ICC Men’s T20 World Cup, India vs Netherlands: आईसीसी टी20 विश्व कप 2022 में भारत ने नीदरलैंड को पहले जीत के लिए 180 रन का लक्ष्य दिया और फिर 56 रन से मैच जीत लिया।। इस विश्व कप के ग्रुप स्टेज में नीदरलैंड का यह दूसरा मैच है। उसे पहले मैच में भी बांग्लादेश के खिलाफ 9 रन से हार झेलनी पड़ी थी। नीदरलैंड ने उस मैच में 3.2 ओवर में ही 3 विकेट गंवा दिए थे। उसके शुरुआती 3 बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाए थे। ओपनर विक्रमजीत सिंह खाता भी नहीं खोल पाए थे। नीदरलैंड के ओपनर विक्रमजीत सिंह भारत के खिलाफ मैच में भी एक रन ही बना पाए। उन्हें भुवनेश्व कुमार ने बोल्ड किया।

विक्रमजीत सिंह भले ही इस टी20 विश्व कप में अपनी छाप नहीं छोड़ पाए हैं, लेकिन भारतीयों के लिए उनका नीदरलैंड का प्रतिनिधित्व करना खास है, क्योंकि उनकी जड़ें भारत में ही हैं। उनका जन्म पंजाब के जालंधर जिले स्थित गांव चीमा खुर्द में 9 जनवरी 2003 को हुआ था। हालांकि, उनके पिता हरप्रीत सिंह नीदरलैंड के एम्सटेलवीन में ट्रांसपोर्ट कंपनी चलाते हैं।

विक्रमजीत सिंह के दादा खुशी चीमा को दिसंबर 1984 में रातों-रात पंजाब छोड़ना पड़ा था। विक्रमजीत के पिता हरप्रीत ने नीदरलैंड के एमस्टेलवीन से फोन पर ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के प्रत्यूष राज को बताया, ‘मैं उस रात और अगली सुबह को कभी नहीं भूल सकता। आज भी ऐसा लगता है जैसे कल की ही बात हो। 1980 के दशक के मध्य में पंजाब में उग्रवाद के बढ़ने के बाद मेरे पिता ने अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए वह फैसला लिया था।’

वर्तमान की बात करें तो खुशी चीमा जालंधर में अपने खेत पर लौट आए हैं और हरप्रीत एमस्टेलवीन में एक ट्रांसपोर्ट कंपनी चला रहे हैं। खुशी चीमा के 19 साल के पोते विक्रमजीत सिंह गुरुवार को अपने पूर्वजों के देश भारत के खिलाफ उतरे। विक्रमजीत सिंह ने भारत के खिलाफ मुकाबले को अपने अंतरराष्ट्रीय करियर का सबसे बड़ा मैच करार दिया था। विक्रमजीत सिंह को नीदरलैंड में सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेट प्रतिभाओं में से एक माना जाता है।

हरप्रीत कहते हैं, ‘मैं जब नीदरलैंड आया था, तब पांच साल का था। यह बहुत अधिक मुश्किल था; आप भाषा नहीं जानते थे, यह पूरी तरह से अलग संस्कृति थी। हम लोगों को सेटल होने में कुछ साल लगे।’ वह अपने परिवार की कठिनाइयों और बड़े होने के दौरान हुए भेदभाव को स्मरण करते हुए पुरानी यादों में खो जाते हैं। वह कहते हैं, ‘उस समय, नस्लवाद था। मैंने अपने शरीर के रंग, पगड़ी और दाढ़ी के कारण बहुत कुछ झेला।’

हरप्रीत ने बताया, ‘…लेकिन समय के साथ चीजें आसान होती गईं।’ नए देश में टैक्सी चलाने वाले खुशी चीमा ने 2000 में भारत लौटने से पहले अपनी ट्रांसपोर्ट कंपनी बेटे हरप्रीत को सौंप दी। हरप्रीत बताते हैं, ‘मेरे पिता ने मुझे कारोबार सौंपा और भारत लौट गए। उन्होंने कहा कि एक पिता के रूप में उनका कर्तव्य पूरा हो गया। हम अब यहां अच्छी तरह से बस गए हैं और वह अपने लोगों के पास अपने पिंड (गांव) लौटना चाहते थे।’

भारत के साथ परिवार का बंधन इतना मजबूत था कि उसे खत्म नहीं किया जा सकता था। विक्रमजीत का जन्म चीमा खुर्द में हुआ था और वह 7 साल के होने पर नीदरलैंड चले गए। उन्हें कभी भी अपने पिता की तरह समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा। उन्हें 11 साल की उम्र में तत्कालीन डच कप्तान पीटर बोरेन द्वारा अंडर-12 टूर्नामेंट में देखा गया था।

पीटर बोरेन ने विक्रमजीत को तैयार करने के लिए घंटों नेट्स में बिताए थे। सचिन तेंदुलकर, सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी और हरभजन सिंह के लिए बैट बनाने वाली स्पोर्ट्स गुड्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बीट ऑल स्पोर्ट्स (बीएएस) से भी विक्रमजीत को स्पॉन्सरशिप मिली।

15 साल की उम्र में, वह पहले नीदरलैंड ‘ए’ की ओर से खेले और दो साल बाद उन्होंने सीनियर टीम में पदार्पण किया। सिडनी से विक्रमजीत ने बताया, ‘मेरे लिए, चीमा खुर्द में क्रिकेट की शुरुआत हुई। जब मैं नीदरलैंड पहुंचा तो मैं पिता के साथ जाता था, क्योंकि वह स्थानीय लीग में खेलते थे। 12 साल की उम्र में मैं उनके साथ खेला, जब वह कप्तान थे।’