खिलाड़ियों के खराब फार्म और फिटनेस समस्याओं से जूझते भारतीय बैडमिंटन के लिए बीता साल औसत ही रहा हालांकि सायना नेहवाल ने नई बुलंदियों को छूकर दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनने का श्रेय हासिल किया। सायना और के श्रीकांत ने इस साल अच्छा प्रदर्शन करके दो-दो खिताब जीते जबकि पी वी सिंधू, पारूपल्ली कश्यप और अजय जयराम चोटों से जूझते रहे। कुल मिलाकर भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी 2014 के बेहतरीन प्रदर्शन को इस साल दोहरा नहीं सके।

सायना ने सैयद मोदी ग्रां प्री गोल्ड जीता और उसके बाद पहली बार इंडियन ओपन सुपर सीरीज खिताब अपने नाम किया जिससे वह विश्व रैंकिंग में नंबर एक तक पहुंची। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता इस खिलाड़ी ने आल इंग्लैंड और विश्व चैंपियनशिप के अलावा चाइना सुपर सीरीज प्रीमियर के फाइनल में भी जगह बनाई।

उसे हालांकि नवंबर में टखने में चोट लगी जिसकी वजह से वह हांगकांग ओपन नहीं खेल सकी लेकिन सत्र के आखिरी बीडब्लूएफ सुपर सीरीज फाइनल्स में उसने शानदार वापसी करते हुए दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलिना मारिन को दूसरे मैच में हराया। फिटनेस समस्या को लेकर वह सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी।

पिछले साल विश्व चैम्पियनशिप पदक समेत पांच कांस्य जीतने वाली सिंधू के बाएं पैर में स्ट्रेस फ्रेक्चर हो गया था जिससे पूरे सत्र में उसके प्रदर्शन पर असर पड़ा। चोट से उबरने के बाद सिंधू ने अक्तूबर में डेनमार्क में पहली बार सुपर सीरीज फाइनल में जगह बनाई। उसने मकाउ ओपन ग्रां प्री गोल्ड में खिताब की हैट्रिक लगाकर साल का एकमात्र खिताब अपने नाम किया।
पुरुष वर्ग में किदाम्बी श्रीकांत ने चाइना ओपन में दो बार के ओलंपिक चैम्पियन लिन डैन को हराने के बाद खिताब अपने नाम किया। उसने सत्र के पहले हाफ में स्विस ओपन और इंडिया ओपन जीते और जून में विश्व रैंकिंग में तीसरे स्थान तक पहुंचा। दूसरे हाफ में उसका फार्म खराब हुआ और रैंकिंग में गिरावट आई।

वह खिताब जीतने के करीब इस महीने की शुरुआत में ही पहुंच सका जब इंडोनेशिया मास्टर्स के फाइनल में जगह बनाई। बीडब्लूएफ सुपर सीरिज फाइनल्स में वह एक भी मैच नहीं जीत पाया। राष्ट्रमंडल खेल चैम्पियन कश्यप ने सैयद मोदी ग्रां प्री गोल्ड में खिताब के साथ आगाज किया। जून में इंडोनेशिया ओपन में वह सेमीफाइनल तक पहुंचा जिसमें उसने दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी चेन लोंग को भी हराया। वह सिंगापुर ओपन में भी सेमीफाइनल तक पहुंचा। फ्रेंच ओपन सुपर सीरिज में लगी मांसपेशी की चोट के कारण वह सत्र के बाकी टूर्नामेंट नहीं खेल सका।

कंधे की चोट से जूझ रहे अजय जयराम मलेशिया मास्टर्स, स्विस और और रूस ओपन के सेमीफाइनल तक पहुंचे। कोरिया ओपन में उसने पहली बार सुपर सीरिज फाइनल में जगह बनाई और अक्तूबर में डच ओपन ग्रां प्री जीता। एसएस प्रणय अपने कैरियर की सर्वश्रेष्ठ 12वीं रैंकिंग तक पहुंचा लेकिन कोई खिताब नहीं जीत सका।

पुरुष युगल में मनु अत्री और बी सुमीत रेड्डी के लिए यह साल अच्छा रहा जिन्होंने कई ग्रां प्री, ग्रां प्री गोल्ड और इंटरनेशनल चैलेंज टूर्नामेंट जीतकर विश्व रैंकिंग में 19वां स्थान हासिल किया। दोनों ने बेल्जियम इंटरनेशनल चैलेंज और लागोस इंटरनेशनल चैलेंज जीता जबकि डच गोपन ग्रां प्री, प्राग ओपन इंटरनेशनल चैलेंज, ग्वाटेमाला इंटरनेशनल चैलेंज और यूएस ओपन ग्रां प्री गोल्ड के फाइनल में पहुंचे।

राष्ट्रमंडल खेल 2010 चैम्पियन ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा ने जून में कनाडा ओपन ग्रां प्री जीता और यूएस ओपन ग्रां प्री गोल्ड के फाइनल में पहुंची। यह साल विवादों से भी अछूता नहीं रहा। पांच साल पहले खेलरत्न और पद्मश्री पाने वाली सायना को काफी निराशा हुई जब खेल मंत्रालय ने पद्म भूषण पुरस्कार के लिए उनका नाम खेल मंत्रालय को नहीं भेजा। उसने ट्विटर पर नाराजगी जाहिर की जिसके बाद मंत्रालय ने उसके नाम की अनुशंसा की हालांकि उसे पुरस्कार नहीं मिला।

ज्वाला और अश्विनी ने खेल मंत्रालय और मुख्य राष्ट्रीय कोच पुलेला गोपीचंद पर भड़ास निकाली जब उनका नाम अप्रैल में टीओपी योजना में शामिल नहीं किया गया। बाद में सितंबर में उनका नाम इस योजना में शामिल किया गया। भारतीय बैडमिंटन संघ को भी पूर्व व्यावसायिक साझेदार स्पोर्टी सोल्यूशंस से करार खत्म करने के बाद कानूनी विवाद के कारण इंडियन बैडमिंटन लीग का नाम बदलकर प्रीमियर बैडमिंटन लीग करना पड़ा।