पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में मंगलवार (11 नवंबर) को हुए आत्मघाती धमाके के बाद आठ श्रीलंकाई क्रिकेटरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। वे पाकिस्तान दौरे से लौटना चाहते हैं। हालांकि, श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड (SLC) ने एक बयान में कहा कि उसने सभी खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ और टीम प्रबंधन को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दौरा जारी रखने का निर्देश दिया है। उसने धमकी दी है कि अगर कोई खिलाड़ी या स्टाफ उसके निर्देशों की अनदेखी करके दौरे से लौटका है तो उसके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
शायद श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड 2009 में उसकी टीम पर हुए आतंकी हमले को भूल गया है। मार्च 2009 में लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में टेस्ट मैच खेलने जाते वक्त रास्ते में श्रीलंका की बस पर बंदूकधारियों ने हमला किया था। उस आतंकवादी हमले के बाद श्रीलंकाई टीम को पाकिस्तान से हेलिकॉप्टर के सहारे घर भेजा गया था। इस आतंकी घटना में छह श्रीलंकाई खिलाड़ी घायल हुए थे। इसके बाद एक दशक से ज्यादा समय तक पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं हुआ। दिसंबर 2019 में पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की वापसी श्रीलंका की टीम के दौरे से ही हुई।
श्रीलंका क्रिकेट बोर्ड का बयान
16 साल पहले हुई इस घटना के बाद भी श्रीलंका बोर्ड को अपने खिलाड़ियों की परवाह नहीं है। उसने बयान में कहा, “श्रीलंका क्रिकेट (एसएलसी) को आज सुबह टीम प्रबंधन ने सूचित किया कि पाकिस्तान दौरे पर मौजूद राष्ट्रीय टीम के कई सदस्यों ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए स्वदेश लौटने का अनुरोध किया है। इस घटनाक्रम के बाद, एसएलसी ने तुरंत खिलाड़ियों से संपर्क किया और उन्हें आश्वासन दिया कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) और संबंधित अधिकारियों के साथ मिलकर उनकी सभी चिंताओं का समाधान किया जा रहा है ताकि दौरे पर गए प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा और कुशलक्षेम सुनिश्चित की जा सके।
पाकिस्तान में आत्मघाती हमले के बाद श्रीलंकाई खिलाड़ी डरे, लौटना चाहते हैं घर, SLC नहीं मान रहा बात
श्रीलंका बोर्ड की खिलाड़ियों को धमकी
बोर्ड ने कहा, “इस संदर्भ में एसएलसी ने सभी खिलाड़ियों, सहयोगी स्टाफ और टीम प्रबंधन को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दौरा जारी रखने का निर्देश दिया है। यदि कोई खिलाड़ी या दल का सदस्य एसएलसी द्वारा जारी किए गए दौरे को जारी रखने के निर्देश के बावजूद श्रीलंका लौटने का फैसला करता है, तो श्रीलंका क्रिकेट तुरंत रिप्लेसमेंट भेजकर यह सुनिश्चित करेगा कि दौरा बिना किसी रुकावट के जारी रहे। यदि कोई खिलाड़ी या सहयोगी स्टाफ का सदस्य एसएलसी के निर्देशों के बावजूद वापस लौटता है तो उसकी औपचारिक समीक्षा की जाएगी और उचित निर्णय लिया जाएगा।”
2009 में क्या हुआ था?
2009 में श्रीलंका क्रिकेट टीम पर हुए हमले के दौरान बस चला रहे मुहम्मद खलील ने द इंडियन एक्सप्रेस से अपनी आपबीती साझा की थी। जब हमलावरों ने गोलीबारी शुरू की तो उन्हें लगा कि यह जश्न की आतिशबाजी है। लेकिन जब उन्होंने आईने में देखा तो पता चला कि श्रीलंकाई खिलाड़ी बस के फ्लोर पर लेट गए थे। उन्होंने बताया कि तभी उन्होंने सड़क पर एक आदमी को बस पर गोली चलाते देखा।
बाल-बाल बचे थे खिलाड़ी
ड्राइवर ने कहा, “एक गोली शीशे से होकर निकल गई, एक पास से गुजरी और मैंने खिलाड़ियों को ‘गो, गो, गो’ कहते सुना। इसके बाद मैंने ड्राइव करते रहने को कहा। दूसरे गियर पर चल रही आठ सिलेंडर वाली बस से आगे निकलना आसान नहीं था, लेकिन मुझे पता था कि मुझे वहां से भागना होगा। मुझे लगता है कि वे दस-पंद्रह थे और दो-दो के ग्रुप में थे।”
हैंड ग्रेनेड बस के सामने आकर गिरा
ड्राइवर ने बताया, “तभी एक हैंड ग्रेनेड बस के सामने आकर गिरा, लेकिन फटा नहीं। जब मैंने वह हैंड ग्रेनेड देखा तो सोचा कि कूदकर भाग जाऊं, लेकिन मेरे मुल्क के मेहमान हैं ये श्रीलंकाई। मैं उन्हें कैसे छोड़ सकता था? अच्छा हुआ, मैं कूदा नहीं क्योंकि मैं वैसे भी गोली से मारा जाता।” उन्होंने बताया कि एस्कॉर्ट ने उन्हें कवर दिया और वे आगे बढ़ गए, जिससे श्रीलंकाई टीम सुरक्षित निकल गई।
