जब युवा बाएं हाथ के खिलाड़ी अंकित चटर्जी ने हरियाणा के अनुभवी तेज गेंदबाज अंशुल कंबोज की गेंद पर बंगाल के लिए रणजी ट्रॉफी में अपना पहला स्कोरिंग शॉट खेला, तो सौरव गांगुली की याद आ गई। उन्होंने बंगाल के लिए डेब्यू करके ‘दादा’ को रिकॉर्ड बुक में पीछे छोड़ दिया। 15 साल और 361 दिन की उम्र में अंकित ने रणजी ट्रॉफी में पदार्पण करके बंगाल के सबसे कम उम्र के क्रिकेटर बनने का रिकॉर्ड अपने नाम किया। उन्होंने दिग्गज गांगुली को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने 17 साल की उम्र में दिल्ली के खिलाफ 1989-90 के फाइनल में बंगाल के लिए अपना पहला मैच खेला था।
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार बनगांव हाई स्कूल के 10वीं कक्षा के छात्र अंकित की बंगाल की रणजी टीम तक की यात्रा त्याग और अथक समर्पण से भरी हुई है। हर सुबह जब दुनिया सो रही होती है तो वह 3:30 बजे उठकर 4.25 बजे बनगांव-सियालदह लोकल ट्रेन पकड़ते हैं। ट्रेन से दो घंटे की यात्रा करने के बाद और कोलकाता मैदान पहुंचने के लिए आधे घंटे की और यात्रा करते हैं। चटर्जी संयुक्त परिवार में उनके साथ रहने वाले चचेरे भाई बारी-बारी से उनसे मिलते हैं। इस तरह उनका दिन रात 9-10 बजे के आसपास खत्म होता है। पिछले 3 साल से यह दिनचर्या जारी है।
अभिमन्यु ईश्वरन की जगह मौका
अंकित को अपने डेब्यू के बारे में मैच से दो दिन पहले पता चला जब इंडिया ए के ओपनर बल्लेबाज अभिमन्यु ईश्वरन को हेयरलाइन फ्रैक्चर के कारण बाहर होना पड़ा। घबराने की बजाय इस युवा बाएं हाथ के खिलाड़ी ने धैर्य के साथ चुनौती को स्वीकार किया। उनके बचपन के कोच डोलन गोल्डार के अनुसार यह उनकी खासियत रही है।
ठेकेदार के बेटे
अंकित ने अपने सिग्नेचर शॉट के बारे में बताते हुए कहा, ” मेरे लिए यह बिलकुल सामान्य बात थी और कल रात मैं अच्छी तरह सो भी गया था। मैंने अटैक करने की कोशिश नहीं की, लेकिन गेंद शॉट के लायक थी इसलिए मैंने ऐसा किया।” उनके पिता अनूप चटर्जी बनगांव में ठेकेदार हैं। उन्होंने अपने बेटे के जुनून को बहुत पहले ही पहचान लिया था। उन्होंने अपने बैकयार्ड का में खेलने के लिए पहला क्रिकेट बल्ला खरीदकर प्रोत्साहित किया। उन्होंने याद करते हुए बताया, ” वह हमारे बड़े बैकयार्ड में खेला करता था और मुझे खेल के प्रति उसका लगाव दिखता था।”
खूब शांतो बच्चा चिलो
जल्द ही अंकित को सोनाली क्रिकेट कोचिंग सेंटर में कोच गोल्डार के पास दाखिला मिल गया, जहां उनका अनुशासित दृष्टिकोण देखने लायक था। गोल्डार ने बताया, “खूब शांतो बच्चा चिलो (वह बहुत शांत लड़का है), लेकिन वह हमेशा ध्यान से सुनता है और तब तक अभ्यास करता है जब तक मैं उसे रुकने के लिए नहीं कहता था।”
75 गेंदों पर शतक जड़कर सबको प्रभावित किया
अंकित पहली बार अंडर-16 वर्ग में विजय मर्चेंट ट्रॉफी में बंगाल के सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के तौर पर चमके। इसके बाद उन्हें कोच सौराशीष लाहिड़ी के अंडर-19 टीम में जगह मिली, जिन्होंने हाल ही में सीनियर टीम से कमान संभाली थी। वीनू मांकड़ ट्रॉफी में उन्होंने असम के खिलाफ बाराबती स्टेडियम में 75 गेंदों पर शतक जड़कर सबको प्रभावित किया। इसमें उन्होंने नौ छक्के जड़े। सभी छक्के स्टैंड में जा गिरे। लाहिड़ी ने यह बात बताई।
वीनू मांकड़ ट्रॉफी में अंकित 400 से अधिक रन बनाए
वीनू मांकड़ ट्रॉफी में अंकित 400 से अधिक रन बनाकर बंगाल के लिए इस सीजन में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे। लाहिड़ी ने उन्हें एक निडर क्रिकेटर एक टीम मैन बताया, जो जोरदार तरीके से खेलता है। उनका प्रदर्शन कूच बिहार ट्रॉफी में जारी रहा, जहां उन्होंने ईडेन गार्डेन में मुंबई के खिलाफ अपने स्ट्रोक्स दिखाए और लंच तक अपना शतक पूरा किया।
लाहिड़ी अपने शिष्य को एक्शन में देखकर बहुत खुश हुए
अंकित के डेब्यू को देखने के लिए कल्याणी गए लाहिड़ी अपने शिष्य को एक्शन में देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, “प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका पहला स्कोरिंग शॉट कवर ड्राइव था। यह उनका सिग्नेचर शॉट है। बाएं हाथ के बल्लेबाजों में हमेशा वह शान होती है।” क्या वह उन्हें सौरव गांगुली की याद दिलाते हैं?
लंबे समय तक बंगाल की सेवा करने की क्षमता
लाहिड़ी ने कहा, “उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है, लेकिन आप कह सकते हैं कि उनमें प्रतिभा है। आपको उन्हें वह आजादी देनी होगी। वह असफल होंगे, लेकिन आपको उन्हें आत्मविश्वास देना होगा और उनका समर्थन करना होगा। मुझे यकीन है कि उनमें लंबे समय तक बंगाल की सेवा करने की क्षमता है।”
