भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज के दौरान सीमित संख्या में दर्शकों को मैदान में प्रवेश की मंजूरी दी है। सिडनी में 7 जनवरी से तीसरा टेस्ट मैच होना है। वहां भी 20 हजार फैंस को स्टेडियम में आने की मंजूरी है। वहीं क्रिकेटर्स के लिए होटल क्वारंटीन का नियम लागू है। भारतीय क्रिकेट टीम को इस ‘भेदभावपूर्ण’ कानून को लेकर आपत्ति है। उसकी दलील है कि जब टीम का हर खिलाड़ी का कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है, तब उन्हें फिर से होटल क्वारंटीन में भेजने का कोई औचित्य समझ में नहीं आता है।
रविवार (3 जनवरी) को पूरे भारतीय दल का कोविड-19 का परीक्षण किया गया। सभी की रिपोर्ट्स निगेटिव आईं हैं। अब टीम इंडिया के सभी खिलाड़ी सोमवार (4 जनवरी) दोपहर (ऑस्ट्रेलियाई समयानुसार) मेलबर्न से सिडनी के लिए उड़ान भरेंगे। वेबसाइट ‘क्रिकबज’ ने टीम इंडिया में अपने एक सूत्र के हवाले से बताया कि यदि हर किसी का टेस्ट निगेटिव है तो फिर उन्हें शेष दौरे के लिए ‘होटल क्वारंटीन’ रखने की कोई जरूरत नहीं हैं। मेहमान टीम चाहती है कि उसके साथ ‘सामान्य ऑस्ट्रेलियाई’ की तरह व्यवहार किया जाए। हालांकि, टीम इंडिया ने यह भी वादा किया कि वे ‘सरकारी प्रोटोकॉल’ का पालन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उसी तरह से जैसे संबंधित प्रांत के बाकी सभी लोगों को पालन करना होगा।
टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने सूत्र को बताया, ‘हमें लगता है कि यह विरोधाभासी है। यदि आप प्रशंसकों को मैदान में आने और उन्हें आनंद लेने की स्वतंत्रता दे रहे हैं तो फिर हमें होटल और क्वारंटीन में वापस जाने के लिए क्यों कह रहे हैं? वह भी तब जब हमारा कोरोना टेस्ट निगेटिव आया है। हम नहीं चाहते कि हमारे साथ चिड़ियाघर के जानवरों की तरह व्यवहार किया जाए।’
सूत्र ने खिलाड़ियों के हवाले से बताया, ‘यह वही बात है, जिसे हम शुरू से ही कह रहे हैं। हम उसी तरह के नियम का पालन करना चाहते हैं, जैसे देश के हर ऑस्ट्रेलियाई नागरिक के लिए निर्धारित है। यदि मैदान के अंदर भीड़ की अनुमति नहीं थी, तब तो हमें समझ में आता है कि आप हमें होटल के अंदर क्वारंटीन रहने के लिए कहें।’
सूत्र ने यह भी खुलासा किया कि ब्रिस्बेन टेस्ट को लेकर क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की मेडिकल टीम से पिछले हफ्ते उन्हें आखिरी जानकारी मिली थी। उसमें कहा गया था कि वे अपने संबंधित फ्लोर्स को नहीं छोड़ सकते। हालांकि, टीम इंडिया ने उनकी उस शर्त को मानने से तत्काल ही इनकार कर दिया था।