भारतीय जूनियर हॉकी टीम को मेन्स जूनियर वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मुकाबले में जर्मनी के हाथों करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। चेन्नई में जारी इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम का विश्व चैंपियन के खिताब को जीतने का सपना टूटा, लेकिन भारत के लिए पोडियम फिनिश यानी एक पदक जीतने का मौका अभी भी है। दरअसल भारतीय टीम अब कांस्य पदक मैच यानी तीसरे स्थान के लिए अर्जेंटीना से भिड़ेगी।

इस मैच में टीम के कोच पीआर श्रीजेश पर बड़ी जिम्मेदारी होगी कि पुरानी गलतियों को कैसे सुधारा जाए और देश के लिए मेडल जीता जाए। टीम इंडिया बुधवार को अर्जेंटीना के खिलाफ उतरेगी। भारत ने आखिरी बार चैंपियन बनते हुए जूनियर मेन्स वर्ल्ड कप का खिताब 2016 में जीता था। अब नौ साल बाद पदक जीतने के लिए टीम को दबाव में गलतियां करने की आदत से पार पाना होगा।

पिछले दो विश्व कप में चौथे स्थान पर रही भारतीय टीम को उन गलतियों को दोहराने से बचना होगा जो सेमीफाइनल में सात बार की चैंपियन जर्मनी के खिलाफ हुईं थीं। भारत को सेमीफाइनल में जर्मनी ने 5-1 से हराया था। भुवनेश्वर में 2021 में और कुआलालम्पुर में 2023 में हुए जूनियर विश्व कप में भारत क्रमश: फ्रांस और स्पेन से 3-1 से हारकर चौथे स्थान पर रहा था।

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आसान नहीं होगी दो बार की चैंपियन अर्जेंटीना की चुनौती

होबार्ट में 2001 के बाद भारत ने दूसरा और आखिरी खिताब 2016 में लखनऊ में जीता था। टोक्यो और पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुके भारतीय टीम के मुख्य कोच पी आर श्रीजेश को बखूबी पता है कि यह पदक उनकी टीम के लिए कितना जरूरी है। उन्हें यह भी अहसास है कि सेमीफाइनल में स्पेन के खिलाफ आखिरी मिनटों में गोल गंवाकर 1-2 से हारी अर्जेंटीना की चुनौती को कमतर नहीं आंका जा सकता। दो बार की चैम्पियन अर्जेंटीना ने 2021 में फाइनल में जर्मनी को 4-2 से हराकर खिताब जीता था।

नॉक आउट चरण में सामने आईं गलतियां

राउंड रॉबिन चरण में शानदार फॉर्म में रही भारतीय टीम ने 29 गोल किए थे और एक भी गोल गंवाया नहीं था। लिहाजा गोलकीपर और डिफेंस को कोई चुनौती नहीं मिल सकी थी। क्वार्टर फाइनल में बेल्जियम के खिलाफ 45 मिनट तक एक गोल से पिछड़ने के बाद तीन मिनट के भीतर कप्तान रोहित और शारदानंद तिवारी के गोल के दम पर भारत ने बढत बना ली थी, लेकिन आखिरी सीटी बजने से एक मिनट बाकी रहते गोल गंवाकर मैच को पेनल्टी शूटआउट में जाने दिया।

शूटआउट में हालांकि भारत ने जीत दर्ज की लेकिन मैच निर्धारित समय के भीतर ही खत्म हो सकता था। इसके बाद डिफेंडिंग चैम्पियन जर्मनी के सामने तो भारतीय डिफेंस पूरी तरह चरमरा गया और फॉरवर्ड खिलाड़ी गोल करने के मौके ही नहीं बना सके। पूरे मैच में भारत को एकमात्र पेनल्टी कॉर्नर मिला जबकि जर्मन टीम ने ‘वन टच’ यूरोपीय हॉकी खेलकर दबाव बनाए रखा।

इस हार के बाद कोच श्रीजेश ने कहा था,‘‘ हमें अपने खेल पर नियंत्रण रखना सीखना होगा और बड़ी टीमों को इतने मौके देने से बचना होगा। विरोधी टीम के अच्छा खेलने पर दबाव में आकर हम अपने बेसिक्स ही भूल जाते हैं जिससे उबरना होगा। गोल करने के मौके बनाना और तब्दील करना जरूरी है । छोटी छोटी गलतियां ही भारी पड़ रही हैं जिनसे बचना होगा।’’

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भारत की क्वार्टर फाइनल की जीत के नायक रहे गोलकीपर प्रिंसदीप सिंह ने टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन पूरे डिफेंस को एक ईकाई के रूप में अच्छा खेलना होगा। वहीं फॉरवर्ड प्लेयर्स को सर्किल के भीतर गलतियां करने , लंबे हवाई पास और गेंद पर नियंत्रण खो देने की कमी को दूर करना होगा। पूल चरण में शानदार प्रदर्शन करने वाले दिलराज सिंह, अर्शदीप सिंह, मनप्रीत सिंह और खुद कप्तान रोहित को उसी लय में खेलना होगा।

दूसरी ओर अर्जेंटीना की टीम अपने पूल में तीन में से दो मैच जीतकर शीर्ष पर रही थी और क्वार्टर फाइनल में उसने नीदरलैंड को एक गोल से हराया। टूर्नामेंट से पहले भारत और अर्जेंटीना ने तीन अभ्यास मैच मेयर राधाकृष्णन स्टेडियम पर ही हुए थे जिसमें पहला 1-1 से ड्रॉ रहा , दूसरा भारत ने 5-3 से और तीसरा अर्जेंटीना ने 2-1 से अपने नाम किया था। यह मैच बुधवार 10 दिसंबर शाम 5.30 से शुरू होगा जिसके बाद फाइनल जर्मनी और स्पेन के बीच खेला जाएगा।