भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष सौरव गांगुली का ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ (विश्राम अवधि) जुलाई से शुरू होने वाला है। वे इसके बाद तीन साल तक बोर्ड या उसके राज्य संघ में किसी भी पद पर नहीं रहेंगे। गांगुली को तीन साल के अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ से छूट देने के लिए आईपीएल 2013 स्पॉट फिक्सिंग के याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। उन्होंने सोमवार यानी 23 मार्च को इसकी जानकारी दी।

उन्होंने कहा, ‘‘मूल याचिकाकर्ता होने के नाते, जिसकी जनहित याचिका पर पूरा संवैधानिक सुधार हुआ, मैंने शीर्ष न्यायालय में यह याचिका दायर करने का फैसला किया है कि सौरव गांगुली और उनकी टीम (इस मामले में सचिव जय शाह) को तीन साल तक कार्यकाल पूरा करने की अनुमति दी जानी चाहिए।’’

लोढ़ा समिति सुधारों के आधार पर तैयार किए गए नए बीसीसीआई संविधान में के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति जो राज्य संघ के साथ बीसीसीआई का लगातार छह साल तक पदाधिकारी रहा हो उसके लिए तीन साल तक विश्राम अवधि में जाना अनिवार्य होगा।
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जहां तक गांगुली का मामला है तो वह पूर्व में बंगाल क्रिकेट के संघ के संयुक्त सचिव और बाद में अध्यक्ष रहे। उन्होंने अक्टूबर में बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला और इस तरह से उनका कार्यकाल केवल नौ महीने का रहेगा। यही स्थिति शाह की है जो पांच साल तक गुजरात क्रिकेट संघ के सचिव रहे और उन्हें भी अनिवार्य विश्राम अवधि में जाना होगा।

वर्मा से पूछा गया कि वह एक अन्य याचिका क्यों दायर करना चाहते हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘मेरा एकमात्र इरादा यह सुनिश्चित करना है कि बीसीसीआई पारदर्शी तरीके से काम करता रहे। अगर सौरव जैसा व्यक्ति अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकता तो फिर इसका उपयोग क्या है? ’’ वर्मा ने आगे कहा, ‘‘प्रशासकों की समिति (सीओए) ने लगभग तीन साल तक बीसीसीआई को गलत तरीके से चलाया। पदभार संभालने वाले किसी भी व्यक्ति को व्यवस्था को ढर्रे पर लाने के लिए समय चाहिए। गांगुली और उनकी टीम को हर हाल में समय दिया जाना चाहिए।’’