महान क्रिकेटर सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया में ‘पक्षपात’ होने का आरोप लगाया है। उनका मानना है कि यहां खिलाड़ियों की ‘शक्ल’ देखकर उनके साथ व्यवहार किया जाता है। सच बोलने वाले को चुप करा दिया जाता है। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर की मानें तो रविचंद्रन अश्विन भी ‘मुंहफट’ होने का भुगत रहे हैं। अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उन पर हमेशा तलवार लटकती रहती है। यदि वह किसी दूसरे देश में होते तो वहां सिर-आंखों पर बैठाया जाता।
टीम इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच एडिलेड में खेले गए पहले डे-नाइट टेस्ट में रविचंद्रन अश्विन उन गिने-चुने भारतीय क्रिकेटर्स में थे, जिनका प्रदर्शन प्रभावशाली रहा था। हालांकि, फिट होने के बाद अब रविंद्र जडेजा के मेलबर्न में होने वाले दूसरे टेस्ट में खेलने की संभावना प्रबल हो गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम इंडिया अपनी खराब बल्लेबाजी के बावजूद क्या दो स्पिनर के साथ उतरती है? सुनील गावस्कर ने रविचंद्रन अश्विन का उदाहरण देते हुए टीम प्रबंधन पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया।
सुनील गावस्कर ने यह भी दावा किया कि अश्विन टीम बैठक में अपनी बात कहने की सजा भुगत रहे हैं। उन्होंने स्पोर्ट्सस्टार के लिए लिखे अपने कॉलम में कहा, ‘बहुत लंबे समय तक अश्विन को अपनी गेंदबाजी क्षमता के कारण नहीं, बल्कि टीम मीटिंग में अपनी स्पष्टवादिता और मन की बात कहने के कारण नुकसान हुआ। टीम मीटिंग में अधिकांश लोग सहमत नहीं होने पर भी सिर हिलाते हैं, लेकिन अश्विन ऐसा नहीं करते।’ गावस्कर के मुताबिक, एक सीनियर स्पिनर को औसत परफॉर्मेंस के बावबूज ड्रॉप कर दिया जाता है, जबकि खराब प्रदर्शन करने वाले बल्लेबाज खेलते रहते हैं।
गावस्कर ने कहा, ‘यदि अश्विन एक मैच में विकेट नहीं लेते तो उन्हें अगले मैच में बाहर कर दिया जाता है, लेकिन बल्लेबाजों के साथ ऐसा नहीं होता।’ बता दें कि रविचंद्रन अश्विन टेस्ट टीम के विशेषज्ञ स्पिनर हैं। हालांकि, सीमित ओवर क्रिकेट में उन्हें अनदेखा किया जा रहा है। अश्विन ने भारत के लिए आखिरी बार 2017 में व्हाइट बॉल मैच खेला था। वह इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) और घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद सीमित ओवर क्रिकेट के लिए टीम इंडिया में नहीं चुने जा रहे हैं।