क्रिकेट में रन नहीं बनत हैं तो बल्लेबाज दबाव में चला जाता है। आत्मविश्वास खो जाने के कारण वह आगे के कुछ मैचों में भी रन बना पाता है। उसी तरह गेंदबाजों की बात करें तो लगातार दो-तीन मैचों में विकेट नहीं मिलने पर उसकी लाइन-लेंग्थ खराब हो जाती है। बल्लेबाज और गेंदबाज ज्यादा से ज्याद प्रैक्टिस कर फॉर्म में वापस लौटना चाहते हैं, लेकिन वीरेंद्र सहवाग की बात अलग है। टेस्ट में दो तिहरे शतक लगाने वाले सहवाग के जब रन नहीं बनते थे तो वे भजन गाने लगते थे।

सहवाग ने कपिल शर्मा के शो पर इस बारे में बताया था। उन्होंने कहा था, ‘‘मेरी सोच बस यही रहती थी कि गेंद सामने आए तो उसे बाउंड्री के बाहर पहुंचा दो। इस सोच के कारण कभी-कभी आउट भी हो जाता था। तो उस सोच को दूर करने के लिए कभी-कभी गाने भी गाने लगता था। गानों का ये किस्सा होता था कि रन नहीं बनते थे तो मैं भजन गाता था और जब रन बनने शुरू हो जाते थे तो बॉलीवुड पर आ जाता था। कभी चिट्टियां कलाइयां तो कभी शीला की जवानी गाता था।’’

बचपन में घरों के शीशा तोड़ने के सवाल पर सहवाग ने कहा, ‘‘मैंने बचपन कई शीशे तोड़े थे। हमारा परिवार काफी बड़ा था। परिवार 52 या 55 लोगों का होता था। मेरे पिता के 5 बड़े भाई थे। उनके 4-4, 5-5 बच्चे सबके थे। कई सारे भाई-बहन हमलोग थे। हमलोग हॉकी, क्रिकेट या फुटबॉल घर पर ही खेलते थे। इस दौरान कई शीशे तोड़े थे। ताऊजी गेंद छुपा देते थे। वे गेंद देते ही नहीं थे। फिर हमलोग चप्पलों से खेलने लगते थे।’’

सहवाग ने 2004 में पाकिस्तान के खिलाफ 309 रन की पारी मुल्तान में खेली थी। उस दौरे के बाद उनकी शादी हो गई थी। कपिल ने पूछा कि आपका रूटिन का बैटिंग था या आप किसी साथी ओपनर के शून्य पर आउट होने का बदला ले रहे थे। कपिल ने इस दौरान नवजोत सिंह सिद्धू का मजाक उड़ाया था। 1990 में वकार यूनिस ने सिद्धू को शून्य पर आउट कर दिया था। सहवाग ने 104 टेस्ट में 23 शतक की बदौलत 8586 रन बनाए थे। उनका उच्चतम स्कोर 319 रन था। इस दौरान उनका औसत 49.3 का था।