फर्राटा हो या लंबी दूरी की दौड़, कूद का कौशल हो या ताकत का प्रदर्शन, रिले दौड़ का तालमेल हो या 42 किलोमीटर की जानलेवा मैराथन – एथलेटिक्स अपनी विविधता और रोमांच के लिए मशहूर है। क्षेत्रीय शक्ति परीक्षण का मंच हो या विश्व चैंपियनशिप और ओलंपिक खेलों का भव्य मेला, एथलीट अपनी छाप छोड़ने को बेताब रहते हैं। एशियाई स्तर पर अपनी पहचान के बाद अब भारतीय एथलीट भी विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े आयोजन में शोहरत पाने को प्रयासरत हैं।
28 सदस्यीय दल में कुछ ऐसे एथलीट रहे जो हंगरी के शहर बुडापेस्ट में हुई विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अपना डंका बजाने में सफल रहे। इनमें भाला फेंक के नए बादशाह नीरज चोपड़ा भी हैं। अपनी लगन और मेहनत से उन्होंने भारतीय एथलेटिक्स की तस्वीर ही बदल दी है। दो साल पहले तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक के बाद अब विश्व चैंपियनशिप में भी नीरज सभी प्रतिद्बंद्बियों पर भारी पड़े।
नीरज ही नहीं उनके दो भारतीय साथियों ने भी प्रेरणादायी प्रदर्शन कर भाला फेंक स्पर्धा के फाइनल में स्थान बनाया। विश्व चैंपियनशिप की किसी स्पर्धा के फाइनल में तीन भारतीयों का पहुंचना भी एक कीर्तिमान है। भाले को 88.44 मीटर दूर फेंककर नीरज चोपड़ा स्वर्ण पदक के हकदार बने। एक भारतीय होने के नाते उनकी यह भी उपलब्धि है कि वे भाला फेंक में ओलंपिक और विश्व चैंपियन हैं।
इस ऐतिहासिक पल में उनके दो साथियों किशोर जेना (84.77 मीटर) और डीपी मनु (84.17 मीटर) का प्रयास भी काबिले तारीफ रहा जो क्रमश: पांचवें और छठे स्थान पर रहे। स्पर्धा से पहले उनको पाकिस्तान के भाला फेंक एथलीट नदीम से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना जताई जा रही थी। पर नीरज की थ्रो उनसे बेहतर रही।
अब इन दोनों की प्रतिद्बंद्बिता अगले माह चीन में होने वाले एशियाई खेलों में होगी। लेकिन पाक एथलीट पर दबाव ज्यादा होगा। इस स्पर्धा में किशोर जेना और डीपी मनु उनसे चंद मीटर पीछे हैं। किशोर जेना ने नीरज से सीख लेते हुए अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन से प्रेरित होकर ये एथलीट एशियाई खेलों में पदक की कोशिश करेंगे।
चौंकाने वाला प्रदर्शन भारत की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने भी किया। विश्वस्तरीय टीमों के बीच एशियाई रिकार्ड को ध्वस्त करते हुए फाइनल में पहुंचना और फिर पांचवीं सर्वश्रेष्ठ टीम के तौर पर उभरना प्रशंसनीय प्रदर्शन है। मोहम्मद अनास, अमोज जैकब, राजेश रमेश और मोहम्मद अजमल की चौकड़ी ने दो मिनट 59.05 सेकंड का समय निकालकर जापानी चौकड़ी के नाम पर टिका एशियाई कीर्तिमान धो डाला।
भारतीय चौकड़ी ने हीट्स में अमेरिका की धुरंधर टीम को अच्छी टक्कर दी। भारतीय टीम हीट्स में नंबर दो पर रही। अपनी प्रतिभा का सिक्का 21 साल के एलड्रिन ने भी जमाया। लेकिन जब फाइनल परीक्षा हुई तो वे 11वें स्थान पर लुढ़क गए। उनकी पहली छलांग 7.77 मीटर की रही। क्वालीफाइंग में तो उन्होंने आठ मीटर तक छलांग लगाई।
इस प्रदर्शन से प्रेरित होकर एलड्रिन एशियाई खेलों में पदक पर दावा ठोंक सकते हैं।महिला वर्ग में अमेरिका, अफ्रीका और यूरोपीय देशों की धाक रहती है, लेकिन मेरठ की पारुल चौधरी ने नामी-गिरामी एथलीटों की मौजूदगी में रहते हुए 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में स्थान बनाया। ट्रैक एंड फील्ड के फाइनल में जगह बनाने वाली वे दूसरी एथलीट हैं।
इस स्पर्धा में वह अपनी हीट्स में पांचवें स्थान पर रही। नौ मिनट 15.31 सेकंड का समय उन्हें पेरिस ओलंपिक में जगह देने के लिए काफी था। 11वें स्थान पर रही पारुल ने इस दौरान नया राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाया।नीरज के स्वर्ण ने भारत को पदक तालिका में स्थान दिला दिया। अगर बाकी एथलीटों का प्रयास थोड़ा बेहतर होता तो पदकों की संख्या में इजाफा हो सकता था।
खैर, पिछले कुछ वर्षों में नीरज के प्रदर्शन से देश में भाला के प्रति रुझान बढ़ा है। उम्मीद की जाती है कि रिले टीम, एंड्रियन और पारुल का प्रदर्शन भी एथलीटों को प्रेरित करेगा और भारतीय रुतबा बढ़ेगा।