प्रत्युष राज। अंडर-19 वर्ल्ड कप 2024 में राज लिम्बानी की इन-स्विंग गेंदबाजी ने सभी का ध्यान खींचा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में दाएं हाथ का यह तेज गेंदबाज भारत का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज था, जिसने 38 रन देकर 3 विकेट लिए। हालांकि, भारत खिताब की रक्षा नहीं कर पाया। रेयान हिक्स और चार्ली एंडरसन को अंदर आती गेंद पर एलबीडब्ल्यू करने से पहले लिम्बनी ने सैम कोन्स्टास को क्लीन बोल्ड किया। टूर्नामेंट में उन्होंने 11 विकेट लिए। इनमें से अधिकांश विकेट अंदर आती गेंद पर आए।

लिम्बनी के पास शुरू नहीं इन-स्विंगर

हालांकि, लिम्बनी के कोच दिग्विजय सिंह राठवा का कहना है कि शुरुआत में उनके पास इन-स्विंगर नहीं था। उन्हें पिछले साल इसमें महारत हासिल करने के लिए काम करना पड़ा। राठवा ने लिम्बनी को लेकर द इंडियन एक्सप्रेस से बताया, “उनकी ताकत हमेशा आउटस्विंगर रही है। इरफान पठान उनकी गति से प्रभावित थे, लेकिन वह चाहते थे कि वह अपनी इनस्विंग पर भी काम करें ताकि उन्हें पढ़ने में और दिक्कत हो।”

लिम्बानी असमंजस में थे

राठवा को पता था कि 18 साल की उम्र में किसी के लिए नई कला सीखना बहुत मुश्किल होगा। लेकिन उन्हें नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में अपना लेवल 1 कोर्स करते समय भारत के पूर्व गेंदबाजी कोच भरत अरुण की बात याद की। उन्होंने कहा, “भरत अरुण सर कहते थे कि तेज गेंदबाजों के साथ बहुत धैर्य रखना होता है।” लिम्बानी असमंजस में थे और थोड़ा चिंतित थे कि अगर उन्होंने इन-स्विंगर पर काम किया तो गेंदबाजी गड़बड़ न हो जाए, लेकिन उनके पास राठवा जैसा गुरु था, जिसने अपने करियर में कई दुर्भाग्य झेले हैं।

हार्दिक पंड्या और दीपक हुडा के बैचमेट हैं राठवा

हार्दिक पंड्या और दीपक हुडा के बैचमेट 28 वर्षीय राठवा एक साल से वेंटिलेटर पर थे। उन्होंने इसे लेकर बताया, “मैं अंडर-16 और अंडर-19 क्रिकेट में बड़ौदा के लिए ओपनिंग करता था। 2015 में मुझे जीबीएस (गुइलेन-बैरी सिंड्रोम) हो गया, जो भारत में एक बहुत ही दुर्लभ बीमारी है। मैं सिर्फ 19 साल का था और एक साल तक सूरत के महावीर अस्पताल में वेंटिलेटर पर था। मैंने राज से कहा मुझे देखो मैं मौत से लड़कर वापस आ गया और यहां तुम अपनी गेंदबाजी के बारे में चिंता कर रहे हो। कम से कम इसे आजमाकर देखो।”

8 महीने में सीखी कला

राठवा के आश्वासन के साथ लिम्बनी चुनौती लेने के लिए तैयार थे और अगले आठ महीनों तक उन्होंने अपनी इनस्विंग पर काम किया। राठवा हंसते हुए कहते हैं, “हमने इसे मई में शुरू किया था। पहले 40 दिनों तक उन्होंने बिना किसी रन-अप के अपनी क्रीज से गेंदबाजी की। फिर अगले 60 दिन तक उन्होंने पांच गति से गेंदबाजी की। इसमें समय लगा क्योंकि इस बीच वह कूच बिहार ट्रॉफी और वीनू मांकड़ ट्रॉफी खेल रहे थे फिर अंडर-19 चैलेंजर्स भी। एशिया कप से पहले उन्होंने अपने पूरे रन-अप से गेंदबाजी करना शुरू कर दिया था। उन्हें खुशी थी कि बिना गति खोए उन्होंने एक नई कला सीख ली और मुझे एक कोच के रूप में भी राहत मिली।”

राज लिम्बानी की मानसिकता की सराहना

राठवा ने राज की मानसिकता की भी सराहना की। वह कहते हैं कि उनकी गति के अलावा पठान उनके रवैये से भी प्रभावित थे। उन्होंने कहा, ” इरफान भाई ने कहा कि उनमें क्षमता है और उनकी समझ अच्छी है। थोड़े से मार्गदर्शन के साथ वह कुछ वर्षों में अच्छे गेंदबाज बन सकते हैं। वर्ल्ड कप में जाने से पहले इरफान भाई ने उनके साथ एक हफ्ता बिताया। उन्होंने उन्हें दक्षिण अफ्रीकी परिस्थितियों में गेंद डालने के तरीके और वहां अच्छी लेंथ पर गेंद डालने के महत्व के बारे में सुझाव दिए। मुझे लगता है कि उसने बहुत अच्छा काम किया, जिसमें वह छक्का भी शामिल है जो उसने सेमीफाइनल में बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर लगाया था।”

141 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद

राठवा ने कहा, “वह लगातार 135 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद करते हैं और नेशनल क्रिकेट एकेडमी में उन्होंने दो बार 141 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद की है। उनके स्वदेश लौटने पर हम उनकी बल्लेबाजी के साथ-साथ गति पर भी काम करेंगे।” राठवा को लगता है कि लिम्बनी प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना चाहते हैं और अपने अंडर-16 दिनों से ही वर्कलोड मैनेजमेंट के बारे में बात करेंगे।

लाल गेंद से गेंदबाजी करना पसंद

राठवा ने कहा, “उन्हें लाल गेंद से गेंदबाजी करना पसंद है। विश्व कप में जाने से पहले भी वह लाल गेंद से गेंदबाजी करते थे। अपने अंडर-16 दिनों के दौरान वह वर्कलोड मैनेजमेंट के बारे में बात करते थे। वह इस पहलू से वाकिफ हैं। उन्होंने 2022-23 सीजन में कूच बिहार ट्रॉफी में छह मैचों में लगभग 200 ओवर फेंके। यह किसी भी तेज गेंदबाज द्वारा सबसे ज्यादा था। उन्हें लंबे स्पैल में गेंदबाजी करने में भी मजा आता है। वह आईपीएल वाली पीढ़ी से हैं, लेकिन जब क्रिकेट की बात आती है तो वह बहुत पुराने जमाने के हैं।”

पिता ने फाइनल देखने के लिए ली थी छुट्टी

कच्छ के दयापार में वसंतभाई पटेल ने एक दिन की छुट्टी ली और अपने घर पर 50 से अधिक लोगों के साथ अपने बेटे को अंडर-19 विश्व कप फाइनल खेलते हुए देखा। जब अपना आठवां ओवर फेंकते समय राज को अपनी हैमस्ट्रिंग में दिक्क महसूस हुई तो थोड़ी चिंता हुई। उन्होंने कहा, “फाइनल है मुझे मालूम था एक पैर पर भी बॉलिंग डालेगा। इसके लिए उसने मेहनत की है। मुझे नहीं लगता कि क्रिकेट को छोड़कर उसकी कभी कोई अन्य योजना रही होगी। मुझे खुशी है कि वह अपना सपना जी रहा है।”