भारतीय क्रिकेट टीम अक्टूबर-नवंबर में होने वाले वनडे वर्ल्ड कप में प्रबल दावेदार टीमों में एक होगी। घरेलू सरजमीं पर टूर्नामेंट होने के कारण रोहित शर्मा की अगुआई वाली टीम का पलड़ा भारी होगा। वैसे विदेश में भी भारत किसी भी टूर्नामेंट में प्रबल दावेदार बनकर उतरता है। ऐसा आज से नहीं, बल्कि कई वर्षों से हो रहा है। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब उसकी गिनती फिसड्डी टीमों में होती थी। मैच जीतने पर कहा जाता था कि तुक्का लग गया।
ऐसे हालात 1983 से पहले थे। कपिल देव की अगुआई में 40 साल पहले वर्ल्ड कप जीतने से पहले भारतीय क्रिकेट के हालात अंदाजा संदीप पाटिल के बयान के लगाया जा सकता है। उन्होंने 2015 में लिखा था, “भारत किसी के मुकाबले में भी नहीं था। टीम ने पिछले दो वर्ल्ड कप में शायद ही कभी बढ़िया खेला था, इसलिए जब हम भारत से निकले तो हम सभी हॉलिडे के मूड में थे। क्रिकेट के बारे में सोच भी नहीं रहे थे। मैल्कम मार्शल, बॉब विलिस और जेफ थॉमसन का सामना करने के बारे में सोचने से ज्यादा हम अपने घूमने का प्लान बनाने में लगे थे। लंदन पहुंचने के बाद, हम बकिंघम पैलेस, हाइड पार्क और ट्राफलगर स्क्वायर देखने को लेकर उत्साहित थे।” खास यह है कि संदीप पाटिल 1983 वर्ल्ड चैंपियन टीम के हिस्सा थे।
दो वर्ल्ड कप में सिर्फ एक जीत
संदीप पाटिल ने यह बयान क्यों दिया? खिलाड़ियों के दिमाग में ऐसी बातें क्यों चल रही थीं? इसका जवाब भारत का 1975 और 1979 वर्ल्ड कप में शर्मनाक प्रदर्शन था। साल 1975 में खेले गए पहले वर्ल्ड कप में टीम एक मैच जीत भी गई थी, लेकिन 1979 में उसे एसोसिएट नेशन तक से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। 1975 में वह कम से कम ईस्ट अफ्रीका को 10 विकेट से हराने में सफल रही थी । वहीं, साल 1979 में श्रीलंका से हारकर विदा हुई। मतलब 1975 और 1979 के दो वर्ल्ड कप में टीम इंडिया 6 मैच खेली और सिर्फ 1 जीत पाई थी।
आईसीसी ट्रॉफी खेलकर 1979 वर्ल्ड कप में पहुंची थी श्रीलंका
टेस्ट क्रिकेट न खेलने वाली टीमों को 1979 वर्ल्ड कप में खेलने के लिए आईसीसी ट्रॉफी खेलना होता था। श्रीलंका की टीम फाइनल में कनाडा को हराने से पहले ग्रुप स्टेज में इजरायल और डेनमार्क को हराकर वर्ल्ड कप मक्वालिफाई कर गई थी। वह 1975 में भी खेली थी और तीनों लीग मैच हार गई थी। 1979 में भारत के खिलाफ मैच से पहले उसे न्यूजीलैंड से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच बारिश के कारण धुल गया था।
ओल्ड ट्रैफर्ड में श्रीलंका से झेलनी पड़ी करारी शिकस्त
भारत के खिलाफ ओल्ड ट्रैफर्ड में श्रीलंकाई टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए 60 ओवर में 5 विकेट पर 238 रन बनाए। सुनी वेट्टीमुनी, रॉय डायस और दिलीप मेंडिस ने अर्धरशतक जड़ा। जवाब में भारतीय टीम 54.1 ओवर में 191 रन पर सिमट गई। सुनील गावस्कर 26, अंशुमान गायकवाड़ ने 33, दिलीप वेंगसरकर ने 36 और गुंडप्पा विश्वनाथ ने 22 रन बनाए। भारत को 47 रन से हार का सामना करना पड़ा।
बदल गया श्रीलंका क्रिकेट
भारत को हराने के बाद श्रीलंका को पूरे क्रिकेट जगत से भरपूर प्रशंसा मिली। यह प्रदर्शन उनके शिखर पर पहुंचने के मुख्य कारणों में से एक बना। दो साल बाद उसे टेस्ट क्रिकेट का दर्जा मिल गया। हालांकि, मौजूदा समय में श्रीलंकाई टीम की हालत खराब है, लेकिन एक समय था जब वर्ल्ड क्रिकेट में उसकी धाक थी। टीम ने मुरलीधरन, कुमार संगकारा, महेला जयवर्धने, सनथ जयसूर्या और चामिंडा वॉस जैसे खिलाड़ी विश्व क्रिकेट को दिए।