बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर विपक्ष के विरोध के बीच राष्ट्रीय खेल विधेयक सोमवार (11 अगस्त) को लोकसभा में पारित हो गया। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसे “आजादी के बाद से भारतीय खेलों में सबसे बड़ा सुधार” बताया।
विपक्ष के विरोध के कारण समय से पहले स्थगित होने के बाद दोपहर 2 बजे लोकसभा के दोबारा शुरू होने पर राष्ट्रीय डोपिंग रोधी (संशोधन) विधेयक भी पारित हो गया।

विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच मांडविया ने कहा, ” यह आजादी के बाद से खेलों में किया गया सबसे बड़ा सुधार है। यह विधेयक खेल संघों में जवाबदेही, न्याय और बेहतर प्रशासन सुनिश्चित करेगा। भारत के खेल जगत में इसका व्यापक महत्व होगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक और सुधार में विपक्ष की भागीदारी नहीं है।”

विपक्षी नेता सदन में मौजूद नहीं थे

जब विधेयकों को विचार और पारित कराने के लिए पेश किया गया तब विपक्षी नेता सदन में मौजूद नहीं थे। बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण और मतदाता डेटा में कथित हेराफेरी के खिलाफ चुनाव आयोग के मुख्यालय की ओर मार्च करते समय उनमें से अधिकांश को हिरासत में ले लिया गया था। लेकिन जब दो सांसदों ने विचार-विमर्श में हिस्सा लिया और विधेयक के समर्थन में अपनी बात रखी तो विपक्षी सदस्य सदन में वापस आ गए और नारेबाजी करने लगे।

ध्वनिमत से पारित

हंगामे के बीच विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके बाद सदन की कार्यवाही शाम 4 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले खेल संबंधी संसदीय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से राष्ट्रीय खेल विधेयक को समिति को सौंपने का अनुरोध किया था। उनका मानना था कि संसद में विचार किए जाने से पहले इस विधेयक की जांच और चर्चा होनी चाहिए। मंडाविया ने कहा कि ये दोनों विधेयक भारत में एक “पारदर्शी, जवाबदेह और विश्व स्तरीय खेल तंत्र” के निर्माण के उद्देश्य से प्रमुख सुधार हैं, क्योंकि देश का लक्ष्य 2036 ओलंपिक के लिए दावेदारी पेश करना है।

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निजी स्वार्थ के लिए खेलों का राजनीतिकरण

खेल मंत्री ने विधेयक को लेकर कहा, “1975 से ही प्रयास चल रहे हैं और 1985 में हमारे पास पहला मसौदा तैयार था। लेकिन निजी स्वार्थ के लिए खेलों का राजनीतिकरण भी किया गया। कुछ मंत्रियों ने इस विधेयक को लाने के प्रयास किए, लेकिन आगे नहीं बढ़ पाए। 2011 में राष्ट्रीय खेल संहिता थी। इसे विधेयक में बदलने का एक और प्रयास किया गया। यह कैबिनेट तक पहुंचा, चर्चा भी हुई, लेकिन उसके बाद विधेयक को टाल दिया गया। यह संसद तक नहीं पहुंच पाया।

हमारा प्रदर्शन संतोषजनक नहीं

खेल मंत्री ने कहा, “राष्ट्रीय खेल विधेयक, शासन विधेयक, परिवर्तन की एक शक्ति है…इतना बड़ा देश होने के बावजूद ओलंपिक खेलों और अंतरराष्ट्रीय मंच पर हमारा प्रदर्शन संतोषजनक नहीं रहा है और इस विधेयक का उद्देश्य भारत की खेल क्षमता का निर्माण करना है।” खेल प्रशासन विधेयक में जवाबदेही की व्यवस्था बनाने के लिए एक राष्ट्रीय खेल बोर्ड (एनएसबी) का प्रावधान है। सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों (एनएसएफ) को केंद्र सरकार से धन प्राप्त करने के लिए एनएसबी से मान्यता प्राप्त करनी होगी।

(पीटीआई इनपुट से खबर)