भारत में अक्टूबर-नवंबर 2023 में मेंस वनडे वर्ल्ड कप का 13वां संस्करण आयोजित होगा। 1975 में पहली बार इस टूर्नामेंट का आयोजन हुआ था। तब एकदिवसीय मुकाबले 60-60 ओवर के होते थे। पहला मैच मेजबान इंग्लैंड और भारत के बीच ऐतिहासिक लॉर्ड्स स्टेडियम में खेला गया था। 7 जून 1975 को खेले गए इस मैच को लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की ‘कछुआ चाल’ पारी के लिए जाना जाता है। उन्होंने इस मैच में इतनी धीमी बल्लेबाजी की थी कि टीम मैनेजर ने खुलेआम उनकी आलोचना की थी और उनकी पारी को शर्मनाक और स्वार्थी प्रदर्शन बताया था।

60 ओवर समाप्त होने के बाद भारत के 7 विकेट बचे थे और वह 202 रन से हार गया था। गावस्कर की धीमी पारी का एक कारण कप्तान से नाराजगी भी बताई जाती है। 1975 में खेले गए वर्ल्ड कप के फॉर्मेट की बात करें तो 4 देशों को 2 ग्रुप में बांटा गया था। पहले मैच में भारत के खिलाफ इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 60 ओवर में 4 विकेट पर 334 रन बनाए थे। तब यह वनडे क्रिकेट का सर्वश्रेष्ठ स्कोर था। डेनिस अमिस ने 137 रन की पारी खेली थी। केथ फ्लेचर ने 68 रन की पारी खेली थी। क्रिस ओल्ड ने 30 गेंद पर 50 रन की पारी खेली थी।

174 गेंद पर नाबाद 36 रन की पारी

भारत के लिए 335 रन का लक्ष्य हासिल करना असंभव था। हर कोई यह देखना चाहता था कि भारत कितना स्कोर करेगा। भारत के लिए पारी की शुरुआत करने वाले सुनील गावस्कर ने काफी सुस्त बल्लेबाजी की। दर्शक ही नहीं भारतीय क्रिकेट टीम के ड्रेसिंग रूम में भी निराशा देखने को मिली। गावस्कर मैच खत्म होने तक आउट नहीं हुए, लेकिन उन्होंने 174 गेंद पर सिर्फ 36 रन बनाए और टीम इंडिया 60 ओवर में 3 विकेट पर 132 रन ही बना पाई। उसे 202 रन से हार का सामना करना पड़ा।

मैनेजर जीएस रामचंद ने की थी सुनील गावस्कर की खूब आलोचना की

मैच के बाद टीम इंडिया इंडिया के मैनेजर जीएस रामचंद ने सुनील गावस्कर की खूब आलोचना की। उन्होंने कहा, “गावस्कर का मानना था कि इंग्लैंड ने जो स्कोर खड़ा किया उसे हासिल नहीं किया जा सकता था और इसलिए वह प्रैक्टिस मैच की तरह खेल रहे थे। यह एक बहाना था, जिस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। मुझे उनकी रणनीति सही नहीं लगी।”

रामचंद ने मैच के दो दिन बाद डेली एक्सप्रेस से कहा था, “मैंने आज तक ऐसा शर्मनाक और स्वार्थी प्रदर्शन नही देखा। उनका कहना था कि विकेट शॉट खेलने के लिए बहुत धीमा था, लेकिन इंग्लैंड के 334 रन बनाने के बाद ऐसा कहना बेवकूफी थी।”

क्या कप्तान से नाराज थे सुनील गावस्कर

सुनील गावस्कर की इस पारी के बाद अफवाहें उड़ीं कि वह टीम चयन से नाखुश थे। यह भी दावा किया गया कि गावस्कर इस बात से नाराज थे कि श्रीनिवास वेंकटराघवन को कप्तान बनाया गया था। गावस्कर की अपनी पारी पर स्पष्टीकरण क्या था? उस समय उन्होंने सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा था। हालांकि, वर्षों बाद उन्होंने स्वीकार किया कि यह उनके जीवन की सबसे खराब पारी थी और दावा किया कि वह फॉर्म में नहीं थे।

सुनील गावस्कर ने क्या कहा

सुनील गावस्कर ने कहा, ” यह कुछ ऐसा है जिसे मैं अब भी समझा नहीं सकता। पहले कुछ ओवरों में मैंने क्रॉस बैट से स्लॉग खेले, जिन्हें मैं फिर कभी नहीं देखना चाहूंगा। मैं नॉन क्रिकेटिंग शॉट खेलने से नाखुश था। इसके बाद मैं परेशान था। इस मानसिक पीड़ा से छुटकारा पाने का यही एकमात्र तरीका था कि मैं स्टंप्स से हटकर बोल्ड हो जाऊं। मैं पारी की गति नहीं बढ़ा सका और न ही आउट हुआ।” गावस्कर ने यह भी दावा किया कि वह पारी की दूसरी गेंद पर विकेट के पीछे कैच आउट हुए थे। वह सोचते हैं कि काश तब पवेलियन लौट गए होते।

गावस्कर के साथियों ने क्या कहा

गावस्कर के साथी करसन घावरी ने कहा, “सुनील ने सोचा कि इस लक्ष्य का पीछा करना मुश्किल और असंभव था। उन्हें संदेश भेजे जा रहे थे, लेकिन वह सिर्फ अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर रहे थे। संदेश का उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा।” 46 गेंदों में 22 रन बनाने वाले अंशुमान गायकवाड़ ने कहा था, “जिस तरह से वह बल्लेबाजी कर रहे थे, उससे हम सभी बहुत आश्चर्यचकित थे। यह कहना मुश्किल था कि वह क्या कर रहे थे। जब मैं क्रीज पर था तो हमने टीम की रणनीति या उनकी या मेरी रणनीति पर चर्चा नहीं की। मैं उनसे कुछ भी कहने के लिए बहुत जूनियर था। मैं खुद को साबित करने के बारे में सोच रहा था।” गायकवाड़ ने कहा कि जब गावस्कर ड्रेसिंग रूम में लौटे तो किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।