प्रो कबड्डी 2023 (Pro Kabaddi 2023) की शुरुआत शनिवार,3 दिसंबर को हो गई। 10वें सीजन का दूसरा मैच दबंग दिल्ली और तमिल थलाइवाज के बीच होगा। इस मैच से पहले दबंग दिल्ली के कप्तान नवीन कुमार ने Jansatta.Com से बातचीत में इस साल टीम के प्लान के बारे में बताया। पिछले साल टीम प्लेऑफ तक पहुंची थी। उस मैच में क्या गलती हुई थी इसके बारे में बताया। इसके अलावा उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर के बारे में बताया। नवीन चाहते हैं कि कबड्डी एशियन गेम्स की तरह ओलंपिक का हिस्सा हो ताकि वह भारत को गोल्ड दिला सकें।

पीकेएल में नवीन का सफर

सफर काफी अच्छा रहा है। मैंने सीजन 6 में ज्वाइन किया था। तब काफी सीनियर खिलाड़ी थे। मैं एनवाईपी (NYP) न्यू यंग प्लेयर के तौर पर टीम से जुड़ा था। काफी सीनियर्स के साथ खेला, जो अभी कोच भी बन गए हैं। भारत के लिए भी खेले हैं। उनका रिकॉर्ड भी अच्छा रहा है। चाहें वह मनजीत चिल्लर की बात हो, जोगिंदर नरवाल हो, रविंद्र पहल या संदीप नरवाल हो चाहें जीवा कुमार हो। उनके साथ भी खेला हूं। डिफेंस में भी राइडिंग में भी। काफी कुछ सीखा हूं। दिल्ली के साथ मेरा 5वां सीजन है। लास्ट सीजन मैंने कप्तान के तौर पर टीम को संभाला है। सीजन 8 में हम चैंपियन भी रहे हैं। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला। कॉन्फिडेंस भी मिला है। काफी अच्छा तालमेल रहा है। मुझे काफी अच्छा लगता है कि लगातार मैं एक टीम के साथ जुड़ा हूं। एक दूसरे काफी अच्छे से जानते हैं। फ्रेंचाइजी से कोई दबाव नहीं है। अबकी बार हमारी टीम काफी यंग है।

ऑक्शन में क्या सोचकर टीम बनाई

कोच साहब ने यह देखकर टीम बनाया है कि किस टाइम हमें किसकी जरूरत पड़ सकती है। कभी-कभी खिलाड़ी पर ज्यादा बजट खर्च करना पड़ता है। कई बार वह खिलाड़ी नहीं मिल पाता। यह कोच साहब देखते हैं। हमें ज्यादा दबाव नहीं लेना पड़ता। बस वह यह देखते हैं कि नवीन हमारे पास है तो उसके सपोर्ट में हमें क्या डिफेंस या राइडर चाहिए। यह सब देखकर कोच साहब फैसला लेते हैं।

कोई ऐसा खिलाड़ी जिसे ऑक्शन में न ले पाएं हों

एक अच्छा राइडर चाहिए था। हमारी टीम ने मनिंदर पर दांव खेला था। उनपर ज्यादा बजट गया। हम लगा नहीं सकते थे। मैं चाहता था कि आंशू काफी अच्छा सपोर्ट कर रहा मुझे तीन सीजन हो गए हम साथ खेलते हुए। वो हमें वापस मिल गया। बाकी युवा खिलाड़ी हैं। एनवाईपी से साइन किए गए हैं। टीम पहले से काफी बैलेंस्ड थी।

प्लेऑफ में पिछले सीजन में हार

वह हमारा दिन नहीं था। कोई भी अच्छा नहीं कर पा रहा था। वैसे शुरुआत से काफी मेहनत की थी। बैंगलोर वुल्स से एलिमिनेटर 1 में हारे थे। हमने फर्स्ट हाफ में काफी अच्छी लीड के साथ कवर किया था। अंत में हमने काफी गलतियां कीं। कभी कभी टीम ओवर कॉन्फिडेंस का शिकार हो जाती है। हम प्लानिंग कर रहे थे वह सफल नहीं हो पा रही थी।

हार के बाद का माहौल

ऐसा नहीं था कि हम पहली बार हारे थे। हार जीत चलती रहती है। काफी कुछ सीखने को मिलता है। हमारे दिमाग में रहता है कि हमने कहां गलती की। किस वजह से हमें प्वाइंट नहीं मिला। किस वजह से प्वाइंट गया। एक दूसरे को मलाल रहता है कि हम अच्छा क्यों नहीं कर पाए। उस हार से हमने बहुत कुछ सीखा है।

इस बार टीम का रोडमैप क्या है

टीम गेम है। खिलाड़ियों को एक दूसरे के लिए खेलना होगा। अपना 100 प्रतिशत देना होगा। सभी को एक दूसरे के साथ तालमेल बनाकर खेलना होगा। फर्स्ट इम्पैक्ट लास्ट इम्पैक्ट होता है। शुरुआत में हमने अच्छा किया तो अंत तक अच्छा करेंगे। हम टीम को मोटिवेट करेंगे। कई बार टीम शुरुआत में हारी है और अंत में चैंपियन बनी है। हम चाहेंगे की टेबल में टॉप पर रहें।

भारतीय टीम के साथ फ्यूचर

एशियन गेम्स में हम गोल्ड लेकर आए हैं। हम चाहेंगे कि ओलंपिक में भी कबड्डी आए। वहां भी जाएं और देश का नाम रौशन करें। भगवान ने चाहा तो यह भी होगा। जूनियर वर्ल्ड कप में लड़के गोल्ड लेकर आए। उनका फ्यूचर देखकर हमें लगता है कि हम नहीं होंगे तो हमारे जूनियर हैं। वह काफी अच्छा कर रहे हैं। लेकिन हम भी बहुत मेहनत करेंगे। चाहेंगे कि अगला एशियन गेम्स खेलें और भारत के लिए गोल्ड लेकर आएं।

ओलंपिक में कबड्डी

ओलंपिक में बिलकुल कबड्डी को देखना चाहेंगे। हम तो यही चाहते हैं कि भारतीय खेल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने चाहिए। दूसरे देशों के खिलाड़ियों को सिखाएंगे और उनसे सीखेंगे भी।

इंग्लैंड के खिलाड़ी युवराज को चुनने की वजह

कोच साहब ने सोचा कि जैसे ईरान और कोरिया जैसे देश हमसे सीख रहे हैं। प्रो कबड्डी का मकसद है कि हर देश के खिलाड़ी आएं। हम उनको कुछ सिखाएं और वह अपनी टीम को कुछ न कुछ सिखाएं। उनको भी कबड्डी के बारे में पता चले।