कोविड-19 का असर सिर्फ खेल होने पर ही नहीं, बल्कि इसे जुड़ी बहुत सी चीजों पर पड़ा है। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (National Anti-Doping Agency) ने खिलाड़ियों को निर्देश दिए हैं कि उन्हें डोप टेस्ट (प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं का परीक्षण) देने से पहले खुद के कोरोना मुक्त होने की पुष्टि करनी होगी। यही नहीं, एथलीट जब कंटेनर में अपना यूरिन लेकर आएगा तो डोपिंग कंट्रोल ऑफिसर को उससे कम से कम 2 गज की दूरी बनाए रखनी होगी।
कोविड-19 महामारी के कारण जब से देश में लॉकडाउन लागू हुआ है, तब से ही देश भर में डोपिंग रोधी गतिविधियां लगभग ठहर गईं हैं। अब जैसे ही प्रशिक्षण शुरू होता है, राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) एथलीटों की फिर से जांच करना चाहती है। उसे अंदेशा है कि कुछ एथलीटों ने लॉकडाउन का इस्तेमाल इसका अनुचित लाभ लेने के लिए किया होगा।
नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह खेल मंत्रालय को टेस्टिंग प्रोग्राम शुरू करने के लिए एक बहुत विस्तृत’ प्रस्ताव भेजा है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव की प्रमुख विशेषताओं में था कि एथलीट और नमूना इकट्ठा करने वाले अधिकारी दोनों को ही यह प्रमाणित करना होगा कि वे एसिम्प्टमैटिक (Asymptomatic) हैं। यानी उनमें संक्रमण के किसी प्रकार के कोई लक्ष्ण नहीं हैं।
अग्रवाल के मुताबिक, डोपिंग नियंत्रण अधिकारी को कम्प्लीट पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट पहननी होगी। कंटेनर समेत नमूनों को इकट्ठा करने वाले आवश्यक उपकरणों को पूरी तरह से सैनेटाइज करना होगा। अग्रवाल ने बताया, हमें दोनों की सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। एथलीट के साथ-साथ डोप कंट्रोल अधिकारी के स्वास्थ्य के साथ भी समझौता नहीं किया जाएगा।
अग्रवाल ने बताया, हालांकि, अपेक्षाकृत संपर्क रहित और स्वच्छ प्रक्रिया सुनिश्चित करना बड़ी चुनौती होगी। आमतौर पर, डोपिंग नियंत्रण अधिकारी एथलीट के साथ बाथरूम में जाता है। मूत्र का नमूना कंटेनर के दौरान भरने को छोड़कर वह पूरी प्रक्रिया के दौरान एथलीट को देखता है। हालांकि, नमूने के साथ कोई छेड़छाड़ न होना सुनिश्चित करने के लिए यह प्रक्रिया अब भी की जाएगी। लेकिन दोनों पक्षों को सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। एथलीट और अधिकारी को नमूना संग्रह के दौरान दो गज की दूरी बनाए रखनी होगी।
