वेंकट कृष्ण बी। छह फुट नौ इंच लंबे तेज गेंदबाज निशांत सरनू ने शुक्रवार को गुजरात के खिलाफ हैदराबाद के लिए रणजी डेब्यू करके सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। पिछले साल, हैदराबाद के 19 वर्षीय खिलाड़ी ने वनडे वर्ल्ड कप में पाकिस्तान टीम के लिए नेट बॉलर का काम किया था। इस दौरान उन्होंने टीम के बॉलिंग कोच मोर्ने मोर्कल का ध्यान अपनी ओर खींचा था, जो अब भारत के साथ हैं।

इस साल की शुरुआत में जब भारत टेस्ट मैच के लिए हैदराबाद में था, तो निशांत ने कोच राहुल द्रविड़ का ध्यान अपनी ओर खींचा। पिछले आईपीएल में उन्होंने मुंबई इंडियंस में जसप्रीत बुमराह एंड कंपनी के साथ नेट बॉलर के रूप में काम किया था। निशांत का तीन साल पहले तक क्रिकेट से कोई वास्ता भी नहीं था। 2021 की शुरुआत में उनके क्रिकेट को अपनाने का एकमात्र कारण वजन कम करना था। उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “मैं बहुत मोटा था…और मेरा वजन 102 किलो था।”

आर श्रीधर के एकेडमी में ट्रेनिंग करते हैं निशांत

हैदराबाद में कोचिंग बियॉन्ड एकेडमी के निशांत प्रोडक्ट हैं, जिसे भारत के पूर्व फील्डिंग कोच आर श्रीधर चलाते हैं। उन्होंने कहा, “मैंने बैडमिंटन खेलने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुआ। मैंने टेनिस भी खेलने की कोशिश की, लेकिन यह कारगर नहीं रहा। इसलिए मैंने मनोरंजन के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया और उसके बाद सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि मुझे भी आश्चर्य होता है कि ‘आखिर हुआ क्या था?’ क्योंकि मुझे हमेशा लगता था कि मैं खेलों के लिए नहीं बना हूं।”

जसप्रीत बुमराह जैसा था एक्शन

निशांत की लंबाई के अलावा शुरुआती दिनों में गेंदबाजी एक्शन जसप्रीत बुमराह जैसा था। उन्होंने कहा, “मैं बुमराह के एक्शन की नकल करता था। जब आप पेशेवर नहीं होते हैं, तो आप अपने पसंदीदा गेंदबाज की नकल करने की कोशिश करते हैं। बेशक मेरे लिए यह आसान नहीं था क्योंकि मेरा ढांचा अलग था। लेकिन मैंने सोचा, इसे क्यों बदला जाए? एकेडमी में शामिल होने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपना खुद का बॉलिंग एक्शन अपनाना होगा।”

एक्शन पर किया काम

अगले 12 महीनों तक निशांत अपने लंबे कद के अनुरूप एक्शन खोजने पर काम किया। अनुभवी बॉलिंग कोच टीए शेखर भी उनकी मदद की। उन्होंने अपने रन-अप और लोड-अप पर काम किया ताकि मूवमेंट शरीर के करीब हो। बायोमैकेनिक्स की मदद से चोट से बचने के लिए एक्शन को ठीक किया। भारत के पूर्व बॉलिंग कोच भरत अरुण भी निशांत की प्रगति पर कड़ी नजर रखे हुए हैं।

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नहीं खेल पाएंगे अंडर-19 वर्ल्ड कप

साउथ अफ्रीका में 2024 अंडर-19 विश्व कप की अगुआई में निशांत ने चैलेंजर्स सीरीज और क्वाड्रैंगुलर सीरीज में हिस्सा लिया। हालांकि, उन्होंने केवल चार मैच खेले, लेकिन वे विकेट लेने वालों में शामिल थे। हालांकि, अंतिम समय में प्रवेश करने के कारण, वे वर्ल्ड कप के लिए जाने वाली टीम में जगह बनाने में असफल रहे। श्रीधर ने कहा, “उन्हें साउथ अफ्रीका जाना चाहिए था, क्योंकि लंबाई और उछाल के साथ, वे काफी घातक होते।”

आर श्रीधर ने क्या कहा?

श्रीधर ने कहा, “जब वह मैदान पर आया, तो वह रॉ था। लेकिन आप उसकी लंबाई से देख सकते हैं, अगर उसने सही कौशल हासिल किया, तो वह आगे बढ़ सकता है। लंबाई एक्स-फैक्टर थी। इसलिए हमने सिर्फ उसके एक्शन, लय और फिटनेस पर काम किया क्योंकि जब आप उसके जितने लंबे होते हैं, तो समन्वय थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हमने बॉडी कोऑर्डिनेशन पर काम किया और उसे तैयार किया। वह फील्डिंग में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। उसके एक्शन और डिलीवरी स्ट्राइड पर काम करना था और अच्छी बात यह है कि अरुण भी उस पर नजर रख रहा है। जब भी वह यहां होता है, वह अपनी गेंदबाजी पर काम करता है। अब वह रणजी ट्रॉफी टीम में जगह बना चुका है। अगर वह कुछ सीजन खेलता है और कड़ी मेहनत करता है,तो वह अगले स्तर के लिए तैयार हो जाएगा।”

हारिस राउफ से मिला प्रोत्साहन

जब निशांत नेट बॉलर थे तो पाकिस्तान के कुछ शीर्ष खिलाड़ियों ने उनका आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने कहा, “मेरे पास बहुत ज्यादा गति नहीं थी, लेकिन हारिस राउफ ने मुझसे कहा कि एक बार जब तुम 18 पार कर जाओगे, तो तुम और ज्यादा मांसपेशियां बना लोगे और गति अपने आप आ जाएगी। और यही हुआ। मोर्केल सर ने भी यही बात कही और मेरा फोन नंबर भी लिया।

मुंबई इंडियंस के नेट बॉलर

विजय मर्चेंट और कूच बिहार ट्रॉफी में खेलने के कारण निशांत को मुंबई इंडियंस के स्काउट्स ने देखा और अनुभवी बॉलिंग कोच टीए शेखर ने उन्हें पिछले आईपीएल के लिए नेट बॉलर के रूप में सुझाया। निशांत ने कहा, “यह सीखने का एक बड़ा दौर था। मैंने ज्यादातर समय गेराल्ड कोएट्जी से बात करते हुए बिताया… लेकिन सभी शीर्ष खिलाड़ियों को बॉलिंग करना वाकई खास था। मेरी लंबाई की वजह से, वे मुझे सीधे नहीं मार पा रहे थे। वे मुझे खेल रहे थे, जिसे देखना अच्छा था। मैंने अपनी धीमी गेंदों का इस्तेमाल किया, जिन्हें पीक करना मुश्किल था। अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।”