भारत में अब तक कितने ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने ओलंपिक में इंडिविजुअल इवेंट में 2 मेडल जीते हैं? यह सवाल सुनते ही हमारे जेहन में 4 नाम आते हैं। सुशील कुमार, नीरज चोपड़ा, पीवी सिंधू और मनु भाकर। पीवी सिंधू ने रियो ओलंपिक में सिल्वर मेडल और टोक्यो में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। हालांकि, पेरिस ओलंपिक 2024 में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और इतिहास रचने से चूक गईं। मतलब वह भारत की पहली 3 बार की ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं बन पाईं।
पीवी सिंधू की हालिया फॉर्म भी बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन वह इससे जरा सा भी हतोत्साहित नहीं हैं। वह फिर से दमदार वापसी के लिए तैयार हैं। इसके लिए वह खेल में बदलाव के साथ तालमेल बिठाने के लिए संयम और ताकत पर काम कर रही हैं। गुरुवार 26 जून 2025 को बेंगलुरु स्थित स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) आईं पीवी सिंधू ने पत्रकारों को बताया कि लंबे समय तक कोर्ट पर टिके रहने के लिए उन्हें अपनी शारीरिक फिटनेस और सहनशक्ति पर नजर रखने की जरूरत है।
पीवी सिंधू यहां अपने घुटने, कूल्हे और कंधे की मांसपेशियों की शक्ति और ताकत का आकलन करने तथा आइसोकाइनेटिक परीक्षण कराने के लिए आईं थीं। बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू ने कहा, ‘मैं यहां कई बार आई हूं। हर बार SAI बेंगलुरु ने मेरी पूरी मदद की है। मेरे पापा भी वॉलीबॉल खिलाड़ी थे और तब भी वह यहां आते थे, लेकिन अब की सुविधाएं कहीं ज्यादा बेहतर हो चुकी हैं।’
पिछले 5 साल में गेम बहुत बदल गया
यह पूछे जाने पर कि पिछले 5 साल में आपने अपनी ट्रेनिंग में कितना बदलाव किया है, पीवी सिंधू ने कहा, ‘मेरा मानना है कि पिछले 5 साल में गेम बहुत बदल गया है। शुरुआत में यह बहुत अटैकिंग और फास्ट रैली का हुआ करता था, लेकिन अब लंबी-लंबी रैली देखने को मिलती हैं, गेम भी थोड़ा स्लो हुआ है, इसलिए मुझे भी अपने खेल में बदलाव करने की जरूरत पड़ी।’
मैं भी अपना खेल बदल रही हूं
पीवी सिंधू ने कहा, ‘…तो मैं इस पर काम कर रही हूं। जब-जब भी खेल बदलता है तो हमें खुद में बदलाव करने की जरूरत होती है। मैं भी अपना खेल बदल रही हूं। इसमें समय लग सकता है लेकिन हर बार ऐसा करना जरूरी है। उदाहरण के लिए पहले मैं बहुत अटैक करती थी, लेकिन अब हर एथलीट डिफेंस से अच्छा है, तो हम इस बात पर काम कर रहे हैं कि रैली को बनाए रखने के लिए मुझे कितना धैर्य रखना होगा, मान लें कि 30 स्ट्रोक या 40 स्ट्रोक। मुझे लंबे समय तक कोर्ट में टिके रहने के लिए अपनी शारीरिक फिटनेस और सहनशक्ति पर नजर रखने की जरूरत है। यह अच्छा है कि इरवान्स्याह आए हैं और मुझे प्रशिक्षित कर रहे हैं।’
गेम के साथ खुद में बदलाव करना होगा
नए कोच इरवान्स्याह के साथ ट्रेनिंग के साथ क्या फर्क पड़ा के सवाल पर सिंधू ने बताया, ‘वुमन्स सिंगल्स का गेम बहुत बदल गया है। यह बहुत डिफेंसिव (रक्षात्मक) हो गया है। लंबी-लंबी रैलियां और लंबे-लंबे मुकाबले, इसलिए मैं अधिक संयम और ताकत पर काम कर रही हूं, ताकि लंबी रैलियां कंटिन्यू कर सकूं, क्योंकि जब भी गेम चेंज होता है तो हम अपनी पुरानी शैली पर अड़े नहीं रह सकते हैं। हमें गेम के साथ खुद में बदलाव करना होगा।’ आगामी टूर्नामेंट्स के लिए पीवी सिंधू की तैयारियां बढ़िया चल रही हैं। उन्होंने बताया, ‘यह बहुत बढ़िया चल रहा है। मुझे विश्वास है कि निश्चित रूप से इसका बढ़िया नतीजा सामने आएगा।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता भी काफी इन्वाल्व हैं। साथ ही मेरे पति भी बहुत ज्यादा इन्वाल्व हैं। तो अगले साल यह नई ऊंचाइयों (पीवी सिंधू का खेल) पर होगा। हां… Fingers Crossed.’
वापसी करना मुश्किल
पीवी सिंधू 29 साल की उम्र में इस बात पर भी अधिक ध्यान दे रही हैं कि उनका शरीर शारीरिक एक्टिविटी के दौरान कैसे रिएक्ट करता है। पीवी सिंधू ने कहा, ‘यह अब वैसा नहीं होगा जैसा 10 साल पहले था। तब मैं एक अलग तरह की ट्रेनिंग करती थी, लेकिन अब यह अलग है, इसलिए मुझे एक खिलाड़ी के रूप में इसे समझने की जरूरत है। मुझे यह समझने की जरूरत है कि चीजें बदल सकती हैं। हम उसके अनुसार खुद को ढाल सकते हैं। हर बार हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत होती है कि हमारा शरीर सही दिशा में है और हम भार उठाने में सक्षम हैं, अन्यथा चोट लगने की संभावना है और वापसी करना मुश्किल है।’
ट्रेनिंग मॉड्यूल बदला
अपनी बात जारी रखते हुए पीवी सिंधू ने कहा, ‘निश्चित रूप से ट्रेनिंग मॉड्यूल बदल गया है। पहले हम लगातार 4-5 टूर्नामेंट खेलते थे… लेकिन अब आपको यह तय करना होगा कि एक टूर्नामेंट के बाद शरीर कैसा महसूस कर रहा है। अन्यथा खेलने का कोई मतलब नहीं है। बेहतर है कि एक टूर्नामेंट छोड़कर कड़ी ट्रेनिंग करें और फिर मजबूत वापसी करें।’ पीवी सिंधू को हाल ही में कुछ मुकाबलों में करीबी हार झेलनी पड़ी। इन नतीजों ने उन्हें परेशान किया। पीवी सिंधू ने बताया, ‘हालिया नतीजे निश्चित रूप से मुझे परेशान करते हैं, लेकिन सुधार हुआ है। मुझे लगता है कि मैं पहले आसानी से 5-6 टूर्नामेंट हार रही थी, लेकिन शीर्ष एथलीट्स के साथ कठिन मुकाबलों के बाद सुधार हुआ है। यह पॉजिटिव साइन है, जिसे मैं स्वीकार करती हूं और जो जरूरी है उस पर काम कर सकती हूं।’
(लेखक भारतीय खेल प्राधिकरण के निमंत्रण पर एनएसएससी बेंगलुरु में थे।)