एशिया कप 2023 के सुपर 4 में श्रीलंका के खिलाफ टीम इंडिया बड़े ही कम स्कोर पर आउट हो गई थी। इसके बाद पाकिस्तान से एक शिगूफा आया। कहा जाने लगा कि बाबर आजम की अगुआई वाली टीम फाइनल में नहीं पहुंचे इसके लिए भारत खराब खेल रहा है। यह पहला अवसर नहीं था जब पाकिस्तान की ओर से ऐसी बातें आई हों। लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर ने इस शिगूफे के लिए पाकिस्तान की क्लास लगाई है।
मिड-डे में छपा सुनील गावस्कर का यह कॉलम एशिया कप फाइनल से पहले का है। सुनील गावस्कर ने श्रीलंका की तारीफ करते हुए कहा कि इस टीम को हमेशा हल्के में लेने की गलती की जाती है। सुपर-4 में केवल भारत-पाकिस्तान के बीच मैच के लिए रिजर्व डे रखा गया था। इसे लेकर एशियन क्रिकेट काउंसिल और उसके अध्यक्ष जय शाह की काफी आलोचना हुई थी। कॉलम में सुनील गावस्कर ने इस फैसले का बचाव किया।
भारत जानबूझकर श्रीलंका से क्यों हारता? मूर्खों!
पाकिस्तान को टूर्नामेंट से बाहर करने के लिए जानबूझकर भारत के हारने वाली मनगढ़ंत कहानी पर सुनील गावस्कर लिखते हैं कि पश्चिमी सीमा के उन सभी लोगों के चेहरे पर करारा तमाचा है जो श्रीलंका के खिलाफ 213 रन पर आउट होने के बाद चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि भारत जानबूझकर मैच हारने की कोशिश कर रहा है ताकि पाकिस्तान को फाइनल में जगह न बना सके।
क्या इन बुद्धिहीन लोगों ने इस संभावना के बारे में भी सोचा था कि जब श्रीलंका से भारत हार जाता है और फिर श्रीलंका को पाकिस्तान हरा देता और भारत बनाम बांग्लादेश मैच बारिश की भेंट चढ़ जाता, तो भारत ही फाइनल के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाता। तो भारत जानबूझकर श्रीलंका से क्यों हारता? मूर्खों!
न्यूजीलैंड की तरह श्रीलंकाई भी विरोधियों को चौंकाते हैं
श्रीलंका को हल्के में लेने पर सुनील गावस्कर लिखते हैं कि वे (पाकिस्तान) भारत के छोटे स्कोर का बचाव करने और श्रीलंका के खिलाफ जीत का जश्न मना रहे थे। वे पहले से ही मानकर चल रहे थे कि उन्होंने एशिया कप जीत लिया है, लेकिन वे क्रिकेट विशेषकर सफेद गेंद प्रारूप की अनिश्चिता के बारे में नहीं सोच रहे थे। उन्होंने श्रीलंका पर जीत को हल्के में ले लिया था, लेकिन न्यूजीलैंड की तरह श्रीलंकाई भी विरोधियों को चौंकाते हैं।
श्रीलंकाई टीम ने भी अंतिम ओवर में नियमों के प्रति बहुत जागरुकता दिखाई। उनके निचले क्रम के बल्लेबाज ने क्रीज तब छोड़ी और अपने विकेट का बलिदान दिया जब अच्छी तरह से सेट असालंका क्रीज में आ गए। जब श्रीलंका से पाकिस्तान हार गया और टूर्नामेंट से बाहर हो गया, तो हम हार के लिए भारत को दोषी ठहराते हुए कुछ और मनगढ़ंत कहानी की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन आश्चर्य की बात थी कि उन्होंने बाकी सब कुछ भूलकर टूर्नामेंट से बाहर होने के लिए अपने कप्तान बाबर आजम को कोसने पर ध्यान केंद्रित किया।
सुनील गावस्कर ने 2019 वर्ल्ड कप का किस्सा सुनाते हुए पाकिस्तान को लताड़ा
सुनील गावस्कर ने 2019 वर्ल्ड कप का किस्सा सुनाते हुए लिखा कि इसी तरह की मनगढ़ंत कहानी सामने आई थी जब भारत 2019 विश्व कप के ग्रुप मैच में इंग्लैंड से हारा था। आरोप ये थे कि एमएस धोनी ने जानबूझकर धीमी बल्लेबाजी की। जो लोग एमएसडी को जानते हैं वे इस बात को मानेंगे कि वह खेल को अंत तक ले जाने और फिर गेंदबाजों पर टूटना पसंद करते हैं।
इंग्लैंड ने शानदार गेंदबाजी की इसलिए वह ऐसा नहीं कर सके, लेकिन मूर्खों ने सोचा कि यह जानबूझकर किया गया था ताकि उन्हें सेमीफाइनल में जगह न मिल सके। एक बात साफ साफ समझ लेनी चाहिए कि जब विश्व कप की बात आती है तो कोई भी टीम फाइनल में पहुंचने के लिए कुछ भी करती है। दूसरी टीम पर निर्भर क्यों रहना है? किसी अन्य टीम पर अंगुली उठाने के बजाय आप खुद सभी मैच और टूर्नामेंट क्यों नहीं जीतते हैं? किसी टूर्नामेंट के नॉकआउट स्टेज के लिए क्वालिफाई करने के लिए भारत पर निर्भर रहना दुखदायी होगा।
भारत और जय शाह को दोषी ठहराना पूरी तरह से अनावश्यक
भारत-पाकिस्तान बीच सुपर 4 मैच के लिए रिजर्व डे रखने पर सुनील गावस्कर लिखते हैं कि केवल भारत बनाम पाकिस्तान मैच के लिए रिजर्व डे रखने पर काफी आलोचना हुई। हालांकि, इस पर सुपर 4 की अन्य दो टीमों के बोर्ड ने सहमति व्यक्त की थी, इसलिए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया और किसी पर दबाव नहीं डाला गया। प्रशासकों को पता है कि भारत बनाम पाकिस्तान मैच ब्रॉडकास्ट रिवेन्यू और एशिया कप को मिलने वाली स्पॉनसरशिप के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
यह मैच न होने पर रिवेन्यू (राजस्व) पर असर पड़ेगा। इसलिए यह निर्णय केवल एक टीम के लिए नहीं, बल्कि सभी के लाभ के लिए लिया गया। विशेष रूप से भारत और जय शाह को दोषी ठहराना पूरी तरह से अनावश्यक था। चूंकि सभी मैच बारिश से प्रभावित हो रहे थे, जिसकी आप श्रीलंका जैसे द्वीपीय देश में उम्मीद करते हैं, एशिया कप ने वह पूरा कर दिया है जो विश्व कप में खेलने वाली टीमें चाहती हैं। वह है अपनी ताकत और कमजोरियों का अंदाजा लगाना और इसके हिसाब से परिवर्तन करना।