रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) ने एक नई चयन नीति पेश की है, जिसके तहत नेशनल चयन के लिए नेशनल कैंप में शामिल होना अनिवार्य है। पहलवानों की निजी ट्रेनिंग पर रोक लगा दी गई है और ओलंपिक का कोटा जीतने वाले एथलीटों को एक-बाउट चयन ट्रायल में शामिल होना जरूरी है। इस पॉलिसी पर अहमदाबाद में नेशनल चैंपियनशिप के दौरान डब्ल्यूएफआई की हाल ही में हुई जनरल काउंसिल मीटिंग में चर्चा हुई और मंजूरी दे दी गई। इसे फीडबैक और रिव्यू के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) को भी पेश किया गया था।
नेशनल कैंप नहीं तो इंडिया जर्सी नहीं
नेशनल कोचिंग कैंप के तहत नीति में कहा गया है, “नेशनल कोचिंग कैंप में हिस्सा लेना सभी पहलवानों के लिए जरूरी है, जिसमें एलीट और जाने-माने एथलीट भी शामिल हैं। कैंप के लिए योग्य होने के लिए पहलवान ने उस साल की नेशनल चैंपियनशिप में मेडल जीता होना चाहिए। एक बार चुने जाने के बाद, पहलवानों को सिर्फ तय नेशनल कैंप में ही ट्रेनिंग करनी होगी। किसी भी एथलीट को किसी दूसरी जगह पर अकेले ट्रेनिंग करने की इजाजत नहीं है।”
विनेश फोगाट को घरेलू स्तर पर खुद को साबित करना होगा
इसका मतलब है कि संन्यास से वापसी घोषणा करने वालीं विनेश फोगाट को नेशनल टीम में जगह बनाने के लिए घरेलू स्तर पर खुद को साबित करना होगा। पॉलिसी में यह साफ किया गया है कि कैंप में शामिल न होने पर पहलवान “चयन ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए अयोग्य” हो जाएगा। पॉलिसी में रिजर्व पहलवानों की एक लिस्ट रखने का भी प्रावधान किया गया है, जिन्हें चुने गए एथलीट के चोटिल होने पर नेशनल ड्यूटी के लिए बुलाया जाएगा।
किसी को भी ट्रायल्स में छूट नहीं
डब्ल्यूएफआई की पॉलिसी में यह साफ है कि चयन ट्रायल के लिए पिछले परफॉर्मेंस पर विचार नहीं किया जाएगा। डब्ल्यूएफआई के एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया, “हम किसी को भी ट्रायल्स में छूट नहीं देने वाले हैं। कोई भी एथलीट पिछली उपलब्धियों के भरोसे नहीं बैठ सकता। पहले कुछ एथलीटों ने छूट मांगी थी, जो उभरते हुए पहलवानों के लिए सही नहीं है। डब्ल्यूएफआई सभी को बराबर मौका देगा।” पॉलिसी में बताया गया है कि योग्य होने के लिए पहलवान को संबंधित साल में नेशनल चैंपियनशिप, फेडरेशन कप और कोई भी दूसरी डब्ल्यूएफआई मान्यता प्राप्त प्रतियोगिता में कम से कम एक मेडल जीता होना चाहिए।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए चयन ट्रायल जरूरी
पॉलिसी में यह भी कहा गया है कि ओलंपिक, एशियन गेम्स, कॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप और वर्ल्ड चैंपियनशिप जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगाताओं में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली टीमों के लिए ट्रायल जरूरी हैं। ट्रायल का मकसद सही मौका देना, फॉर्म और फिटनेस का आकलन, पारदर्शिता, जवाबदेही और योग्यता के आधार पर प्रतिनिधित्व देना है। डब्ल्यूएफआई ने जोर देकर कहा कि ओलंपिक कोटा देश को दिया जाता है, न कि किसी एक एथलीट को और उसे ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए ट्रायल कराने का अधिकार है। डब्ल्यूएफाई ने साफ किया कि कोटा जीतने वाला शुरुआती ट्रायल में हिस्सा नहीं लेगा और ट्रायल के विनर से मुकाबला करेगा और अगर वह हार जाता है तो उसे कोटा वापस पाने का दूसरा मौका दिया जाएगा।
डब्ल्यूएफाई के अध्यक्ष करेंगे चयन समिति की अध्यक्षता
चयन समिति की अध्यक्षता डब्ल्यूएफाई के अध्यक्ष करेंगे। इसमें सेक्रेटरी जनरल या वाइस प्रेसिडेंट भी शामिल होंगे और उस डिसिप्लिन के चीफ कोच और विदेशी कोच के अलावा कोई द्रोणाचार्य/अर्जुन/ध्यानचंद अवॉर्ड विनर भी होगा। इसके अलावा, चीफ कोच अनुशासनहीनता या खराब अटेंडेंस के कारण किसी पहलवान को ट्रायल्स से बाहर करने की सिफारिश कर सकते हैं। चयन समिति इस सिफारिश को मान सकती है और डब्ल्यूएफाई के पास अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिया के दौरान ज्यादा वजन वाले पहलवानों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार सुरक्षित है। डब्ल्यूएफआई ने हाल ही में पेरिस गेम्स के ब्रॉन्ज मेडल विनर अमन सहरावत को ज्यादा वजन होने के कारण बैन कर दिया था, लेकिन बाद में बैन हटा लिया।
