विश्व रैंकिंग में दूसरे नंबर पर काबिज बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने इंडोनेशिया के जकार्ता में देश की आजादी का जश्न धमक के साथ मनाया। जबकि गाले में भारतीय क्रिकेट टीम ने श्रीलंका के खिलाफ टैस्ट मैच में जीत का आसान मौका गंवा कर अपनी मिट्टी पलीद कराई।
इंडोनेशिया के जकार्ता में खेले जा रहे विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सायना ने अपने खेल को ऊंचाई दी और सेमीफाइनल में शानदार जीत दर्ज कर फाइनल में खेलने का हक पाया। इसी के साथ विश्व चैंपियनशिप में जगह बनाने वाली वे पहली भारतीय खिलाड़ी भी बन गर्इं।
इससे पहले सायना विश्व चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई थीं। लेकिन इस बार उन्होंने दमदार प्रदर्शन किया और फाइनल में जगह बनाई। उनकी साथी खिलाड़ी पीवी सिंधू का सफर इस साल क्वार्टर फाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया। सिंधू ने 2013 और 2014 में सेमीफाइनल में जगह बना कर कांस्य पदक जीता था। इस जीत से सायना ने रजत पदक भी पक्का कर लिया है। हालांकि देशवासी उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद लगाए हैं।
श्रीलंका के खिलाफ पहले टैस्ट में उसे शर्मनाक हार मिली। विराट कोहली की अगुआई वाली टीम के बल्लेबाजों ने टैस्ट के चौथे दिन श्रीलंकाई गेंदबाजों के सामने घुटने टेक दिए। श्रीलंका ने पहले टैस्ट में उसे 63 रनों से हरा कर तीन टैस्ट में 1-0 की बढ़त बना ली है। जीत के लिए भारत को 176 रन बनाने थे। लक्ष्य बड़ा नहीं था और दो दिन से भी ज्यादा का समय बचा था लेकिन पूरी टीम सिर्फ 112 रनों पर सिमट गई।
भारतीय टीम ने अंतिम दो दिन जिस तरह का प्रदर्शन किया है उससे गेंदबाजी और बल्लेबाजी पर सवाल उठने लाजमी हैं। आक्रामक क्रिकेट का राग अलापने वाले कप्तान कोहली शब्दों के जरिए ही आक्रामकता दिखाते रहे, जबकि श्रीलंकाई बल्लेबाजों और गेंदबाजों ने आक्रामक क्रिकेट का प्रदर्शन कर भारतीय टीम से जीत छीन ली।
सायना ने जकार्ता में फाइनल में पहुंच कर भारत की आजादी के रंग को और चोखा कर दिया। दुनिया की दूसरे नंबर की भारतीय खिलाड़ी सायना ने महिला सिंगल्स सेमीफाइनल में इंडोनेशिया की लिंदावेनी फानेत्री को 21-17, 21-17 से हराया। विश्व चैंपियनशिप के रविवार को होने वाले खिताबी मुकाबले में आल इंग्लैंड चैंपियनशिप का दोहराव होगा जब सायना दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी स्पेन की कैरोलिना मारिन से भिड़ेंगी।
विश्व चैंपियनशिप में यह भारत का पांचवां पदक होगा। इसे पहले पीवी सिंधू ने 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीता था जबकि ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की महिला डबल्स जोड़ी भी 2011 में कांस्य पदक जीतने में सफल रही थी। विश्व चैंपियनशिप में भारत के लिए पहला पदक 1983 में दिग्गज बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण ने कांस्य पदक के रू प में जीता था।
सायना और लिंदावेनी के बीच यह मुकाबला काफी कड़ा रहा और दोनों खिलाड़ियों के बीच लंबी रैली देखने को मिली। पहले गेम में लिंदावेनी ने 6-2 की बढ़त बनाई। घुटने में पट्टी बांधकर खेल रही इंडोनेशियाई खिलाड़ी ने 7-6 के स्कोर पर घुटने में दर्द के बाद डाक्टर की सहायता भी ली। सायना ने 9-9 के स्कोर पर बराबरी हासिल की और फिर लिंदावेनी के शाट बाहर मारने पर बढ़त बनाई।
सायना ने मध्यांतर तक 11-10 की बढ़त बना ली थी, जिसे उन्होंने 15-12 तक पहुंचाया। लिंदावेनी ने 15-15 के स्कोर पर बराबरी की लेकिन सायना ने 18-16 के स्कोर पर बढ़त बना कर ली। सायना ने 19-17 के स्कोर पर लगातार दो अंक के साथ पहला गेम अपने नाम किया।
लिंदावेनी अपने घुटने को लेकर काफी परेशान थीं लेकिन उन्होंने घुटने नहीं टेके और दूसरे गेम में भी 4-3 की बढ़त बनाई। सायना ने जब भी गेम में बढ़त बनाई लिंदावेनी ने बराबरी हासिल कर ली। इंडोनेशिया खिलाड़ी ने 6-6 और 10-10 के स्कोर पर बराबरी हासिल की। सायना ने मध्यांतर तक फिर 11-10 की बढ़त बनाई। करीबी मुकाबले में सायना ने 18-17 की बढ़त बनाई। लिंदावेनी ने इसके बाद शाट बाहर मारकर सायना की झोली में जीत डाल दी।