भारतीय क्रिकेट टीम के लिए 12 वनडे और 3 टी20 खेलने वाले मनोज तिवारी ने कहा कि टीम इंडिया से बाहर होने का उन्हें अफसोस है। तिवारी ने कहा कि वे आजतक तत्कालीन कप्तान महेंद्र सिंह धोनी से इसका कारण नहीं पूछ पाएं। तिवारी ने अपना डेब्यू मैच 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन में खेला था। मनोज बंगाल के लिए 125 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं। इस दौरान 8965 रन बनाए हैं। उन्होंने 27 शतक और 37 अर्धशतक लगाए हैं।
तिवारी उन बल्लेबाजों में से हैं, जिन्हें पिछले मैच में शतक बनाने के बाद प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। 2008 में अपने करियर की शुरुआत करने के बाद तिवारी ने दिसंबर 2011 में चेन्नई में वेस्टइंडीज के खिलाफ एक मैच में नाबाद 104 रन बनाए थे। उसके बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गहया। वे अगले 14 मैचों में टीम इंडिया के सदस्य नहीं रहें।
तिवारी ने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि 100 रन बनाने के बाद और मैन ऑफ द मैच अवॉर्ड जीतने के बाद अगले 14 मैचों में मैं नहीं खेलूंगा। हालांकि, मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि कप्तान और कोच के अपने विचार होते हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर हमें उनके फैसलों का सम्मान करना चाहिए। हो सकता है कि ये उनकी रणनीति हो।’’
तिवारी को टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका फिर आठ महीने बाद मिला। तब टीम इंडिया अगस्त 2012 में श्रीलंका के दौरे पर गई थी। तिवारी ने चौथे वनडे में 21 रन बनाए थे। इसके बाद पांचवें वनडे में उन्होंने अर्धशतक लगाया था। उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया था। तिवारी को 2015 में जिम्बाब्वे दौरे के लिए चुना गया था। फिर वो टीम में वापस कभी नहीं आ सके। तिवारी ने कहा, ‘‘मुझे उस समय मौका नहीं मिला या यूं कहें कि मुझे में माही के पास जाने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि हम अपने सीनियरों का इतना सम्मान करते थे कि हम उनसे सवाल करने से बचते थे। इसलिए मैंने अभी तक उनसे सवाल नहीं किया।’’