पाकिस्तान क्रिकेट टीम के हेड कोच सकलैन मुश्ताक ने मैच के दौरान सचिन तेंदुलकर को स्लेज किया था। पाकिस्तान के पूर्व स्पिनर ने अपने यूट्यूब चैनल पर खुद यह बात कबूली थी। उन्होंने यह भी बताया था कि जवाब में सचिन ने उन्हें कुछ ऐसा कह दिया था, जिसके कारण उनका गेंदबाजी से ध्यान भटक गया था। इसके बाद उन्होंने सचिन तेंदुलकर को कभी भी स्लेज नहीं करने की कसम खाई थी।

बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबला हमेशा ही कांटे का होता रहा है। खिलाड़ी एक-दूसरे को हराने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं। इसमें स्लेजिंग को भी वे हथियार बनाते हैं। घटना 90 के दशक की है। तब भारत और पाकिस्तान की टीमें भारत में सहारा कप में खेल रही थीं।

सकलैन ने बताया, ‘साल 1997 में हम सहारा कप खेलने इंडिया गए थे। दो साल पहले ही मेरा डेब्यू हुआ था। दो साल का वक्त तो बहुत कम होता है, लेकिन मेरी कुछ परफॉर्मेंस ऐसी रहीं, जिनसे मुझे अपनी गेंदबाजी पर काफी आत्मविश्वास आ गया। सहारा कप में सचिन तेंदुलकर बैंटिंग कर रहे थे। मैंने सचिन तेंदुलकर को स्लेजिंग करना शुरू कर दिया। एक बार, दो बार, तीन बार…। आते-जाते मैं कुछ न कुछ बात कह देता था।’

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सकलैन मुश्ताक ने बताया, ‘सचिन ने मुझे कुछ नहीं कहा। वह अपनी बैटिंग में ध्यान लगाए रहे। जब 5-6 दफा हो गया तो ओवर खत्म होने के बाद सचिन ने मुझे अपने पास बुलयाा। वह मुझसे कहने लगा- यार मैं तो तुम्हें बहुत ही अच्छा लड़का समझता हूं। बहुत अच्छा इंसान समझता हूं। तुम शक्ल से भी ऐसे ही लगते हो कि तुम बहुत अच्छे हो। तुम रूड किस्म के नहीं हो।’

सकलैन ने बताया, ‘सचिन ने मुझसे कहा कि तुम अच्छे खिलाड़ी भी हो। मैंने तो तुम्हारे साथ कभी ऐसी कोई बात नहीं की। तुम मेरे साथ क्यों इस तरह कर रहे हो। मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा।’

सकलैन ने कहा, ‘सचिन ने बहुत ही अच्छे अंदाज से बात की। यकीन करें कि मैं इतना शर्मिंदा हुआ, इतना शर्मिंदा हुआ कि एक-दो ओवर मेरी दिमाग में सचिन की बातें ही घूमती रहीं।’

सकलैन ने बताया, ‘मैं अपनी गेंदबाजी पर ध्यान नहीं केंद्रित कर पा रहा था। जब मैं उसको गेंद करने जाता तो खुद को स्विच ऑन तो कर लेता था, लेकिन सचिन के अल्फाज मेरे कानों में गूंजते रहते थे। मैं बहुत डिस्टर्ब रहा। फील्डिंग के दौरान मैं डीप-पॉइंट पर था, तब भी मेरे सामने सचिन का चेहरा और अल्फाज बार-बार घूम रहे थे।’

सकलैन ने बताया, ‘बहुत शर्मिंदगी हुई। उसके बाद मैंने इरादा किया कि इस बंदे को मैं कभी कुछ कहूंगा नहीं। उसके बाद हम (सचिन और मैं) बहुत बार खेले, लेकिन उसने भी मुझे कुछ नहीं कहा और मैंने भी उसको कुछ नहीं कहा।’