रणजी ट्रॉफी 2021-22 में बेंगलुरु के जस्ट क्रिकेट अकादमी ग्राउंड पर मुंबई और उत्तर प्रदेश के बीच सेमीफाइनल है। दो दिन का खेल हो चुका है। दूसरे दिन का खेल खत्म होने के समय उत्तर प्रदेश ने पहली पारी में 12 ओवर में 2 विकेट के नुकसान पर 25 रन बना लिए थे। इससे पहले मुंबई की पहली पारी 140.4 ओवर में 393 रन बनाकर ऑलआउट हुई थी। मुंबई को इस स्कोर तक पहुंचाने में उसके विकेटकीपर हार्दिक तमोरे का बहुत बड़ा योगदान रहा। हार्दिक तमोरे की पारी की हर कोई तारीफ कर रहा है। हालांकि, एक समय ऐसा भी था, जब उनके खेल पर बिल्कुल फुल स्टॉप लगने वाला था। वह भी किसी बाहरी नहीं, बल्कि उनकी मां के कारण। परीक्षा में नंबर कम आने के कारण हार्दिक की मां उनके क्रिकेट खेलने पर बैन लगा दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में हार्दिक के पिता जीतू तमोरे ने यह राज उजागर किया। जीत तमोरे को आज भी याद है जब 12 साल पहले उनके बेटे के कोच जाकिर शेख ने फोन किया था और बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए मिलने का अनुरोध किया था। दरअसल, जीतू तमोरे की पत्नी ने फैसला किया था कि हार्दिक को अब क्रिकेट नहीं खेलने दिया जाएगा, क्योंकि पांचवीं कक्षा में उसके नंबर उम्मीद से कम थे। मां को लगता था कि परीक्षा में नंबर कम आने के पीछे हार्दिक का क्रिकेट के प्रति जुनून ही दोषी है।
जीते तमोरे ने बताया, ‘हार्दिक के कोच ने मुझसे मुलाकात की और कहा कि आपका लड़का बहुत अच्छा खेलता है। उसका क्रिकेट मत रोको। जहां तक उसकी पढ़ाई का सवाल है, हम सभी को उससे एक बार बात करनी चाहिए।’ अगली शाम हार्दिक को क्रिकेट खेलते हुए शिक्षा की अनदेखी नहीं करने की बात समझाने के लिए तमोरे परिवार और कोच साथ में बैठे। हार्दिक की समझ में आ गया और उनकी मां ने उन्हें क्रिकेट खेलने की मंजूरी दे दी।
हार्दिक के कोच चाहते थे कि वह एक विकेटकीपर-बल्लेबाज बनें, लेकिन मुंबई के लिए खेलने को उनको 127 किलोमीटर दूर महानगर की यात्रा करनी पड़ती थी। हार्दिक के कुछ दोस्त रोजाना ट्रेन से मुंबई तक अभ्यास के लिए जाते थे। जीतू तमोरे भी समझ गए थे कि क्रिकेट खेलने के लिए उनके बेटे को भी रोज वहां जाना होगा।
जीते तमोरे ने बताया, ‘हमने उसे चर्चगेट में एल्फ अकादमी में भर्ती कराया। वहीं से उसकी यात्रा शुरू हुई। उसका दिन सुबह 5 बजे शुरू होता था। वह 6:15 बजे तक स्कूल पहुंच जाता था। स्कूल उसे आधा-दिन की छुट्टी दे दी थी, इसलिए वह बोईसर से सुबह 10:30 बजे ट्रेन पकड़ता, चर्चगेट में अभ्यास करता और फिर रात 9 बजे के बाद घर आता। ऐसा पांच साल तक चला।’
जीतू तमोरे के दोस्त दीपक पाटिल ने उनको मुंबई शिफ्ट होने सलाह दी। दीपक पाटिल मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की पूर्व प्रबंध समिति के सदस्य थे। इसके बाद जीतू बोईसर से माहिम में किराए के घर में रहने लगे। एक ठेकेदार होने के नाते, शिफ्टिंग कोई समस्या नहीं थी, लेकिन मुंबई में रहने के बावजूद, हार्दिक ने बोईसर में अपनी स्कूली शिक्षा जारी रखी। जीतू ने बताया, ‘हार्दिक मुंबई अंडर-14 के लिए खेला। तब से, उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। सबसे अच्छी बात यह थी कि उसने पढ़ाई में भी अच्छा प्रदर्शन किया।’

हालांकि, स्थानीय और आयु वर्ग के टूर्नामेंट्स में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद, हार्दिक तमोरे को मुंबई रणजी टीम में जगह नहीं मिलती। टीम में विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में आदित्य तारे मौजूद रहते। यह वर्षों तक जारी रहा। लेकिन उत्तराखंड के खिलाफ रणजी ट्रॉफी 2021-22 क्वार्टर फाइनल में आदित्य तारे चोट के कारण उत्तर प्रदेश के खिलाफ सेमीफाइनल से बाहर हो गए। इसके बाद हार्दिक तमोरे को चुना गया। हार्दिक तमोरे ने भी 115 रन की पारी खेलकर दोनों हाथों से मौके को लपका।