मीरपुर में करारी मात के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के लचर प्रदर्शन की पड़ताल होने लगी है। उम्मीद है कि जल्द एक रपट पेश कर भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड को बताया जाएगा कि बांग्लादेश से क्रिकेट शृंखला हारने के की वजहें हैं-टीम की थकावट, टीम में प्रमुख कोच की गैर-मौजूदगी और आइपीएल की ओर ज्यादा झुकाव। हार के इन कारणों पर गौर करने के बाद बोर्ड कोई पुख्ता फैसला कर सकता है। कोच की गैर-मौजूदगी ऐसी वजह है जिसकी चर्चा रविवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने भी की थी।
बहरहाल, भारतीय टीम जहां बांग्लादेश से शृंखला हारने के बाद हार के कारण तलाश रही है, वहीं इस शृंखला के प्रशासनिक प्रबंधक विश्वरूप डे शीघ्र ही बीसीसीआइ को हार के इन कारणों को लेकर अपनी रपट देने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि इस हार के बाद भले ही धोनी ने कप्तानी छोड़ने की पेशकश कर दी हो, लेकिन उनकी कप्तानी पर कोई खतरा फिलहाल नहीं दिख रहा है। धोनी कह चुके हैं कि उन्हें नहीं लगता कि सिर्फ एक शृंखला के आधार पर बोर्ड कोई फैसला कर सकता है। सूत्रों का कहना है कि अगली कुछ शृंखलाओं तक धोनी की कप्तानी कायम रहेगी। शृंखला हारने के बाद रविवार रात धोनी ने कहा था कि मेरे कप्तानी छोड़ने से टीम का हित होता है तो उन्हें ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं होगी। मैं एक खिलाड़ी के तौर पर खेलता रहूंगा। हालांकि देश के कई पूर्व दिग्गज क्रिकेटरों की राय है कि धोनी पर अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए और उनकी अभी जरूरत है।
धोनी ने कहा था कि अगर ‘वे’ उनसे कप्तानी छीनते हैं तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। इस प्रतिक्रिया पर सूत्रों ने कहा कि ‘वे’ से उनका मतलब चयनकर्ताओं और क्रिकेट बोर्ड से होगा। भारतीय कप्तान की यह टिप्पणी हताशा में आई होगी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि टीम में एकजुटता की कमी है। टीम में निराशा हो सकती है, लेकिन किसी तरह की नकारात्मक भावना नहीं है।
सूत्रों का कहना है कि टीम में कुछ नए चेहरे होते तो नतीजे बेहतर हो सकते थे। टीम के खिलाड़ी शारीरिक रूप से थके हुए थे और मानसिक रूप सेकमजोर दिख रहे थे। वे लगातर नौ महीने से खेल रहे हैं। वे अपने खेल को ऊंचा उठाने में कामयाब नहीं दिखे क्योंकि मनोबल की कमी थी। सूत्रों ने इस बात से इनकार किया कि ‘आत्म-संतुष्टि’ या गाफिल रहने के कारण भारतीय टीम को यह अंजाम देखना पड़ा।
उन्होंने कहा कि पेशेवराना रुख वाले खिलाड़ी आत्मसंतुष्ट या लापरवाह नहीं हो सकते। पहला मैच हारने के बाद भारतीय टीम वापसी करने के लिए कटिबद्ध थी। लेकिन जेहनी तौर पर वे इसके लिए तैयार नहीं थे। इससे उनके खेल पर असर दिखा और वे मैदान में कुछ करके दिखा नहीं पाए।
पिछले साल भारत ने सुरेश रैना की अगुवाई में युवा टीम तीन एकदिवसीय मैचों के लिए बांग्लादेश भेजी थी। इस टीम ने दो मैच जीते और तीसरा बारिश के कारण रद्द करना पड़ा था। इसके बाद भारत ने इंग्लैंडका दौरा किया। फिर आॅस्ट्रेलिया जाने से पहले श्रीलंका और वेस्टइंडीज के साथ देश में शृंखला खेली। इसके बाद विश्वकप और आइपीएल के रंगारंग तमाशे में टीम के खिलाड़ी पसीना बहाते रहे।
सूत्रों का कहना है कि विराट कोहली और टीम के कुछ प्रमुख खिलाड़ी बांग्लादेश दौरे से दूर रहना चाहते थे। लेकिन बीसीसीआइ पूरी क्षमता वाली टीम भेजना चाहता था। सूत्रों का कहना है कि टीम में कोच की कमी भी खली। डंकन फ्लेचर के जाने के बाद टीम में फिलहाल कोई कोच नहीं है। इसका नुकसान संभवतया भारतीय टीम को उठाना पड़ा। रवि शास्त्री अब भी टीम के निदेशक हैं और उनके मातहत संजय बागड़, भरत अरुण और आर श्रीधर की इकाई काम कर रही है।
शास्त्री का मानना है कि हमारे पास तीन कोच हैं और एक अन्य की जरूरत नहीं है। गौर करने वाली बात यह है कि रविवार रात को कप्तान धोनी ने भी साफ तौर पर कहा कि टीम इंडिया के खिलाड़ियों पर ध्यान देने वाले बहुत लोग हैं, इसलिए अगर कोच का पद कुछ समय के लिए खाली भी रह जाए तो चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि यह इससे तो अच्छा है कि इस पद को भरने के लिए ‘किसी को भी’ नियुक्त कर दिया जाए।
विश्व कप के बाद डंकन फ्लेचर के जाने के साथ ही कोच पद को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे हैं। धोनी का कहना है कि जिंबाब्वे के इस कोच का भारतीय क्रिकेट को आगे बढ़ाने में अहम योगदान है। बांग्लादेश के खिलाफ हार के बाद यह पूछने पर कि क्या टीम की हार का एक कारण कोच का नहीं होना हो सकता है, धोनी ने जवाब दिया, इसका मतलब है कि आप डंकन की कमी महसूस कर रहे हैं।
धोनी ने कहा, मुझे लगता है कि वे एक ऐसे इंसान थे जिसको मीडिया ने कभी ज्यादा पसंद नहीं किया जबकि उन्होंने टीम के साथ बहुत ज्यादा मेहनत की। वे टीम के साथ बहुत लंबे समय तक रहे। उनके समय में काफी कठिन दौरे मिले। कप्तान ने कहा कि टीम की हार के लिए सहायक स्टाफ को दोषी नहीं ठहराया जा सकता, यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह जरूरत के हिसाब से क्या रणनीति अपनाता है।