(श्रीराम वीरा): साउथ अफ्रीका के खिलाफ रांची वनडे में भारत को शानदार जीत मिली, लेकिन भारतीय ड्रेसिंग रूम में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कोहली ने रांची वनडे में शानदार पारी खेलकर उन लोगों के करारा जबाव दिया जो सीनियर खिलाड़ियों के लिए नेशनल सिलेक्शन के लिए लगातार उपलब्ध रहने के लिए घरेलू क्रिकेट में खेलना जरूरी समझते थे।
रोहित और कोहली भारत के लिए सिर्फ वनडे खेलते हैं, लेकिन दोनों टच में हैं और ये रांची में दिखाई भी दिया, लेकिन घरेलू क्रिकेट में खेलने की बात पर रोहित को सहमत हो गए हैं, लेकिन लंदन में रहने वाले विराट कोहली ने अब तक ऐसा नहीं किया है। रांची वनडे में प्लेयर ऑफ द मैच जीतने के बाद कोहली ने कहा था कि वो कभी भी बहुत ज्यादा तैयारी करने में यकीन नहीं रखते और अभी बीसीसीआई का फरमान बनाम स्टार क्रिकेटर विराट कोहली की लड़ाई जारी है।
क्या कोहली, गंभीर और अगरकर के बीच है कोई मनमुटाव
इस कहानी में तीन मुख्य किरदार हैं विराट कोहली, चीफ सिलेक्टर अजीत अगरकर और भारतीय टीम के हेड कोच गौतम गंभीर। कोहली ने कभी भी उनकी बुराई करने वालों पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। वो अक्सर खुद को ऐसे इंसान के तौर पर दिखाते हैं जो दुनिया से लड़ रहा है। कोहली को घरेलू क्रिकेट खेलने को कहा गया था क्योंकि वनडे सीरीज के बीच काफी गैप हो सकता है और ये बात बड़ी नहीं लगती, लेकिन विराट इसे ऐसे कदम के तौर पर नहीं देखते जिससे उन्हें मदद मिल सके।
डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने का हुक्म कोई गलत कदम नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि इसे जरूरी होना चाहिए या सिर्फ तभी लागू किया जाना चाहिए जब फॉर्म खराब हो जाए। वैसे फॉर्म बनाए रखने के लिए विजय हजारे ट्रॉफी खेलने का फैसला कोई बुरा कदम नहीं है। हो सकता है कि अभी इसकी जरूरत न हो, लेकिन यह देखते हुए कि वर्ल्ड कप दो साल दूर है यह एक समझदारी भरा फैसला है।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में मिली 0-2 की बार के बाद गंभीर की स्थिति कमजोर हो गई है और अब वनडे में रोहित-कोहली का प्रदर्शन उनके लिए नया सिरदर्द है क्योंकि वो टीम को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं और उसमें बदलाव करना चाहते हैं। हालांकि रेड बॉल क्रिकेट में गंभीर के कुछ फैसलों और फाइनल इलेवन के फैसलों ने इंग्लैंड में मिली सफलता पर पानी फेर दिया है।
दोष दोनों पर हो सकता है, लेकिन मैदान पर मिली सफलता लोगों की सोच पर असर डालती है। कोहली स्टार हैं और उन्होंने अभी-अभी एक शानदार शतक लगाया है साथ ही इसके तुरंत बाद अपनी बातें रखी हैं। लोगों की नजर में गंभीर को ऐसा इंसान माना जाता है जिसका इतिहास न सिर्फ कोहली बल्कि एमएस धोनी से भी सहमत नहीं रहा है और उन्हें एक जिद्दी इंसान के तौर पर देखा जाता है।
अब अगर BCCI अपना रुख बदल भी ले और कहे कि सिलेक्शन सिर्फ डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने से नहीं जुड़ा होगा तो इसका क्या मतलब है, विराट कोहली जीतेंगे और अगरकर व गंभीर हारेंगे, और अगर कुछ इस तरह का फैसला नहीं हुआ तो क्या होगा। क्या कोहली चले जाएंगे। ये सही नहीं है और किसी भी तरह से ड्रेसिंग रूम पर इसका असर बुरा ही होगा। यह युवा खिलाड़ियों के आगे बढ़ने के लिए कोई अच्छा माहौल नहीं हो सकता। जब इंडिविजुअलिज्म सेंटर स्टेज पर आ जाता है, तो टीम के विजन और स्पिरिट को नुकसान होता है। टॉप अधिकारियों और असरदार लोगों को हालात को हाथ से निकलने से रोकने के लिए दखल देना चाहिए।
