भारत के दिव्यांग क्रिकेटर राजेंद्र सिंह धामी लॉकडाउन में भरण-पोषण के लिए मनरेगा में मजदूरी कर रहे हैं। 30 साल के राजेंद्र भारतीय व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके हैं। वे मौजूदा समय में उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम के कप्तान हैं। लॉकडाउन के दौरान उनके लिए आय का कोई स्रोत उपलब्ध नहीं है, इसलिए वे मजदूरी करके अपना घर चला रहे हैं। राजेंद्र सिंह धामी 90% दिव्यांग हैं। 3 साल की उम्र में धामी लकवा से ग्रस्त हो गए थे। इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और क्रिकेट के मैदान पर अपने प्रदर्शन से कई पुरस्कार जीते हैं।

धामी ने इतिहास विषय में मास्टर डिग्री पूरी करने के साथ-साथ बीएड की डिग्री भी हासिल की है। देश का प्रतिनिधित्व करने के बावजूद उन्हें कोरोना के संकट के बीच आय के स्रोत के बिना छोड़ दिया गया। धामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा, ‘‘लॉकडाउन से पहले मैं रुद्रपुर (उत्तराखंड) में क्रिकेट खेलने में रुचि रखने वाले व्हीलचेयर से चलने वाले बच्चों को क्रिकेट की कोचिंग देता था। लेकिन, लॉकडाउन के कारण वह काम ठप हो गया और उसका नतीजा अब यह है। मैं पिथौरागढ़ में अपने गांव रायकोट आ गया। यहां मेरे माता-पिता रहते हैं।’’

धामी ने कहा, ‘‘मेरे माता-पिता बूढ़े हैं। मेरी एक बहन और छोटा भाई भी है। मेरा भाई गुजरात में एक होटल में काम करता था, लेकिन उसने भी लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी खो दी। इसलिए मैंने मनरेगा योजना के तहत अपने गांव में काम करने का फैसला किया। सरकार से भी कोई मदद नहीं मिली है। यह मेरे जीवन का सबसे मुश्किल समय है।’’ धामी उत्तराखंड व्हीलचेयर क्रिकेट टीम का नेतृत्व करते हुए मलेशिया, बांग्लादेश और नेपाल जैसे कई देशों का दौरा कर चुके हैं।

धामी ने 2017 मे भारत-नेपाल-बांग्लादेश त्रिकोणीय व्हीलचेयर क्रिकेट सीरीज में भारत का नेतृत्व किया था। मदद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग मेरी मदद के लिए आगे आए हैं। उनमें अभिनेता सोनू सूद भी हैं। सोनू सूद ने धामी को 11 हजार रुपए भेजे थे। रुद्रपुर और पिथौरागढ़ में भी कुछ लोगों ने आर्थिक मदद की। लेकिन यह काफी नहीं था। जीने के लिए किसी भी तरह का काम करने में कोई समस्य नहीं है। मैंने मनरेगा में काम करने का फैसला इसलिए किया कि घर के नजदीक रह सकूं। यह मुश्किल समय है, लेकिन इससे भी निकल जाएंगे।’’