फिडे विश्व कप फाइनल में मैग्नस कार्लसन से हारने के बावजूद इतिहास रचने वाले भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा के पिता रमेश बाबू ने उनके प्रदर्शन पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के अगले दिन उनके इस प्रदर्शन ने भारत को फिर गर्व करने का मौका दिया है।
दिग्गजों को हराकर खिताबी मुकाबले में जगह बनाने वाले 18 वर्ष के प्रज्ञानानंद आखिरी बाधा पार नहीं कर पाए और अजरबैजान के बाकू में फाइनल में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन से गुरुवार को टाइब्रेक में 1.5-0.5 से हार गए।
प्रज्ञानानंद के पिता रमेश बाबू ने चेन्नई से बातचीत में कहा, ‘हमने कभी उस पर दबाव नहीं डाला। मैं उसके प्रदर्शन से बहुत खुश हूं। वह दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी से खेल रहा था और रजत पदक भी बड़ी उपलब्धि है। उसने मेरी उम्मीद से बढ़कर प्रदर्शन किया है।’
हर मुकाबले के साथ प्रज्ञानानंद के खेल में निखार आया: रमेश बाबू
रमेश बाबू ने कहा, ‘हर मुकाबले के साथ उसके खेल में निखार आया। कल चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद उसने आज फिडे विश्व कप में ऐसा प्रदर्शन करके देश को गर्व करने का एक और मौका दिया।’
यह पूछने पर कि रजत पदक मिललने का जश्न उनका परिवार कैसे मनाएगा, रमेश बाबू ने कहा, ‘अभी तो वह जर्मनी में एक और टूर्नामेंट खेलने जा रहा है। आमतौर पर हम उसकी सफलता के बाद मंदिर में पूजा करने जाते हैं और यही करेंगे।’
बैंक में उप महाप्रबंधक के तौर पर कार्यरत रमेश बाबू काम के साथ घर की जिम्मेदारी भी संभाल लेते हैं, क्योंकि उनकी पत्नी प्रज्ञानानंद के साथ अक्सर टूर्नामेंट्स के लिए जाती हैं। रमेश बाबू की बेटी आर वैशाली भी शतरंज खिलाड़ी हैं। वैशाली को देखकर ही प्रज्ञानानंद की भी रुचि जगी थी।

रमेश बाबू ने कहा, ‘वैशाली बचपन में बहुत टीवी देखती थी तो हमने उसका ध्यान हटाने के लिए शतरंज में डाला। मैं या उसकी मां दोनों को शतरंज खेलना नहीं आता लेकिन बहन को देखकर प्रज्ञानानंद की भी रुचि जगी और फिर वह आगे बढ़ता रहा।’ खुद सचिन तेंदुलकर के प्रशंसक रमेश बाबू ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी ने और सचिन ने भी प्रज्ञानानंद को बधाई दी है। हमारे लिए यह गर्व की बात है।’