टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और दिग्गज खिलाड़ी सौरव गांगुली अब बीसीसीआई के अधयक्ष के रूप में अपनी नई पारी का आगाज करने के लिए तैयार हैं। 23 अक्टूबर को उन्हें प्रेसीडेंट चुन लिया गया है। 9 महीने तक गांगुली के हाथ में कमान रहेगी। अपने कड़े फैसले और शानदार करियर के जरिए लोगों के दिलों पर राज करने वाले दादा के बारे में दिग्गजों का मानना है कि उनके इस कार्यकाल में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। हालांकि गांगुली का कार्यकाल कैसा होगा ये तो भविष्य की गर्त में है लेकिन प्रिंस ऑफ कोलकाता से लेकर यहां तक का सौरव का सफर कैसा रहा है..आइए जानते हैं….
सौरव गांगुली ने अपने वनडे करियर का आगाज 1992 में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था। उनका डेब्यू कुछ खास नहीं रहा था और वो तीन रन बनाकर आउट हुए। साथ ही उनका अंदाज लोगों को पसंद नहीं आया जिसके चलते गांगुली टीम से बाहर भी हो गए। इसके बाद गांगुली ने रणजी में धमाल मचाकर फिर चयनकर्ताओं का भरोसा जीता और टीम में जगह बनाई। 1996 में इंग्लैंड दौरे के लिए जब गांगुली का सेलेक्शन हुआ तो उन्होंने कमाल किया। अपने पहले टेस्ट मैच में उन्होंने 131 रनों की पारी खेली।
गांगुली ने फिर उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी बल्लेबाजी का सभी को दीवाना बना दिया। ऑफ साइड में उनके खेलने का अंदाज आज भी लोगों के दिल में घर किए हुए है। 2000-2005 तक उन्होंने टीम की कमान अपने हाथों में रखी और अपने फैसले और सफलता के चलते दादा नाम से ख्याति भी पाई।
गांगुली ने 49 टेस्ट और 146 वनडे मुकाबलों में टीम इंडिया की कप्तानी की है। 2003 में उनकी कप्तानी में भारत ने वर्ल्डकप फाइनल भी खेला। संन्यास के बाद 2015 में उन्होंने प्रशासक के रूप में अपनी पारी का आगाज किया और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल के अध्यक्ष बने। इसके बाद 2019 में दादा फिर से चुने गए। अब देखना होगा कि आखिर गांगुली बीसीसीआई के प्रेसीडेंट के रूप में कैसी पारी खेलते हैं।