सचिन तेंदुलकर की बेटी सारा तेंदुलकर अपने भाई अर्जुन तेंदुलकर की तरह पिता के नक्शे-कदम पर चलती हुईं क्रिकेटर क्यों नहीं बनीं इसके बारे में बताया साथ ही साथ उन्होंने खुलासा किया कि उनके पिता की कौन सी पारी उनके दिल से सबसे करीब है। दरअसल सारा को टूरिज्म ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय दर्शकों के लिए कम एंड से गुड डे कैंपेन का नया फेस बनाया है और वो इसकी वजह से सुर्खियों में हैं।

सारा ने इंडिया टूडे से बात करते हुए ऑस्ट्रेलिया से अपने जुड़ाव की भी बात कही। उन्होंने बताया कि जब से उन्हें याद है तब से ऑस्ट्रेलिया उनकी जिंदगी का अहम हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि जब उनके पिता सचिन तेंदुलकर क्रिकेट खेलते थे तब मैं उनके साथ पहली बार साल 1999 में ऑस्ट्रेलिया गई थी और इस देश से मेरे बचपन की बहुत सारी यादें जुड़ी हुई है।

कभी क्रिकेटर बनने के बारे में सोचा भी नहीं

सारा ने बताया कि मैं अपने पिता से ज्यादा नहीं मिल पाती थी क्योंकि वो क्रिकेट के सिलसिले में यात्रा करते रहते थे, लेकिन हम जहां भी उनके साथ जाते थे तो उनके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताकर हमें काफी खुशी मिलती थी। उन्होंने बताया कि जब मैं छोटी थी तब मुझे मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड के महत्व के बारे में ज्यादा अहसास नहीं था, लेकिन समय के साथ मुझे इस जगह के महत्व के बारे में पता लगा।

सारा के पिता इतने बड़े क्रिकेटर थे, लेकिन उन्होंने कभी भी क्रिकेटर बनने के बारे में विचार क्यों नहीं किया। इसके बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने कभी इस विषय पर नहीं सोचा। सारा के मुताबिक अर्जुन को क्रिकेट से ज्यादा लगाव था, लेकिन मैंने गली क्रिकेट खेला है पर कभी खुद क्रिकेटर बनने के बारे में सोचा ही नहीं। सारा ने बताया कि उनके पिता ने अनगिनत ऐसी पारियां खेली हैं जिन्हें याद रखा जा सकता है, लेकिन साल 2013 में उन्होंने जो आखिरी पारी खेली थी वह मेरे दिल के सबसे करीब है।

पापा की आखिरी पारी है दिल के सबसे करीब

उन्होंने आगे कहा कि अपने पिता की सबसे यादगार पारी चुनने की बात हो तो मैं उनके रिटायरमेंट मैच वाली पारी को चुनूंगी। उस समय मैं इतनी बड़ी हो चुकी थी कि समझ सकती थी कि इसका क्या मतलब है। जब मैं छोटी थी तो मैं मैच देखने जाती थी लेकिन मुझे कभी उनकी गंभीरता का अंदाजा नहीं था। सारा ने बताया कि उनके पिता ने मुझसे हमेशा कहा कि जब मेरे पास आजादी और स्वतंत्रता हो, तो मुझे हमेशा जिम्मेदार रहना चाहिए। कॉलेज जाने के बाद मैंने इसी बात पर अमल करने की कोशिश की।