पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को अब भी क्रिकेट खेलने वाले सबसे तेज गेंदबाजों में से एक माना जाता है। ‘द रावलपिंडी एक्सप्रेस’ के नाम से मशहूर शोएब अख्तर बैट्समैन के नाक तक पहुंचने वाली अपनी सटीक बाउंसर और पैर के अंगूठे पर पड़ने वाली यार्कर गेंदों से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों को भी भयभीत कर देते थे। वह 150 किमी/घंटा या इससे भी अधिक की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे। अख्तर के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड आज भी दर्ज है।

शोएब अख्तर ने 2003 एकदिवसीय विश्व कप में इंग्लैंड के खिलाफ मैच में 161.3 किमी/घंटा की रफ्तार से गेंद फेंकी थी। अख्तर की उस शॉर्ट-पिच गेंद का सामना इंग्लैंड के सलामी बल्लेबाज निक नाइट ने किया था। बाउंसर गेंदबाजी करने में माहिर अख्तर ने स्पोर्ट्सक्रीडा के यूट्यूब चैनल पर मोहम्मद कैफ के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें शॉर्ट बॉल फेंकना अच्छा लगता है, क्योंकि इससे बल्लेबाज क्रीज पर उछलता है।

अख्तर ने कहा, ‘मैंने बाउंसर फेंके, क्योंकि बल्लेबाजों को बंदरों की तरह कूदते देखकर मैं बहुत खुश होता था। झूठ नहीं बोल रहा, मैं बल्लेबाजों को सिर पर मारना चाहता था, क्योंकि मेरे पास गति थी। यह एक तेज गेंदबाज होने का लाभ है, यह बस होना ही है।’

अख्तर ने बताया कि वह बल्लेबाजों के शरीर पर इसलिए प्रहार करना चाहते थे, ताकि जब भी वह आईने में अपना चेहरा देखे तो उसकी नजरों के सामने मेरा चेहरा घूमे। उन्होंने मोहम्मद कैफ को बताया, ‘यार होता यह है कि जोश चढ़ा हुआ है, बाल उड़ रहे हैं, 150 या उससे ज्यादा की रफ्तार से गेंद जा रही है। … तो आगे तो नहीं करोगे ना। नहीं, नहीं, आगे नहीं करना बनता है। पीछे करो। हाथ पर करो, शरीर पर करो। गेंद लगे, आपके जिस्म पर आलू-शालू पड़े। रात को यदि आप शीशे में खुद को देखें तो मैं याद आऊं।’ अख्तर फिर हंसते हुए कहते हैं, ‘ये मोहब्बत होती है।’

शोएब अख्तर ने अपने करियर के दौरान 46 टेस्ट में 25 की औसत से 178 विकेट लिए। व्हाइट बॉल क्रिकेट में उनका रिकॉर्ड और भी बेहतर था। उन्होंने 163 एकदिवसीय मैच में 247 विकेट लिए। जब टी20 क्रिकेट नियमित हुआ तब अख्तर अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे।

उस समय उनके पास वैसी पेस नहीं बची थी, जिसके लिए वह जाने जाते थे। इसके बावजूद दाएं हाथ के इस गेंदबाज ने 15 मैच में 19 विकेट चटका लिए थे। उन्होंने क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास लेने से पहले पाकिस्तान के लिए 1999, 2003 और 2011 में 3 विश्व कप खेले।