Dav Whatmore On Virat Kohli: 2008 के अंडर-19 विश्व कप में भारतीय टीम के कोच रहे डेव व्हाटमोर ने खुलासा किया है कि विराट कोहली इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की अपनी पहली सैलरी से एक कार खरीदना चाहते थे। व्हाटमोर ने कोहली के साथ बिताए दिनों को याद करते हुए यह राज खोला है।

विराट कोहली को आईपीएल के उद्घाटन संस्करण यानी 2008 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर ने खरीदा था। विराट कोहली ने उसी साल मलेशिया में हुए आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में भारत की कप्तानी की थी। भारतीय टीम उस साल अंडर-19 वर्ल्ड कप चैंपियन बनी थी।

व्हाटमोर ने इंडियन एक्सप्रेस के संदीप जी (Sandip G) से बातचीत के दौरान तत्कालीन दिल्ली के 18 साल के दाएं हाथ के खिलाड़ी के बारे में कुछ दिलचस्प बातें शेयर कीं। व्हाटमोर ने कहा, ‘जब विराट कोहली अंडर-19 टीम के कप्तान बने तो मैंने उन्हें नोटिस करना शुरू कर दिया। वह युवा थे, लेकिन जानते थे कि एक टीम को कैसे संगठित करना है और कैसे अपने साथी क्रिकेटर्स से उनका सर्वश्रेष्ठ हासिल करना है।’

व्हाटमोर ने बताया, ‘कोहली अक्सर एक शानदार क्षेत्ररक्षण प्रयास या एक अच्छी पारी के साथ हमेशा सामने से नेतृत्व करता था। मैदान पर, वह भावुक हो सकता है, लेकिन अंदर ही अंदर वह हमेशा शांत रहता था। खेल को खूबसूरती से पढ़ता था। वह जानता था कि खुद और अपने आसपास के लोगों से क्या हासिल करना है। मुझे नहीं पता कि उसने ड्रेसिंग रूम में क्या किया, लेकिन जो भी किया उसने काम किया और हमने एक भी मैच गंवाए बिना विश्व कप जीत लिया।’

व्हाटमोर ने बताया, ‘बाद में, विराट कोहली भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक बन गए। कोहली उन बच्चों की तरह नहीं थे जो हमेशा कुछ न कुछ सलाह लेते थे। अक्सर, वह खुद ही समाधान ढूंढते। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी की खामियों को खत्म करने के लिए कड़ी मेहनत की। तकनीक और अन्य चीजों के बारे में हमारे बीच हुई बातचीत सटीक और पॉइंट तक ही सीमित थी।’

व्हाटमोर ने कहा, ‘कोहली ने जो सवाल पूछे वे सीधे और स्पष्ट थे, जैसे वह अपने खेल को अंदर से जानते थे। एक बार, उन्होंने मुझसे कहा कि वह नाखुश हैं, क्योंकि अक्सर शुरुआत करने के बाद आउट हो जाते हैं। वह तेजी से 30 या 40 रन बनाते और अक्सर लापरवाह शॉट खेलते हुए आउट हो जाते। कोहली ने मुझे बताया कि उसे लगता है कि वह ज्यादा आक्रामक था, लेकिन खुद को नहीं रोक पाता।’

व्हाटमोर ने कहा, ‘वह इस बात को लेकर असमंजस में थे कि बड़े शॉट कब खेलना शुरू करें। मैंने उनसे कहा कि वह पहले से ही तेज गति से बल्लेबाजी कर रहे हैं तो फिर 40वें ओवर तक और तेज खेलने की जरूरत नहीं है। मेरी सलाह सीधी थी, 40वें ओवर तक सामान्य खेल खेलें, खेल की स्थिति का आकलन करें और फिर रफ्तार बढ़ाएं। तरीका काम कर गया, उसने उन बड़ी पारियां खेलनी शुरू कर दीं और शानदार खेल भावना दिखाई। अब वह जानता है कि कब रन रेट बढ़ाना है और कब नहीं।’

व्हाटमोर ने कहा, ‘जैसा कि सभी को पता होगा कि कोहली हमेशा कुछ न कुछ करते रहते थे। जब वह बल्लेबाजी नहीं करते होते तो नेट्स के किसी कोने में अपना हाथ घुमा रहे होते थे या अन्य बल्लेबाजों को कुछ थ्रो-डाउन दे रहे होते थे। वह बेहद मेहनती थे। वह नेट्स पर पहुंचने वाले पहले और छोड़ने वाले आखिरी व्यक्ति होते थे। वह बल्लेबाजी करते रहते और गेंदबाजों को थका देते। लेकिन हर किसी ने उनकी भूख देखी, वह हमेशा सुधार करते रहना चाहते थे।’