प्रत्यूष राज। पिछले सप्ताह जब 27 वर्षीय तेजस्वी जायसवाल ने रणजी ट्रॉफी के अपने पहले सत्र में त्रिपुरा का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना पहला प्रथम श्रेणी अर्धशतक बनाया, तो उन्हें अपने छोटे भाई 22 वर्षीय यशस्वी जायसवाल से संदेश मिला। यशस्वी अभी ऑस्ट्रेलिया में हैं। बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए भारतीय टेस्ट टीम के लिए ओपनिंग करते दिखेंगे। अपने बड़े भाई को मैसेज में कहा, “तूने सब के लिए किया, अपने सपने को छोड़ा, बहुत त्याग किया, अभी तुम्हारा टाइम है, आनंद करो।”
तेजस्वी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बड़ौदा के खिलाफ 82 रन बनाने के बाद मैसेज के बाद जो फोन कॉल आया वह दोनों भाइयों के बीच एक भावनात्मक बातचीत थी। एक भारतीय क्रिकेट का उभरता हुआ सितारा था और दूसरा अपने पारिवारिक परिस्थितियों के कारण देर से उभरा। 2012 में उत्तर प्रदेश के भदोही में एक हार्डवेयर की दुकान के मालिक के बेटे जायसवाल बंधुओं ने क्रिकेटर बनने के लिए मुंबई का रुख किया। उन्होंने मुंबई के आजाद मैदान में ग्राउंड्समैन के टेंट को साझा किया, लेकिन केवल एक ही खेल में बढ़ाने का खर्च उठा सकता था।
तेजस्वी ने यशस्वी के लिए छोड़ा क्रिकेट
इसलिए 17 साल की उम्र में तेजस्वी ने यशस्वी के भारत का क्रिकेटर बनने के सपने को जिंदा रखने के लिए क्रिकेट छोड़ दिया। इधर यशस्वी ने एज ग्रुप क्रिकेट में रिकॉर्ड तोड़ना शुरू किया। उधर बड़ा भाई दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन में सजावटी लाइट बेचने वाली एक दुकान में सेल्समैन का काम करने लगा। वह यशस्वी को पॉकेट मनी भेजते थे। तेजस्वी ने अपनी दो बड़ी बहनों की शादी भी करा दी।
तेजस्वी क्यों गए दिल्ली
तेजस्वी ने कहा, “मैं भी क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। यशस्वी अच्छा खेल रहा था… इसलिए 2013 के अंत में मैंने मुंबई और क्रिकेट छोड़ दिया और दिल्ली चला गया, जहां एक रिश्तेदार दुकान चलाता है।” वित्तीय संघर्ष के अलावा, तेजस्वी पर मुंबई में क्रिकेट खेलते समय उम्र में धोखाधड़ी के आरोप भी लगे थे।
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उम्र में धोखाधड़ी के आरोप लगे
तेजस्वी ने कहा, “मैंने हैरिस शील्ड में एक मैच खेला और सात विकेट लिए। फिर लोगों ने कहना शुरू कर दिया कि मेरी एज वैरिफिकेशन की समस्या है। मुझे डेढ़ साल तक बेंच पर बैठना पड़ा। यशस्वी बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहा था और मैं नहीं चाहता था कि मेरी वजह से उसकी संभावनाओं पर असर पड़े। वैसे भी मुंबई हम दोनों के लिए बहुत महंगा था। हम दोनों के लिए दिन में दो बार खाना जुटाना मुश्किल हो रहा था। उस समय यशस्वी के कोच ज्वाला सर अभी तस्वीर में नहीं थे।”
2014 से 2021 तक क्रिकेट से दूर रहे तेजस्वी
तेजस्वी आखिरकार भदोही वापस आ गए और अब जब उनकी उम्र 30 के करीब है। क्रिकेट पूरी तरह से पीछे छूट चुका था। उन्होंने कहा, “2021 तक मेरी बहनों की शादी हो गई। यशस्वी को आईपीएल अनुबंध मिल गया। उसके बाद हमारी जिंदगी आसान हो गई।” यशस्वी चाहते थे कि उनके भाई को दूसरा मौका मिले। योजना थी कि वे त्रिपुरा चले जाएं मुंबई के बेहद प्रतिस्पर्धी सर्किट से दूर। इस कदम के तीन साल बाद तेजस्वी ने पिछले महीने मेघालय के खिलाफ अपना प्रथम श्रेणी डेब्यू किया। उन्होंने सात साल तक प्रतिस्पर्धी क्रिकेट नहीं खेला था। 2014 से 2021 तक वह क्रिकेट से दूर रहे। फिर भी उन्होंने इस अवसर का फायदा उठाया।
जम्मू जाते वक्त दिल्ली में रुके
तेजस्वी ने कहा, “यह नियति थी। मैंने त्रिपुरा जाने का फैसला किया। कॉलेज में दाखिला लिया। स्थानीय क्रिकेट खेला, रन बनाए, विकेट लिए और अब मैं प्रथम श्रेणी का क्रिकेटर हूं।” तेजस्वी ने रविवार (10 नवंबर) को जम्मू जाते समय दिल्ली में कुछ समय बिताया, जहां त्रिपुरा का अगला रणजी ट्रॉफी मैच जम्मू-कश्मीर के खिलाफ होना है। तेजस्वी ने कहा, “हमारी जम्मू (दिल्ली से) की फ्लाइट कैंसिल हो गई। अच्छी बात यह रही कि मुझे दिल्ली में अपने दोस्तों से मिलने का समय मिल गया। मैं अपनी पुरानी दुकान पर वापस गया। दिल्ली में भी बहुत कुछ बदल गया है।”
देखो यशस्वी जायसवाल का बड़ा भाई जा रहा है
हालांकि, तेजस्वी ने अपना नाम बनाना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें सबसे ज्यादा खुशी तब होती है जब लोग उन्हें यशस्वी का बड़ा भाई कहते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे अपने भाई पर बहुत गर्व है। मैं अपने भाई की वजह से फिर से क्रिकेट खेल रहा हूं। और मुझे खुशी होती है जब लोग कहते हैं कि वो देखो यशस्वी जायसवाल का बड़ा भाई जा रहा है।”