विराट कोहली की कप्तानी की उतार-चढ़ाव भरे अंत के बाद, जब रोहित शर्मा ने पिछले साल फरवरी में टीम की कप्तानी संभाली तो लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर उन लोगों में शामिल थे, जिन्हें उनसे बहुत उम्मीदें थीं। रोहित की कप्तानी में भारत एशिया कप में सुपर-4 से बाहर हो गया, ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप के फाइनल में क्वालिफाई करने में विफल रहा और ऑस्ट्रेलिया से इस साल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में हारा। ऐसे में रोहित की कप्तानी से गावस्कर निराश हैं। उन्होंने राहुल द्रविड़, विक्रम राठौड़ और पारस म्हाम्ब्रे के कोचिंग स्टाफ की जवाबदेही तय करने की भी मांग की है।
इस सप्ताह की शुरुआत में द इंडियन एक्सप्रेस आइडिया एक्सचेंज में गावस्कर ने कहा, “मुझे उनसे (रोहित) काफी बेहतर की उम्मीद थी। भारत में खेलने की बात अलग है, लेकिन विदेशों में अच्छा प्रदर्शन करना असल परीक्षा होती है। यहीं पर उनका प्रदर्शन थोड़ा निराशाजनक रहा है। आईपीएल के तमाम अनुभव, कप्तान के रूप में सैकड़ों मैच और सर्वश्रेष्ठ आईपीएल खिलाड़ियों के मिश्रण के बावजूद टी20 प्रारूप में भी फाइनल में नहीं पहुंच पाना निराशाजनक था।”
क्या चयनकर्ताओं और बीसीसीआई ने भारत की हार की उचित समीक्षा की
पूर्व भारतीय कप्तान यह भी जानना चाहते हैं कि क्या चयनकर्ताओं और बीसीसीआई ने भारत की हार की उचित समीक्षा की। पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया से भारत की वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के हार के बारे में उन्होंने कहा कि कोच द्रविड़ और कप्तान रोहित से उनके निर्णयों को लेकर जवाब मांगा जाना चाहिए था।
क्या सवाल होना चाहिए
सुनील गावस्कर ने कहा, “उन्हें सवाल पूछना चाहिए कि आपने पहले गेंदबाजी का फैसला क्यों किया?’ ठीक है, टॉस के समय यह कहा गया कि बादल छाए हुए हैं। इसके बाद सवाल यह होना चाहिए कि क्या आपको ट्रैविस हेड की कमजोरी शॉर्ट बॉल के बारे में नहीं पता था? बाउंसर का केवल तभी इस्तेमाल क्यों हुआ जब उन्होंने 80 रन बना लिए थे। आप जानते हैं जैसे ही हेड बल्लेबाजी के लिए आए कमेंट्री बॉक्स में रिकी पोंटिंग कह रहे थे बाउंसर डालें, बाउंसर डालें। हर कोई इसके बारे में जानता था, लेकिन हमने कोशिश नहीं की।”
हम किस तरह की तैयारी की बात कर रहे हैं?
डब्ल्यूटीसी फाइनल में हार के बाद रोहित शर्मा ने तैयारी की कमी की बात की और कहा था तैयारी के लिए कम से कम 20 दिन चाहिए थे। गावस्कर इस तर्क को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “हम किस तरह की तैयारी की बात कर रहे हैं? अब वे वेस्टइंडीज गए हैं। आपके सामने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का उदाहरण है। क्या आप कोई मैच खेल रहे हैं? तो ये 20-25 दिन वाली बात क्या है? … जब आप तैयारी के बारे में बात करते हैं, तो इसके बारे वास्तविक बात कहें। 15 दिन पहले जाकर दो वॉर्म-अप मैच खेलें। मुख्य खिलाड़ी आराम कर सकते हैं, लेकिन नए खिलाड़ी उन्हें चुनौती दे सकते हैं जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं। उन्हें यह दिखाने का मौका नहीं मिलता कि वह कितने बेहतर हैं।”
सीनियर खिलाड़ियों पर साधा निशाना
गावस्कर ने वार्म अप मैच न खेलने का दोष सीनियर खिलाड़ियों को दिया क्योंकि वे टीम में अपनी जगह के प्रति आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा, “सच्चाई यह है कि मुख्य खिलाड़ी किसी दौरे पर जल्दी जाना नहीं चाहते। क्योंकि वे जानते हैं कि चाहे कुछ भी हो, उनका चयन हो जाएगा। जब आप जल्दी जाएंगे तो वे वर्कलोड की बात करेंगे। आप खुद को दुनिया की सबसे फिट टीम या पिछली पीढ़ियों से ज्यादा फिट कहते हैं तो इतनी जल्दी ब्रेकडाउन कैसे हो जाता है? जब आप 20 ओवर का मैच खेलते हैं तो आपको वर्कलोड की समस्या कैसे होती है?”
टीम इंडिया के कोचिंग स्टाफ की जवाबदेही का सवाल उठाया
10,000 टेस्ट रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज ने टीम इंडिया के कोचिंग स्टाफ की जवाबदेही का सवाल भी उठाया। बैटिंग कोच विक्रम राठौड़ टीम के साथ विराट कोहली-रवि शास्त्री के समय से जुड़े हुए हैं। गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने मुख्य कोच द्रविड़ के साथ अपना कार्यकाल शुरू किया था। उन्होंने कहा, “अगर बल्लेबाज बार-बार वही गलतियां कर रहे हैं, तो आपको बताने की जरूरत है कि आपकी तकनीक के साथ क्या हुआ है? आपने बैटिंग को बेहतर बनाने का क्या प्रयास किया है? क्या आपने उन्हें यह बताने की कोशिश की है कि थोड़ा अलग गार्ड ले लें। लेग-स्टंप गार्ड न लें, मिडिल और ऑफ स्टंप गार्ड लें।