भारत के प्रतिभाशाली सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ ने डोपिंग परीक्षण में नाकाम रहने के बाद मंगलवार को प्रतिस्पर्धी क्रिकेट के सभी प्रारूपों से आठ महीने के लिये प्रतिबंधित किया गया। इस सजा को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा कि इस खबर ने उन्हें झकझोर दिया है लेकिन वह और मजबूत होकर वापसी करेंगे। बीसीसीआई ने डोप परीक्षण में नाकाम होने के बाद 19 साल के इस क्रिकेटर को 15 नवंबर 2019 तक खेल के सभी प्रारूपों से निलंबित कर दिया है।

पृथ्वी शॉ ने ट्वीट किया, ‘‘ मैं पूरी ईमानदारी के साथ इस फैसले को स्वीकार करता हूं। मै अभी पिछले टूर्नामेंट में लगी चोट से उबर रहा है और इस खबर ने मुझे झकझोर दिया है।’’ बीसीसीआई ने विज्ञप्ति में कहा कि ‘‘शॉ ने अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया। यह पदार्थ आमतौर पर खांसी की दवा में पाया जाता है। ’’शॉ का प्रतिबंध पूर्व से प्रभावी माना गया है जो कि जो 16 मार्च 2019 से शुरू होकर 15 नवंबर 2019 तक चलेगा।

 

टीम इंडिया के लिए दो टेस्ट मैच खेलने वाले शॉ ने कहा, ‘‘ मुझे इसे सबक के तौर पर लेना होगा और उम्मीद है कि यह हमारी खेल बिरादरी में दूसरों को प्रेरित करेगा। हम खिलाड़ियों को बीमार होने पर किसी भी दवा को लेने में बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है, भले ही दवा काउंटर पर उपलब्ध हो और हमें हमेशा इसकी जरूरत हो तो भी प्रोटोकॉल का पालन करें।’’

युवा सलामी बल्लेबाज ने कहा, ‘‘क्रिकेट मेरी जिंदगी है और भारत और मुंबई के लिए खेलने से बड़ा कोई सम्मान नहीं है और मैं इससे अधिक मजबूत बनूंगा।’’शॉ ने बीसीसीआई के डोपिंग विरोधी परीक्षण कार्यक्रम के तहत 22 फरवरी 2019 को इंदौर में सैयद मुश्ताक अली ट्राफी के दौरान मूत्र का नमूना उपलब्ध कराया था। परीक्षण के बाद उनके नमूने में ‘टरबुटैलाइन’ पाया गया।

बीसीसीआई विज्ञप्ति में कहा गया है, ‘‘टरबुटैलाइन वाडा की प्रतिबंधित पदार्थों की सूची में है और इसे प्रतियोगिता के दौरान या इससे इतर नहीं लिया जा सकता है। ’शॉ ने कहा, ‘‘ ऑस्ट्रेलिया दौरे पर मेरे पैर में चोट लगी थी और मैं प्रतिस्पर्धी क्रिकेट में वापसी को लेकर बेकरार था। मैदान में उतरने की जल्दबाजी में मैंने काउंटर से कफ सिरप पर एक बुनियादी दवा खरीदने में सावधानी बरतने के प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।