आईसीसी टी20 विश्व कप 2024 के सुपर-8 चरण में अमेरिका ने पूरी दुनिया के क्रिकेट प्रशंसकों को चौंका दिया। अमेरिका ने ग्रुप स्टेज के मुकाबले में पाकिस्तान और कनाडा को हराया, जबकि आयरलैंड के साथ उसका होने वाला मैच बारिश की भेंट चढ़ गया था। अमेरिका को क्रिकेट की नौसिखिया टीम कहा जा सकता है, लेकिन उसके प्रदर्शन को नहीं। अमेरिका की क्रिकेट टीम में ज्यादा ऐसे खिलाड़ी हैं, जो किसी दूसरे बैकग्राउंड से हैं।

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भारतवंशी हैं जसदीप सिंह

ऐसा ही एक खिलाड़ी हैं जसदीप सिंह। जसदीप सिंह भारतवंशी हैं। उनका परिवार भारत के पंजाब राज्य के जालंधर जिले स्थित पंडोर गांव से ताल्लुक रखता है। जसदीप सिंह की टी20 विश्व कप में एंट्री की कहानी बहुत रोमांचक है। टीवी पर एक न्यूज ने मजदूर जसप्रीत सिंह को इंटरनेशनल क्रिकेटर बना दिया। जसदीप सिंह के शिखर तक पहुंचने का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है।

16 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई

जसदीप सिंह को 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ना पड़ा, क्योंकि 2007 में मंदी के दौरान उनके पिता परमजीत सिंह की नौकरी छूट गई थी। परमजीत कंस्ट्रक्शन फील्ड पर मजदूरी करने लगे। घर का खर्च आराम से चल सके इसलिए जसदीप भी वहां मजदूरी करने लगे। इसी कंस्ट्रक्शन फील्ड पर एक दिन लंच ब्रेक ने उनकी तकदीर बदल दी।

टीवी पर खबर देखने के बाद क्रिकेटर बनने की सोची

लंच ब्रेक के समय जसदीप सिंह ने टीवी पर यह खबर देखकर चौंक गए कि यूएसए ने न्यूजीलैंड में 2010 अंडर-19 विश्व कप के लिए क्वालिफाई कर लिया है। खबर देखने के बाद वह सोचने लगा कि क्रिकेट के कारवां में खुद को कैसे शामिल किया जाए। जसदीप सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, यहां एंटिगा में बैठकर, पीछे मुड़कर देखने पर, एक शब्द जो दिमाग में आता है, वह है हसल (किसी व्यक्ति या चीज को धक्का मारकर आगे बढ़ाना)।

सपना सच होने जैसी है जसदीप सिंह की कहानी

इस हसल में 6 साल तक ऑटोमोबाइल मैकेनिक के रूप में काम करना भी शामिल था। जसदीप सिंह ने बताया, कैसे मैंने न्यू जर्सी में क्रिकेट खेलना शुरू किया और अब मैं अपनी जन्मस्थली यूएसए का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। अब मैं क्रिकेट विश्व कप में साउथ अफ्रीका के खिलाफ सुपर 8 मैच में खेलूंगा। यह एक सपने जैसा लगता है।

क्रिकेट के कारण कई बार नौकरी छोड़नी पड़ी

जसदीप सिंह ने बताया, जब तक कि अमेरिकी क्रिकेट की ओर से मुझे खेलने के लिए भुगतान करना शुरू नहीं किया। नौकरी पर बने रहना मुश्किल था, क्योंकि हर बार जब आप क्रिकेट खेलने के लिए यात्रा करते हैं, तो आपको नौकरी छोड़नी पड़ती है और लौटने पर कुछ नया तलाशना पड़ता है।

जसदीप सिंह ने बताया, मैंने बहुत सारी नौकरियां की हैं। मैंने गैस स्टेशन पर काम किया है, पिज्जा डिलीवर किया है, यह सब किया है। यह हमेशा संघर्षपूर्ण था। जब तक मैं अपना क्रिकेट जारी रख सकता था, मैं कुछ भी करने के लिए तैयार था।। एक मजदूर के रूप में लंच ब्रेक के दौरान शुरू हुआ सपना लगभग तब साकार हो गया जब उन्होंने 2017 में अमेरिका के लिए पदार्पण किया। हालांकि, तभी उनके साथ एक अनहोनी हो गई।

पिता की मौत के बाद टूट गए थे जसदीप

जसदीप सिंह प्रथम श्रेणी सेशन के लिए श्रीलंका पहुंचे थे, लेकिन अगली सुबह उन्हें एक दुखद समाचार मिला। उनके पिता की मृत्यु हो गई थी। जसदीप सिंह ने बताया, यह बहुत ही विनाशकारी था। यही वह समय था जब मैंने सोचा कि ठीक है, अब यही है। मैं अपने सपने का पीछा कर रहा था, क्योंकि मेरे पिता चाहते थे कि मैं ऐसा करूं। वह मेरी रीढ़ थे।

मां, बहनों और प्रेमिका ने दी हिम्मत

जसदीप सिंह ने बताया,अपनी मां और बहनों की तरफ देखते ही मैंने सोचा कि मैं इतना स्वार्थी नहीं हो सकता। मुझे घर के लिए सब कुछ करना है। मेरे पिता ने ट्रकिंग का व्यवसाय शुरू किया था। वह अच्छा चल रहा था। मैंने सोचा कि ठीक है, मैं इसे संभाल लूंगा। मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन मैं मानसिक रूप से तैयार था कि क्रिकेट मेरे लिए नहीं है।

जसदीप सिंह ने बताया, हालांकि, मेरा परिवार, मेरी मां, मेरी बहनें, मेरी गर्लफ्रेंड (अब पत्नी), उन्होंने आगे बढ़कर कहा, नहीं, तुम इतनी मेहनत के बाद इसे यहीं नहीं छोड़ सकते। हम तुम्हारे साथ संघर्ष करेंगे। दो साल में सब ठीक हो जाएगा। कुछ महीने बाद जसदीप को घुटने में गंभीर चोट लग गई।

जसदीप की एसीएल फट गई। जब वह फिर से खेल छोड़ने के बारे में सोच रहे थे, तो लोग उनके साथ खड़े हो गए। जसदीप ने बताया, पुबुदु दासनायके मुझसे हर दिन बात करते थे और जोर देते थे कि मैं अपने सपने का पीछा करता रहूं। पुबुदु दासनायके वर्तमान में कनाडा क्रिकेट टीम के कोच हैं।