BCCI vs Subramanian Swamy: सुब्रमण्यम स्वामी ने सोमवार 18 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की। याचिका में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उस कदम का विरोध किया गया है, जिसमें बीसीसीआई ने अपने अध्यक्ष सौरव गांगुली, सचिव जय शाह और अन्य पदाधिकारियों का कूलिंग ऑफ पीरियड (कार्यकाल खत्म होने से लेकर नई प्रक्रिया पूरी होने तक) बढ़ाने की मांग की है।
बीसीसीआई ने 2019 में यह याचिका दाखिल की थी। इसके बाद उसने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट से याचिका पर जल्द सुनवाई की अपील की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 20 जुलाई को सुनवाई करेगा हालांकि, उससे पहले ही भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने संशोधनों पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर उन्हें दलील पेश करने की मंजूरी देने की मांग की है।
पूर्व भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि उच्चतम न्यायालय ने बीसीसीआई के जिस संविधान को मंजूरी दी थी, उसे बदलना सही नहीं है। बीसीसीआई ने 2019 में वार्षिक आम सभा (एजीएम) में सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना ही संविधान संशोधन किया था।
इसके बाद उसे लागू कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपनी 28 पेज की याचिका में कहा है कि बीसीसीआई की अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से अपने संविधान में संशोधन के लिए मंजूरी की मांग 2018 के ऐतिहासिक फैसले को पटरी से उतारने के लिए है।
सुब्रमण्यम स्वामी ने बीसीसीआई की ओर से प्रस्तावित संशोधन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में पक्षकार बनाकर दलीलें रखने की मंजूरी मांगी।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के प्रस्तावित संविधान संशोधन के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति बीसीसीआई में अध्यक्ष या सचिव पद पर रहते हुए लगातार दो कार्यकाल पूरा करता है तो उसे 3 साल का कूलिंग ऑफ पीरियड करना होगा, लेकिन इसमें राज्य क्रिकेट संघ में बिताया समय शामिल नहीं होगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित संविधान के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी बीसीसीआई या राज्य क्रिकेट संघ दोनों में मिलाकर लगातार 6 साल पदाधिकारी (अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव, उपाध्यक्ष या अन्य) रहता है तो उसे 3 साल का कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करना होगा।
बता दें, सौरव गांगुली और जय शाह ने अक्टूबर 2019 में कार्यभार संभाला था। दोनों का कार्यकाल 3 साल का है। दोनों का सितंबर 2022 में कार्यकाल पूरा हो रहा है। बीसीसीआई इसी कारण मामले की जल्द से जल्द सुनवाई चाहता है, ताकि आगे की प्रक्रिया के लिए उसे समय मिल सके।