सपने को पूरा करना इतना आसान नहीं रहेगा।

भारतीय टीम सेमी फाइनल तक का सफर भी पूरा कर ले तो बड़ी बात होगी। कई दशक से हाकी के जादूगर दादा ध्यानचंद की प्रिय हाकी अपने आप से जूझ रही है। हाकी को पटरी पर लाने के लिए कई सार्थक प्रयास किए गए। विदेशी प्रशिक्षकों व सपोर्ट स्टाफ की सेवाएं लंबे समय से ली जा रही हैं।