वीरेंद्र सहवाग जब पहली बार इंग्लैंड दौरे पर गए थे, तब उन्हें एक अंग्रेज के कारण टीम बस से उतरना पड़ा था। उन्होंने तब खुद को बहुत अपमानित महसूस किया था और इस कारण वह गुस्से से तमतमा गए थे। हालांकि, उसके बाद उन्होंने एक ऐसा काम किया, जिसके बाद से कोई भी अंग्रेज किसी भी भारतीय क्रिकेटर को टीम बस से उतारने की कोशिश नहीं कर पाया। जी हां, वीरेंद्र सहवाग ने सोशल मीडिया पर अपने शो वीरू की बैठक में खुद यह घटना सुनाई है।
सहवाग से उदयपुर (राजस्थान) के पलक नहाटा ने पूछा, ‘वीरू पाजी, आपने इतने इंटरनेशनल टूर किए हैं। उसमें से एक घटना शेयर कीजिए, जो बहुत रोचक हो।’ इस पर सहवाग ने कहा, ‘मैंने इतने टूर किए हैं कि उनमें से एक किस्सा निकालना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन एक मेरे पहले टूर का किस्सा है, जब हम लोग इंग्लैंड गए थे।’ सहवाग ने कहा, ‘मैं पहली बार इंग्लैंड गया। उससे पहले मैंने इंडिया में सीरीज खेली थी। श्रीलंका और जिम्बाब्वे में सीरीज खेली थी, लेकिन इंग्लैंड का वह मेरा पहला टूर था। बाकी जगह या इंडिया में जब आप ट्रैवल कर रहे होते हैं तो आपका लगेज लुकऑफ्टर किया जाता है। मतलब आप टीम बस में बैठते हो और चले जाते हो। आपका लगेज कोई और लेकर आता है होटल में आपके कमरे तक, इसलिए आप एयरपोर्ट पर रुकते नहीं हैं।’
सहवाग ने बताया, ‘जब हम इंग्लैंड पहुंचे, तो लैंड करने के बाद इमीग्रेशन से बाहर गए। वहां पर हमें अपना लगेज खुद ही उठाना था, लेकिन यह बात मुझे पता नहीं थी। इसलिए मुझे लगा जैसा हर जगह होता है वैसा यहां पर भी होगा। मैंने अपने कान पर ईयर फोन लगाया और बस में अपनी सीट पर आकर बैठ गया। तभी वहां पर जो हमारा लोकल मैनेजर था, वह मेरे पास आया और मुझसे कहा दोस्त तुम्हें अपना लगेज खुदा उठाना होगा। मैंने कान से ईयरफोन हटाए और पूछा क्या? उसने कहा, तुम्हें अपना लगेज खुदा उठाना होगा। हम तुम्हारे नौकर नहीं हैं।’
सहवाग ने बताया, ‘यह सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने कहा हम इंडिया से आए हैं। स्टार हैं, हमारी कितनी फैन फॉलोइंग है। हमें इतनी इज्जत मिलती है भारत में और यहां यह गोरा कह रहा है कि अपना लगेज खुद उठाओ। अंततः मुझे बस से उतरना पड़ा। हालांकि, जब मैं लगेज काउंटर पर पहुंचा तो देखा वहां लाइन में सब लगे थे, तेंदुलकर, गांगुली, द्रविड़, श्रीनाथ, कुंबले, युवराज सिंह, जहीर खान, आशीष नेहरा, हरभजन सिंह। सब लाइन में खड़े हैं और अपने सामना का इंतजार कर रहे हैं।’
सहवाग ने बताया, ‘खैर मैंने भी अपना सामान उठाया। ट्रॉली पर रखा और बस के आगे वहां पर छोड़कर चला गया।’ इस पर उस लोकल मैनेजर ने फिर सहवाग से कहा, ‘नहीं, तुम इसे यहां नहीं बस में रखो।’ इस पर वीरू गुस्सा हो गए। सहवाग ने कहा, ‘यह मेरा काम नहीं है। मैं यह क्रिकेट खेलने आया हूं। यह तुम्हारा काम है। तुम इसे उठाओ और इसे डिग्गी में ले जाकर रखो। मुझे कोई परवाह नहीं है और मैं बस के अंदर चला गया। इकलौता मैं ऐसा खिलाड़ी था, जिसने सामान उठाकर बस में नहीं रखा था। बाकी सब अपना सामान बस में रख रहे थे।’
सहवाग ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वह पहली और आखिरी बार था, जिस पर खिलाड़ियों ने खुद अपना सामान उठाकर रखा था, क्योंकि उसके बाद जब-जब हम इंग्लैंड गए, या जब ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण अफ्रीका गए तो हमारे लिए पहले से ही ऑर्गनाइज होता था या हमारे लिए एक ट्रैवल मैनेजर सफर करते थे, जो हमारे लगेज को लुकऑफ्टर (देखभाल) करते थे।’


