वह फोन कॉल जिसने सब कुछ बदल दिया, तब आया जब अनिल मोहन गहरी नींद में थे। जब तक वह जागे, उनकी जिंदगी बदल चुकी थी। प्रो कबड्डी लीग (PKL) सीजन 12 की नीलामी में यू मुंबा ने उन्हें 78 लाख रुपये में खरीद लिया था। प्रो कबड्डी लीग (PKL) के इतिहास में कैटेगरी D में सबसे बड़ी बोली थी, लेकिन हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के छोटे से गांव जसुई से आने वाला यह नौजवान अभी भी इस सबके महत्व को समझने की कोशिश कर रहा था।
अनिल ने कहा, “पहले तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ जब मुझे पता चला कि यू मुंबा ने मुझे 78 लाख में खरीदा है, तो मुझे सच में यकीन नहीं हुआ कि ये हकीकत है।” कबड्डी की दुनिया में, जहां हरियाणा सुर्खियों में रहता है और सितारे देता है वहां अनिल मोहन कुछ अलग पेश करते हैं, एक ऐसा सपना जो भूगोल की सीमाओं में कैद नहीं हुआ। उनकी यात्रा काफी साधारण माहौल से शुरू हुई। गांव के धूल भरे मैदानों से उन्होंने उस प्राचीन खेल से प्यार करना शुरू किया, जिसने उनकी किस्मत बदल दी।
मैं अपने गांव में कबड्डी खेला करता था
अनिल ने कहा, “मैं अपने गांव में कबड्डी खेला करता था।” दसवीं कक्षा में पहली बार उनके कोच की नजर उनके हुनर पर पड़ी। लेकिन तब भी सफलता एक दूर का सपना लगती थी उस लड़के के लिए, जिसके परिवार का सबसे बड़ा सहारा उसका भाई था, जिसने मैट की जगह फौज को चुना।
मेरे भाई मुझसे ज्यादा खेलते थे
अनिल ने कहा, “मेरे भाई मुझसे ज्यादा खेलते थे। वो फौज में चले गए, और तब मेरे परिवार ने मुझे सपोर्ट किया।” इन शब्दों में छिपा है उस बलिदान का अहसास जो भारत के ग्रामीण परिवारों में आम है। सपनों की विरासत एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को सौंप दी जाती है।
पहाड़ी घर की आरामदायक जिंदगी छोड़ी
सच्चा बदलाव तब आया जब अनिल ने वह साहसिक फैसला लिया। अपने पहाड़ी घर की आरामदायक जिंदगी छोड़ कर कबड्डी के गढ़ हरियाणा का रुख किया। तमिल थलाइवाज के पूर्व कोच अर्शन कुमार के मार्गदर्शन में उन्होंने दो से तीन साल तक अपनी कला को निखारा। अनिल ने कहा, “फिर मैंने सीनियर नेशनल में हिमाचल प्रदेश की टीम से खेला।” लेकिन अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करना भी उन्हें उस आने वाले क्षण के लिए तैयार नहीं कर पाया था।
जबरदस्त होड़
प्रो कबड्डी लीग का प्लेयर ऑक्शन वह जगह है, जहां सपने और हकीकत की टक्कर होती है। टीम मालिकों के बीच उन्हें हासिल करने की जबरदस्त होड़ मची थी, जिसमें जयपुर पिंक पैंथर्स और यू मुंबा आमने-सामने थे। लेकिन अनिल को इसका पता तक नहीं चला वो उस वक्त गहरी नींद में थे। उन्होंने कहा, “जब यह सब हुआ, मैं सो रहा था। जब तक मैं जागा, सब हो चुका था।”
सबसे पहले घर फोन किया
जब उन्हें हकीकत का एहसास हुआ, तो उनकी पहली प्रतिक्रिया बेहद मानवीय और भावुक थी। “मैंने सबसे पहले घर फोन किया।” उस पल में, वह लड़का जिसने गांव के मैदानों से नेशनल टीमों और रिकॉर्ड तोड़ नीलामी तक का सफर तय किया, अपने शुरुआती बिंदु को याद कर रहा था – उस परिवार को जिसने उस पर भरोसा किया जब भरोसा करना भी मुश्किल था।
‘कैप्टन कूल’
अब, जब वह यू मुंबा की जर्सी पहनने की तैयारी कर रहे हैं, कप्तान सुनील कुमार – जिन्हें फैंस ‘कैप्टन कूल’ कहते हैं – जैसे दिग्गजों के साथ, अनिल सिर्फ अपने परिवार की उम्मीदें नहीं बल्कि हर छोटे शहर के खिलाड़ी का सपना लेकर चल रहे हैं जो असंभव पर यकीन करता है।
कप्तान से बहुत कुछ सीखूंगा
अनिल ने अपने कप्तान के बारे में कहा, “मैं उनसे बहुत कुछ सीखूंगा। उनके साथ खेलना बहुत ही रोमांचक होगा।” उनकी आवाज में एक विद्यार्थी जैसी श्रद्धा थी, जो हर पाठ को सीखने को तैयार है। एक ऑलराउंडर के रूप में जिन्हें रेडिंग पसंद है, वह दुनिया की सबसे प्रतिस्पर्धी कबड्डी लीग में अपनी छाप छोड़ने को तैयार हैं।
इतनी बड़ी लीग में कभी नहीं खेला
अनिल ने बड़ी ईमानदारी से स्वीकार किया, “मैंने इससे पहले इतनी बड़ी लीग में कभी नहीं खेला। मैं बहुत कुछ सीखना चाहता हूं।” शायद यही बात उनकी कहानी को इतना खास बनाती है। एक रिकॉर्ड ब्रेकर की विनम्रता और उस इंसान की भूख जो जानता है कि सबसे बड़ा मंच ही सबसे बड़ी पाठशाला है।
अनिल मोहन एक खूबसूरत बदलाव के प्रतीक
एक ऐसे खेल में जिसे अब तक पारंपरिक कबड्डी के गढ़ों ने ही चलाया है अनिल मोहन एक खूबसूरत बदलाव के प्रतीक हैं। वह इस बात का सबूत हैं कि प्रतिभा सीमाएं नहीं देखती, सपनों को इजाजत की जरूरत नहीं होती और कई बार सबसे असाधारण कहानियां सबसे आम जगहों से शुरू होती हैं।