टेस्ट क्रिकेट में पहली बार 10 हजार रन का आंकड़ा छूने वाले भारत के पूर्व क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 के सेमीफाइनल में टीम इंडिया की हार के बावजूद विराट कोहली की कप्तानी बरकरार होने पर आपत्ति जताई है। उनके मुताबिक, यदि विराट कोहली को फिर से कप्तान बनाया भी जाना था तो इसके लिए पहले एक आधिकारिक बैठक होनी चाहिए थी।
अंग्रेजी समाचार पत्र मिड-डे में लिखे कॉलम में गावस्कर ने कहा, ‘चयनकर्ताओं ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए कोई बैठक किए बिना ही कप्तान का चयन कर लिया। ऐसे में सवाल यह उठता है कि विराट कोहली क्या अपने दम पर टीम के कप्तान हैं या फिर चयन समिति की मेहरबानी के कारण?’ गावस्कर ने लिखा, ‘जहां तक मुझे पता है कि विराट कोहली वर्ल्ड कप तक के लिए ही कप्तान चुने गए थे। इसके बाद उनके भविष्य पर फैसला होना था। उन्हें बतौर कप्तान बनाए रखने के लिए चयनकर्ताओं को एक बैठक बुलानी चाहिए थी। भले ही बैठक महज 5 मिनट तक ही चलती और उसी में विराट के भाग्य का फैसला हो जाता, लेकिन ऐसा निश्चित रूप से होना चाहिए था।’
इस प्रक्रिया को दरकिनार करने से यह संदेश जाता है कि केदार जाधव, दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ियों का प्रदर्शन औसत से कम रहा, जबकि कप्तान उम्मीदों पर खरे उतरे, वह भी तब जब टीम फाइनल में भी नहीं पहुंची। एमएसके प्रसाद की अध्यक्षता वाली भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की चयन समिति ने वेस्टइंडीज दौरे के लिए विराट कोहली को तीनों फॉर्मेट में टीम इंडिया की बागडोर सौंपी है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त की गई बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने विश्व कप में भारतीय टीम की हार की समीक्षा भी नहीं की।
गावस्कर यह भी मानते हैं कि चयन समिति ‘असफल संगठन’ जैसा दिखता है। उन्होंने इंडियन प्लेयर्स एसोसिएशन में मौजूदा क्रिकेटरों को भी शामिल किए जाने पर जोर दिया। गावस्कर ने लिखा कि यह एक स्वतंत्र एसोसिएशन होना चाहिए, नहीं तो इसका हश्र ‘लेम डक ऑर्गनाइजेशन’ (बिना अधिकार वाला संगठन, क्योंकि उसके अधिकार पहले से ही किसी दूसरे को हस्तांतरित किए जा चुके हैं) जैसा होगा।