मुंबई के ओपनर पृथ्वी शॉ ने विजय हजारे ट्रॉफी में शानदार बल्लेबाजी करते हुए 7 मैच की 7 पारियों में 188.50 की औसत से 754 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में फेल होने के बाद पृथ्वी को बाहर कर दिया गया था। उन्होंने घरेलू टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए आलोचकों को करारा जवाब दिया और टीम इंडिया के लिए फिर से अपना दावा ठोका है। पृथ्वी ने कहा है कि वे सड़के से उठे हैं और जवाब देना जानते हैं।
पृथ्वी ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि ऑस्ट्रेलिया में पहले टेस्ट में फेल होने के बाद वे कमरे जाकर रोने लगे थे। ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बाद उनके दिमाग में क्या चल रहा था इस सवाल पर पृथ्वी ने कहा, ‘‘मैं उलझन में था। मैं खुद से पूछ रहा था कि क्या हो रहा है? क्या मेरी बल्लेबाजी में कोई समस्या है? समस्या क्या है? खुद को शांत करने के लिए मैंने खुद को बताया कि ये दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजी अटैक में से एक के खिलाफ गुलाबी गेंद का खेल था। सवाल यह था कि बोल्ड क्यो हो गया था (पहली पारी में मिशेल स्टार्क और दूसरी में पैट कमिंस)? मैं आईने के सामने खड़ा था और अपने आप से कहा था कि मैं उतना बुरा खिलाड़ी नहीं हूं जितना सब कह रहे हैं।’’
क्या खराब प्रदर्शन के कारण रातों को नींद नहीं आ रही थी? इस सवाल पर पृथ्वी ने कहा, ‘‘पहले टेस्ट के बाद ड्रॉप होने पर मैं पूरी तरह तनाव में था। मुझे लगा कि मैं किसी काम का नहीं है, हालांकि मैं टीम के अच्छे प्रदर्शन से खुश था। एक कहावत है, ‘कड़ी मेहनत ही प्रतिभा को हरा देती है’। मैंने खुद से कहा कि प्रतिभा ठीक है, लेकिन अगर मैं कड़ी मेहनत नहीं करता तो इसका कोई फायदा नहीं है। वह मेरे जीवन का सबसे दुखद दिन था। मैं अपने कमरे में गया और रोने लगा। मुझे लगा जैसे कुछ गलत हो रहा है। मुझे जल्दी से जवाब चाहिए था।’’
फेल होने के बाद किसी क्या आपने किसी बात की? इस पर पृथ्वी ने कहा, ‘‘मैंने किसी से बात नहीं की। कॉल आ रहे थे लेकिन मैं किसी से बात करने के मूड में नहीं था। मेरा दिमाग खराब हो गया था। मैं वापस आने के बाद सचिन सर (तेंदुलकर) से मिला। उन्होंने कहा कि बहुत सारे बदलाव नहीं कर सकते हैं और सिर्फ शरीर के ज्यादा करीब खेल सकते हैं। मुझे गेंद तक पहुंचने में देर हो रही थी। मैंने उस हिस्से पर काम किया।’’