भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मैच खेला जा रहा हो और उसमें विवाद न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता। दोनों टीमों के बीच चार टेस्ट मैचों की सीरीज का पहला मुकाबला एडिलेड में गुरुवार (17 दिसंबर) से शुरू हुआ। विराट कोहली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पृथ्वी शॉ के आउट होने के बाद चेतेश्वर पुजारा क्रीज पर आए। वे एक छोर पर टिक गए। मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया के पूर्व लेग स्पिनर शेन वॉर्न फॉक्स क्रिकेट के लिए अंग्रेजी में कमेंट्री कर रहे थे। क्रिकेट फैंस का मानना है कि उन्होंने पुजारा पर नस्लीय टिप्पणी की।
दरअसल, वॉर्न ने कमेंट्री के दौरान यॉर्कशायर के साथ अपने काउंटी क्रिकेट कार्यकाल के दौरान पुजारा को दिए गए ‘निकनेम’ की चर्चा की। पुजारा का नाम उच्चारण करने में सबसे आसान नहीं था और इसलिए काउंटी टीम के साथी ने उन्हें ‘स्टीव’ कहकर पुकारते थे। वॉर्न ने जैसे ही इसकी चर्चा की, लोग नाराज हो गए और उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया। क्रिकेट फैंस ने वॉर्न को बीमार बताया। इसे अनप्रोफेशनल, असम्मानजनक और नस्लवादी बताया।
Referring to Pujara as ‘Steve’ is:
a) unprofessional
b) disrespectful
c) racistLearn to say his name
— Siddhartha Vaidyanathan (@sidvee) December 17, 2020
Especially in the context of what’s happening in Yorkshire cricket, when that nickname takes on a different hue.
— Karthik Krishnaswamy (@the_kk) December 17, 2020
Sick. Casual racism.
— Jamie Alter (@alter_jamie) December 17, 2020
Somebody tell the commentators to stop discussing Pujara’s nickname at Yorkshire
— Himanish Ganjoo (@hganjoo153) December 17, 2020
इंग्लैंड की काउंटी टीम यॉर्कशर के पूर्व कप्तान अजीम रफीक ने कहा था कि क्लब में उनपर नस्लवादी टिप्पणी की गई थी। रफीक के दावों का समर्थन करते हुए उसके पूर्व कर्मचारियों ने 5 दिसंबर को कहा था कि पुजारा को भी एशियाई होने और चमड़ी के रंग के कारण ‘स्टीव’ बुलाया जाता था। वेस्टइंडीज के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी टीनो बेस्ट और पाकिस्तान के राणा नावेद उल हसन ने रफीक के आरोपों के समर्थन में सबूत भी पेश किए थे।
रफीक के आरोपों की जांच चल रही है। यॉर्कशर के दो पूर्व कर्मचारियों ताज बट और टोनी बाउरी ने क्लब में ‘संस्थागत नस्लवाद’ के खिलाफ सबूत दिए हैं। यॉर्कशर क्रिकेट फाउंडेशन के साथ सामुदायिक विकास अधिकारी के तौर पर काम कर चुके बट ने कहा, ‘‘एशियाई समुदाय का जिक्र करते समय बार बार टैक्सी चालकों और रेस्तरां में काम करने वालों का हवाला दिया जाता था। एशियाई मूल के हर व्यक्ति को वे ‘स्टीव’ बुलाते थे। पुजारा को भी स्टीव कहा जाता था क्योंकि वे उनके नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे ।’’