रविचंद्रन अश्विन की गिनती उन भारतीय खिलाड़ियों में होती जो काफी दिमाग लगाते हैं और काफी चालाक हैं। हालांकि, दिग्गज स्पिनर का मानना है कि ‘ओवरथिंकिंग’ के टैग ने उन्हें नुकसान पहुंचाया है। इस वजह से उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी नहीं मिली। इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की घरेलू टेस्ट सीरीज में अश्विन ने 100 टेस्ट खेलने की उपलब्धि हासिल की। उन्होंने इस दौरान टेस्ट क्रिकेट में 500 विकेट भी पूरे किए। हालांकि, गेंदबाज के तौर पर बेहतरीन उपलब्धियों और विरोधियों को मानसिक रूप से मात देने की क्षमता के बावजूद अश्विन ने अपने करियर में टीमों का नेतृत्व का मौका काफी कम मिला है।
हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस के साथ आइडिया एक्सचेंज में यह पूछे गया कि क्या ‘ओवरथिंकर’ का ठप्पा उनके खिलाफ काम किया है? अश्विन ने कहा, “हर किसी के पास अलग-अलग तरीके होते हैं। जो तरीका मेरे लिए काम करता है, वह रविंद्र जडेजा के लिए काम नहीं करेगा। क्रिकेट समुदाय इसे वास्तव में सरल रखना पसंद करता है। जब तक बहुत जरूरत न हो, वे इसे सुधारने का प्रयास नहीं करता।”
मुझे केवल दो मौके मिलेंगे
अश्विन ने आगे कहा, ” मेरा ऐसा विचार है कि उस स्थिति तक पहुंचा ही न जाए, पहले ही इसे ठीक कर लिया जाए। ऐसा क्यों हो रहा है? यह ऐसा प्रश्न है, जिसे लोग नहीं जान पाते। इससे पहले कि वे सोचें कि मुझे इस पर ध्यान देना चाहिए, मैं उस पर ध्यान दे देता हूं। क्योंकि उनका सफर अलग है और मेरा अलग है उन्हें पांच अवसर मिल सकते हैं, लेकिन मुझे केवल दो ही मिलेंगे। मैंने इस तथ्य से समझौता कर लिया कि मुझे केवल दो ही मिलेंगे।”
मान लिया गया है कि कप्तान के तौर पर फिट नहीं होंगे
अश्विन ने कहा, ” ऐसा नहीं है कि मैं आज अपना एक्शन लूं। कल अगर मैं किसी टीम का नेतृत्व कर रहा हूं तो मैं जडेजा के पास जाऊं और उनसे कहूं कि उन्हें अपना एक्शन बदलना चाहिए। मैं इतना मूर्ख नहीं हूं। एक तरह से लोगों ने मान लिया कि ऐसा ही होगा। उन्होंने मान लिया है कि वह एक कप्तान के रूप में फिट नहीं बैठेंगे और यह काफी अनुचित मूल्यांकन है।”