कर्नाटक के बैंगलोर की रहने वाली 62 साल की नागरत्नाम्मा और 9 साल के रेयांश सुरानी की उपलब्धियां बहुत प्रेरणादायी हैं। नागरत्नाम्मा ने जहां इतनी बड़ी उम्र में साड़ी पहनकर केरल की दूसरी सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई की है। वहीं, रेयांश ने दुनिया का सबसे कम उम्र का सर्टिफाइड योग इंस्ट्रक्टर (प्रशिक्षक) बनकर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। रेयांश भारतीय हैं और अपने परिवार के साथ दुबई में रहते हैं।

नागरत्नाम्मा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। इसमें वह रस्सी के सहारे अगस्त्य कूडम (Agasthya Koodam) की पहाड़ी चढ़ती दिख रही हैं। इस पहाड़ी की ऊंचाई 1868 मीटर है। यह केरल की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। उनकी ट्रैकिंग का वीडियो सामने आने के बाद नेटिजन्स ने उनके जज्बे को सलाम किया है।

वीडियो में साड़ी पहने नागरत्नाम्मा को सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में सबसे ऊंची और सबसे कठिन ट्रैकिंग चोटियों में से एक पर आसानी से ट्रैंकिंग करते देखा जा सकता है। वीडियो में वह रस्सी पर चढ़ने के बाद खुशी से मुस्कुराती भी दिख रही हैं। चढ़ाई के दौरान उनके बेटा भी उनके साथ था। आप नागरत्नाम्मा का वीडियो नीचे देख सकते हैं।

इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में यूजर विष्णु ने लिखा कि यह नागरत्नाम्मा की कर्नाटक के बाहर पहली यात्रा थी। यूजर ने लिखा, ‘उन्होंने बताया कि शादी के बाद पिछले 40 साल से वह पारिवारिक जिम्मेदारियों में व्यस्त थीं। अब चूंकि उनके सभी बच्चे बड़े हो गए हैं और सेटल हो गए हैं तो वह अपने सपने सच कर सकती हैं।’

विष्णु ने आगे लिखा, ‘नागरत्नाम्मा उत्साह और ऊर्जा की बराबरी कोई नहीं कर सकता था। यह उन सभी लोगों के लिए सबसे प्रेरक और समृद्ध अनुभव में से एक था, जिन्होंने उन्हें चढ़ाते हुए देखा ..।’

रेयांश सुरानी की बात करें तो उन्होंने सिर्फ 4 साल की उम्र में ही योगाभ्यास शुरू कर दिया था। रेयांश ने 200 घंटे का योग शिक्षक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद 27 जुलाई, 2021 को आनंद शेखर योग स्कूल से अपना सर्टिफिकेट हासिल किया था। तब उनकी उम्र 9 साल 220 दिन थी।

हाल ही में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जब रेयांश को पता चला कि उनके माता-पिता ऋषिकेश में एक योग शिक्षक के प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में हिस्सा ले रहे हैं तब उन्होंने भी प्रशिक्षक बनने के अपने सपने पर आगे बढ़ने का फैसला लिया।

पाठ्यक्रम के दौरान, रेयांश ने एलाइनमेंट (संरेखण), शारीरिक दर्शन और आयुर्वेद के पोषण संबंधी तथ्य जैसे योग के कई पहलुओं को सीखा। पाठ्यक्रम ने योग के प्रति उनकी धारणा को बदल दिया। उन्होंने कहा, ‘पहले, मैं सोचता था कि योग केवल शारीरिक मुद्रा और श्वास के बारे में है, लेकिन यह उससे कहीं अधिक है।’