राजेंद्र सजवान
हाल ही में एक खेल प्रोत्साहन संस्था द्वारा आयोजित सेमिनार में एक बड़ा ही तीखा और अटपटा सा सवाल पूछा गया। सवाल था, 40 सालों में किस भारतीय खेल ने देश को सबसे ज्यादा शर्मसार किया है? खेल जानकारों और खिलाडियों में से ज्यादातर ने अपने-अपने खेलों का दुखड़ा रोया। किसी ने मार्शल आर्ट्स, जूडो, कराते, ताइक्वांडो तो किसी ने टीम खेलों बास्केटबाल, हैंडबाल, वालीबाल को कोसा। कुछ एक ऐसे भी थे जिन्होंने भारतीय हाकी के पतन का रोना रोया लेकिन एक बड़े वर्ग ने भारतीय फुटबाल को देश को शर्मसार करने वाला खेल बताया।
बेशक, जजों ने भी फुटबाल में आई गिरावट को देश के मान-सम्मान के साथ जोड़ा और बाकायदा तर्क दिया कि आखिर क्यों फुटबाल ने देश का नाम खराब करने में बाजी मारी है। निर्णायक मंडल ने देश के फुटबाल प्रेमियों को याद दिलाया कि कैसे साधन सुविधाओं कि कमी के बावजूद भारतीय खिलाडियों ने 1951 और 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीते थे। चार ओलिंपिक खेलों में भारतीय भागीदारी की चर्चा भी चली। लेकिन 40 सालों में भारतीय फुटबाल में आई गिरावट को किसी भी अन्य भारतीय खेल की तुलना में सर्वाधिक शर्मनाक करने वाला प्रदर्शन बताया।
देश के खेल प्रेमी जानते हैं कि 2022 फीफा वर्ल्ड कप के लिए चंद सप्ताह बचे हैं। पूरी दुनिया पर फुटबाल का नशा चढ़ चुका है। भले ही भारत की फुटबाल हैसियत बेहद फिसड्डी राष्ट्र की है लेकिन दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल को चाहने वाले यहां भी कम नहीं हैं। लाखों फुटबाल प्रेमी वर्ल्ड कप पर नजरें गड़ाए हैं लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस है कि उनका देश भाग नहीं ले पा रहा है।
जहां एक ओर हाकी में सालों बाद वापसी की उम्मीद नजर आई है तो कुछ अन्य खेलों में भी हालात सुधर रहे हैं लेकिन फुटबाल ही एकमात्र ऐसा खेल है, जिस पर देश का करोड़ों रुपए लगाया गया ह, फिर भी कहीं कोई सुधार की गुंजाइश दिखाई नहीं पड़ती। जो देश एशिया के पहले पांच देशों में शामिल था और जिसके खिलाडी यूरोप के देशों को कड़ी टक्कर देते थे उसका हाल यह है कि एशियाई खेलों में भाग लेने तक का मौका नहीं मिल पाता। सबसे अफसोस की बात यह है कि भारतीय फुटबाल को संचालित करने वाले फेडरेशन और उसके कर्णधार तमाम सीमाएं लांघ चुके हैं।
वर्षों से विदेशी कोचों को पालने वाले फेडरेशन का हाल यह है कि उसका अध्यक्ष कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है और कुर्सी छोड़ने के लिए कतई तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में हाल में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा भी कि फुटबाल महासंघ के अध्यक्ष तीन कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और अब उनका बना रहना देश की खेल संहिता का उल्लंघन है और महासंघ के चुनाव होना जरूरी हैं।
हाल ही में जारी फीफा रैंकिंग के आधार पर भारत 106वें स्थान तक गिर चुका है और आगे भी किसी सुधार की उम्मीद नहीं है। जूनियर, सीनियर और तमाम वर्गों में भारतीय टीमें लगातार पिट रही हैं और देश के लिए अपयश कमा रही हैं। यह कहानी देश को शर्मसार करने वाली ही है।